अल्फाबेट के अंदाज—ए—अल्फ़ाज़
A हमे सिखाता है !
एक ही घर से दो राहे देखकर विचलित न होना !
बेटा ! दो रास्तों को बीच में से, कमसे कम तूम जोडनेकी जरूर कोशीश करना।
॥ १ ॥
B हमे सिखाता है !
जो दिखता है, वो एक ही तो रास्ता है !
घुम फिर के, फिर उसी रास्ते से गुजरना है !
॥ २ ॥
C हमे सिखाता है !
जीवन एकसंध एक अधुरा गोल जैसा लंबा रास्ता है !
वो रास्ता खत्म होने पर
पता चलता है की, जीवन कहाँ से शुरू किया है ? ।
॥ ३ ॥
D हमे सिखाता है ।
सिधा रास्ता अच्छा तो है ! लेकिन ..
'सुंदरता' सिखने के लिये गोल लंबा रास्ता लेनाही पडता है ।
भलेही वो लंबा क्यूँ न हो !
॥ ४ ॥
E हमे सिखाता है !
एकही सिधे रास्ते मे तिन अलग -अलग रास्ते होते है ।
मुख्य रास्ता न छोडकर, तिनो रास्तों का अभ्यास होना जरूरी है ।
॥ ५ ॥
F हमे सिखाता है !
जरूरी नही की, मुख्य रास्ते को तिन रास्ते होते है !
दो भी रास्ते हो सकते है ! तिसरे का मौकाही नही मिल सकेगा !
॥ ६ ॥
G हमे इज्जत सिखाता है !
मूंह में ज़बान तो होती है ! लेकीन ..
उसे 'खाना' और 'गाना' उन दोनोही रास्तोंसे, काबू में रखनाही, समझदारी है ।
॥ ७ ॥
H हमे सिखाता है !
दो कभी न मिलने वाले अलग - अलग रास्ते है ! लेकीन ..
उन्हे जोडा भी जा सकता है !
॥ ८ ॥
I हमे सिखाता है !
एकही रास्ता है बेटा ! जिवन सुखी करने का !
वो है सत्य का रास्ता ! जो सीधा तो है लेकीन ..
चलना कठीण है !
॥ ९ ॥
J हमे सिखाता है ।
इसी हॉकी स्टिक से गोल मारते रहो !
सभी एक ही गेंद के पिछे भागते तो है, लेकीन ..
गोल तुम्हें करना है !
॥ १० ॥
K हमे सिखाता है ।
सरल रास्ते के बिचसे ही, दो अलग रास्ते निकलने है !
लेकीन .. विचलीत न होकर, अपना सरल मार्ग कभी नही छोडना है !
॥ ११ ॥
L हमे सिखाता है !
तुझे जब लगेगा की, मार्ग खत्म हुआ है ! मगर ..
वहीं से दुसरा मोड जरूर मिलता है !
॥ १२ ॥
M हमे सिखाता है ।
मार्ग कितना भी टेढा - मेढा हो
विचलित ना होना !
ऐसी कौनसी मंजिल है, जो आजतक किसीको मिली ही नही ?
॥ १३ ॥
N हमे सिखाता है !
हर रास्ता खत्म होते ही, दुसरा रास्ता जुड जाता है ! लेकीन ..
वो जुडा हुआ रास्ता, दुसरे रास्तेकी शुरुवात हो सकती है !
॥ १४ ॥
O हमे सिखाता है !
पुरी दुनिया गोल है । कही से भी शुरुआत करो, आना वही है !
हम घुम फिरके फिर से उसी रास्ते पहुँचते है ! जहाँ से पहले चलना शुरू किया था ।
॥ १५ ॥
P हमे सिखाता है !
हम मंज़िल तक पहुँचते तो है ! लेकिन ..
मंज़िल पाने के बाद, वही से
दुसरा रास्ता निकलता, वो अपने मंज़िल के आधे रस्ते मे छोडता है !
॥ १६ ॥
Q हमे सिखाता है !
एक बार इस संसार में आए तो, मायाजाल में घुमतेही रह जाओगे ! लेकिन ...
एक ही मार्ग बचता है ! वो है सत्य का ! लेकीन घुमते-घुमते वो नजर नही आता !
॥ १७ ॥
R हमे सिखाता है !
अपने मार्ग पर विचलित न होकर, चलते रहना जरूरी है !
फिर मुकाम तो मिलनाही है !
॥ १८ ॥
S हमे सिखाता है !
जिंदगीकी प्रतियोगिता टेढ़ी मेडी है !
कभी खुशी, कभी ग़म का मजा लेते हुए चलना है !
॥ १९ ॥
T हमे सिखाता है !
जिंदगी के सफर में एक ऐसा त्रिकोण आएगा ! वहाँसे तिन मार्ग होंगे !
जहाँ से तू आया, और मुडना कहाँ है ? बायाँ या दायाँ ?
ये तुझे तय करना है !
॥ २० ॥
U हमे सिखाता है !
बचपन जो तुने छोडा, वो कभी भूलेगा नही !
'बचपन' तुझे नजर तो आएगा, मगर उसी रास्ते जा नही पाएगा !
॥ २१ ॥
V हमे सिखाता है !
तूम जहाँ से चलना शुरूआत करोगे ! तुम्हे दो अलग रास्ते नजर आयेंगे ! लेकीन ..
सही रास्ता तुम्हे तय करना है !
॥ २२ ॥
W हमे सिखाता है !
जिंदगी में उतार -चढाव होतेही है !
बीच में मंज़िल पा कर रुक न जाना, रास्ता और आगेतक जाता है !
॥ २३ ॥
X हमे सिखाता है !
"x" चिन्ह का मतलब हरदम गलत नही होता है !
चारों मार्ग तुम्हारी मंज़िल पर ही जाते है ! देखने का नजरीयाँ बदलना होगा !
॥ २४ ॥
Y हमे सिखाता है !
देखने में दो मार्ग लगते तो है ! लेकीन .. दोनो मार्ग एकही रास्ते मे मिलते है !
सिर्फ दिशा हमें तय करना होती है !
॥ २५ ॥
Z हमे सिखाता है !
एक रास्ता चुना, और मंज़िल पा कर खुशी नही हुयी ! तो ...
वापस निचे आकर शुरुआत से चलना शुरू करना पडेगा, दुसरी मंज़िल पाने के लिये !
॥ २६ ॥
रचनाकार : संगीत महामहोपाध्याय "स्वरचैतन्य" डॉ. मिलिंद इंदूरकर, नागपूर
फोन : -९५५२६०७६४६
दि.१९/०१/२०२३
गुरुवार .