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गर्मियों की छुट्टियां
आज सुबह फिर अलार्म बोला अब नहीं उठने की चिंता सूरज भी आकाश में आया लेकिन हम को बिस्तर भाया
मीठे-मीठे तरबूज खाकर गर्मियों की छुट्टियां बीत जाएंगी खूब सारे पौधे लगाने से ठंडी-ठंडी हवा आएगी
रात को छत पर सोते हुए आसमान के तारे गिनेंगे देर रात तक बातें करते हुए छुट्टियों के दिन बीतेंगे
आसमान की दुनिया
बहुत बड़ी आसमान की दुनिया कितनी प्यारी लगती है ढेरों उड़ती पतंगों को देखकर वह कितनी सुहानी लगती है
उड़ते पक्षियों को देखकर मन उड़ने को करता है आसमान में जब रात को चांद आए दिल छूने को करता है
नीले-काले आसमान में कितने तारे चमकते हैं देर रात तक जागकर हम चंदा मामा पर कविता सुनते हैं
मां सरस्वती
बुद्धि की देवी ज्ञान दो मां सरस्वती हमको ऐसा वरदान दो
मुख से अच्छी वाणी निकले हम यह प्रार्थना करते है झूठ का साथ छोड़कर हम सत्य की अभिलाषा रखते हैं
जीवन में हमारे प्रकाश रहे हम ऐसी प्रार्थना करते है शिक्षा, बुद्धि, कला की देवी हम आपकी वंदना करते हैं