लवप्रीत कौर की अमेरिका में हिरासत की दास्तान
लवप्रीत कौर अपने 10 वर्षीय बेटे के लिए बेहतर भविष्य चाहती थी, इसलिए वह अमेरिका जाने की कोशिश कर रही थी. वहां से वापस भेज दी गई. अब वह चाहती है कि सरकार उस एजेंट से उसके पैसे वापस दिलाए जिसने कथित तौर पर उसके साथ धोखाधड़ी की.
2 जनवरी को, लवप्रीत कौर और उसके 10 वर्षीय बेटे ने बेहतर भविष्य की उम्मीदों के साथ पंजाब से संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा शुरू की थी. एक महीने से अधिक समय बाद उसकी सभी उम्मीदें टूट गईं, क्योंकि वह और उसका बेटा उन 104 निर्वासितों में शामिल थे, जो 5 फरवरी को संयुक्त राज्य वायु सेना की उड़ान से अमृतसर पहुंचे. उसने कथित तौर पर अमेरिका के लिए सीधे मार्ग के वादे के लिए एक एजेंट को 1 करोड़ रुपये की मोटी राशि का भुगतान किया था.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कपूरथला जिले के भोलाथ इलाके की रहने वाली 30 वर्षीय लवप्रीत ने बताया कि कैसे उसे और कुछ अन्य लोगों को कई देशों की यात्रा करते हुए डंकी मार्ग अपनाने के लिए मजबूर किया गया.
एजेंट ने हमारे परिवार से कहा कि वे हमें सीधे अमेरिका ले जाएंगे। लेकिन हमने जो कुछ भी सहा, वह हमारी उम्मीद से कहीं ज़्यादा था— लवप्रीत ने आंसू बहाते हुए बताया.
उन्होंने आपबीती सुनाई. बताया— हमें कोलंबिया के मेडेलिन ले जाया गया और लगभग दो सप्ताह तक वहाँ रखा गया, उसके बाद हमें एक फ्लाइट से सैन साल्वाडोर (एल साल्वाडोर की राजधानी) ले जाया गया वहाँ से, हम तीन घंटे से ज़्यादा पैदल चलकर ग्वाटेमाला पहुँचे, फिर टैक्सियों से मैक्सिकन सीमा तक पहुँचे. दो दिन मैक्सिको में रहने के बाद, हम आखिरकार 27 जनवरी को अमेरिका पहुँचे.
जब अमेरिकी अधिकारियों ने सीमा पार करने के बाद लवप्रीत और अन्य को हिरासत में ले लिया, तो यह उनके लिए मुश्किल मोड़ ले था. जब हम अमेरिका पहुँचे, तो उन्होंने हमसे हमारे सिम कार्ड और यहाँ तक कि झुमके और चूड़ियाँ जैसे छोटे गहने भी उतारने को कहा. मैं पहले से ही अपना सामान रास्ते में पड़ने वाले दूसरे देश में गंवा चुकी थी, इसलिए मेरे पास जमा करने के लिए कुछ भी नहीं था. हमें पाँच दिनों तक एक शिविर में रखा गया और 2 फरवरी को हमें कमर से लेकर पैरों तक जंजीरों से बाँध दिया गया. हमारे हाथों में हथकड़ियाँ लगा दी गईं. केवल बच्चों को बख्शा गया.
लवप्रीत सैन्य विमान में 40 घंटे की यात्रा के दौरान संचार सुविधा की कमी से विशेष रूप से परेशान थी, जिसके दौरान निर्वासितों को उनके गंतव्य के बारे में सूचित नहीं किया गया था. इस बारे में लवप्रीत ने कहा— किसी ने हमें नहीं बताया कि हमें कहाँ ले जाया जा रहा है, और जब हम आखिरकार भारत पहुँचे, तो यह एक सदमा था. हमें अमृतसर हवाई अड्डे पर बताया गया कि हम भारत पहुँच गए हैं, लेकिन ऐसा लगा जैसे हमारे सपने एक पल में बिखर गए.
कर्ज लेका एजेंट को पैसे दिए
लवप्रीत अपने बेटे के बेहतर भविष्य के लिए अमेरिका जाने के लिए बेताब थी. उसने बताया— मुझे अपने बेटे के भविष्य और अमेरिका में एक नए जीवन की उम्मीद थी. मेरे परिवार ने एजेंट को भुगतान करने के लिए एक बड़ा कर्ज लिया. उम्मीद थी कि हमारा भविष्य बेहतर होगा. अब सब कुछ बर्बाद हो गया है. हमें बताया गया था कि हम जल्द ही कैलिफोर्निया में अपने रिश्तेदारों के पास होंगे, लेकिन अब मेरे पास दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा है.
लवप्रीत और उनके परिवार के पास भारत में 1.5 एकड़ ज़मीन है, जहाँ वह अपने पति और बुज़ुर्ग सास-ससुर के साथ रहते हैं. उनका दृढ़ विश्वास है कि सरकार को उन बेईमान ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने उन्हें और कई अन्य लोगों को धोखा दिया.
उनका कहना है कि सरकार को इन अपराधियों से हमारा पैसा वापस दिलवाना चाहिए, जिन्होंने हमें एक नई ज़िंदगी देने का वादा किया था लेकिन हमें विदेशी धरती पर फँसा कर छोड़ दिया. अनिश्चित भविष्य के बारे में उन्होंने कहा, “मैं अपने बेटे के लिए सबसे अच्छा चाहती थी, लेकिन अब मुझे नहीं पता कि क्या होगा. मैं केवल यही उम्मीद कर सकती हूँ कि न्याय होगा और दूसरों को वह सब न सहना पड़े जो हमने किया.”
इस बीच, उनके घर पर मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनकी कहानी अवैध प्रवास के खतरों और मानव तस्करों द्वारा किए गए झूठे वादों की कीमत की दर्दनाक याद दिलाती है.