डॉक्टर का लहूलुहान शव, असुरक्षा और आंदोलन
17 अगस्त को सुबह छह बजे से पूरे देश के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या से नाराज डॉक्टर कई दिनों से विरोध जताई. पीएम को पत्र लिखा । की कई मांगें।
9 अगस्त को कोलकाता के सरकारी अस्पताल में 31 साल के डॉक्टर का लहूलुहान शव मिला था. इसके बाद से कोलकात से लेकर कई अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. राजधानी दिल्ली का ऐम्स और दूसरे बड़े अस्पताल के डाक्टरों ने इसमें साथ दिया. इनकी शुरूआत तो डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने की थी लेकिन इसमें आम लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हो गए . इस मामले ने देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है.
शनिवार 17 अगस्त की सुबह हजारों लोगों ने हाथों में मोमबत्तियां लेकर कोलकाता में जुलूस निकाला. प्रदर्शनकारियों ने नारे लिखी तख्तियां अपने हाथों में ले रखी थीं. एक तख्ती पर लिखा था, "जो हाथ इलाज करते हैं उनसे खून नहीं निकलना चाहिए." इसी तरह एक तख्ती पर "बस बहुत हुआ" तो दूसरे पर "बलात्कारी को फांसी दो" जैसे नारे लिखे थे.
अजमेर में दीवार पर लिखे बलात्कार के खिलाफ नारे और उसके सामने से गुजरती एक महिलाअजमेर में दीवार पर लिखे बलात्कार के खिलाफ नारे और उसके सामने से गुजरती एक महिला ने इस विरोध को अलग तरीके से धारदार बना दिया.
जिस डॉक्टर की हत्या हुई उसका शव मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में मिला था. इससे ऐसा लग रहा है कि 36 घंटे की शिफ्ट के दौरान वह आराम करने वहां गई थीं. ऑटोप्सी रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई है. पीड़ित के मां-बाप की तरफ से अदालत में दायर की गई याचिका में पीड़ित डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार का संदेह जताया गया है. पुलिस ने एक शख्स को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया है. वह अस्पताल में लोगों की भीड़ को कतार में लगाने का काम करता है.
नाराज लोगों ने पुलिस पर इस मामले में ठीक से काम नहीं करने के आरोप लगाए हैं. इसके बाद कोलकाता हाईकोर्ट ने यह मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई को सौंप दिया है. कई राज्यों के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों ने "अनिश्चितकाल" के लिए हड़ताल की घोषणा कर दी. सरकारी और निजी डॉक्टरों के कई यूनियन विरोध प्रदर्शनों और हड़ताल को समर्थन दे रहे हैं. ये लोग डॉक्टरों के लिएसुरक्षा और इस मामले में न्याय की मांगकर रहे हैं.
24 घंटे की हड़ताल
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 17 अगस्त को पूरे देश में 24 घंटे की हड़ताल कर इस मामले में विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. इसके तहत मरीजों के इलाज की ऐसी सभी प्रक्रियाएं रोक दी गई हैं जो अत्यंत जरूरी नहीं हैं. यह हड़ताल सुबह सात बजे शुरू हुई. हड़ताल से पहले आईएमए के प्रमुख आरवी असोकन ने बयान जारी कर कहा, "हम मांग करते हैं कि अपनी बेटियों और डॉक्टरों के लिए न्याय के संघर्ष को देश समझे और हमें अपना समर्थन दे." आइएमए ने इस हत्या को "जघन्य" कहा है. आईएमए की तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया है, "पीड़ित 36 घंटे की ड्यूटी पर थी और वहां आराम के लिए सुरक्षित जगह भी नहीं थी..रेजिडेंट डॉक्टरों के काम और काम की स्थितियों को पूरी तरह से बदला जाना जरूरी है."
दिल्ली की लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज रेजिडेंट डॉक्टर 29 साल की आकांक्षा त्यागी ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. उनका कहना है, "24-36 घंटे लगातार काम करने के बाद हमारे आराम के लिए ढंग की जगह भी नहीं होती." गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला के खिलाफ "राक्षसी" कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दिलाने की मांग की. महिलाओं के खिलाफ हिंसा भारतकी एक बड़ी समस्या है. 2022 में औसतन हर दिन 90 बलात्कार के मामले दर्ज हुए. बहुत से लोग कोलकाता के घटना की तुलना 2012 के निर्भया कांड से कर रहे हैं. उस घटना के बाद ऐसा लगा था कि सरकार और लोगों का ध्यान इस ओर जा रहा है. हालांकि इस लिहाज से भारत में महिलाओं की स्थिति बीते सालों में कुछ खास नहीं बदली है. बलात्कार जैसे अपराधों के कम ही मामलों में दोष साबित होता है या फिर दोषी को सजा मिलती है. सरकार ने कई तरह के नए अपराधों की श्रेणी बनाई है और इसमें छेड़छाड़ और पीछा करने जैसे अपराध भी शामिल हुए हैं. यहां तक कि मामला दर्ज करने में आनाकानी या फिर इसके लिए मना करने वाले अधिकारियों को भी जेल भेजा जा रहा है.
IMA ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, ये है उनकी मांगों की सूची
— महामारी रोग अधिनियम 1897 में 2020 की मांगों को “स्वास्थ्य सेवा कार्मिक और नैदानिक प्रतिष्ठान (हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का निषेध विधेयक 2019)” के मसौदे में शामिल करने वाला एक केंद्रीय अधिनियम मौजूदा राज्य विधानों को मजबूत करें.
— सभी अस्पतालों के सुरक्षा प्रोटोकॉल किसी हवाई अड्डे से कम नहीं होने चाहिए. अनिवार्य अधिकारों के साथ अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करना पहला कदम है. सीसीटीवी, सुरक्षा की तैनाती और प्रोटोकॉल का पालन किया जा सकता है.
— पीड़िता जिस 36 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट में थी और आराम करने के लिए सुरक्षित जगहों और पर्याप्त रेस्ट रूम की कमी के कारण रेजिडेंट डॉक्टरों के काम करने और रहने की स्थिति में पूरी तरह से बदलाव की जरूरत है.
— समय सीमा में अपराध की सावधानीपूर्वक और पेशेवर जांच और न्याय प्रदान करना.
— शोक संतप्त परिवार को दी गई क्रूरता के अनुरूप उचित और सम्मानजनक मुआवजा.
— आधिकारिक पत्र पर आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन और मानद महासचिव डॉ. अनिलकुमार नायक ने हस्ताक्षर किए.