Average rating based on 2417 reviews.
Note: Your PDF file is password protected. Your password is the last 4 digits of your registered mobile number with us.
इस पुस्तक का एक अंश सावन का महिना, खिली हुई कड़ी धूप! शिव कुछ साथियों के साथ पेड़ के पास खड़ा है। मैं तो कहता हूँ यहाँ खदान की नौकरी से तो अच्छा है, हम कहीं रेहड़ी लगा लें... कम से कम बाल-बच्चों की देखभाल तो ठीक से हो, वे खुश रहें। मगर यहाँ की स्थिति तो दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है। यह रमन की आवाज थी। शिव बोला, कुछ नहीं भाई, यह सब ऊपर वाले की मर्जी है, हम और तुम क्या कर सकते हैं? हंसते हुए मोनू बोला, ऊपर वाला नहीं, यह यहां के अफसरों की करस्तानी है... वे काम तो पूरा चाहते है, ठेकेदारों को चूस लेते हैं...और ठेकेदार हम लोगों को चूस रहा है। कोयला खदान के भीतर मजदूर अक्सर कामकाज निपटा कर कुछ ऐसे ही अपना दुःख-सुख बांटा करते हैं। गरीब, मजदूर का जीवन कितना कष्टमय होता है इसकी हम-आप कल्पना भी नहीं कर सकते। लोगों को महसूस होता है जैसे हम स्वर्ग का सुख भोग रहे है, वैसा ही आनंद यह गरीब मजदूर भी भोगते होंगे..., मगर ऐसा नहीं है। इनका कष्ट हृदय को चीर देता है, अगर हम नजदीक ...