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एक संक्षिप्त विवरणात्मक पुस्तक भारतीय दर्शन की छह पद्धतियों का परिचय 1.साम्ख्या प्रणाली, 2.योग प्रणाली, 3.न्याय—वैशेषिक प्रणाली, 4.पूर्व—मीमांसा प्रणाली, 5.वेदांत पद्धित भारतीय दर्शन का विकास कैसे हुआ? दर्शन हमारे अस्तित्व और ब्रह्मांड में हमारे स्थान के तीन प्रमुख पहलुओं से संबंधित है। ये इस प्रकार से हैं: 1. इपीस्टेमोलॉजी यानी ज्ञानमीमांसा : इसे ''''''''ज्ञान का सिद्धांत'''''''' के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। वस्तुत: ग्रीक शब्द एपिस्टाने का अर्थ है ''''''''समझना'''''''' और लोगोज का अर्थ है ''''''''संवाद/ भाषण'''''''' तर्कसंगत, तार्किक और वैज्ञानिक विचार के अर्थ में। संक्षेप में यह कह सकते हैं कि किसी चीज को हम कैसे जानते हैं और उसके बारे में हम क्या समझते हैं? 2. ऑन्टोलॉजी यानी सत्तामीमांसा : दरअसल ऑन्टो ग्रीक शब्द ईनाई से लिया गया है जिसका अर्थ किसी ची के ''''''''होने'''''''' से संबंधित है। इस प्रकार ''''''''सत्तामीमांसा'''''''' का अर्थ है किसी चीज के अस्तित्व की प्रकृति और उसका दार्शनिक अध्ययन। इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है कि व्यक्ति को यह ज्ञान होना कि आखिर वह है कौन? 3. टेलीयोलॉजी यानी दूरदर्शिता : तेलोस ''''''''उद्देश्य'''''''' के लिए एक ...