
प्रमुख पहचान पत्र बना ठगी का आधार
भारत में आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) का उपयोग कर साइबर धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ख़ासतौर पर ए, बी और सी श्रेणी के शहरों में लोग अपनी मेहनत की कमाई खो रहे हैं.
अकेले बेंगलुरु में दर्ज 116 नए मामले आंध्र प्रदेश के कडप्पा, तेलंगाना के हैदराबाद, बिहार के नवादा, राजस्थान के भरतपुर, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के छोटे शहरों और कस्बों से जुड़े हैं. इनके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड समेत कई अन्य राज्य भी इसमें शामिल हैं.
आधार कार्ड आजकल भारतीयों का प्रमुख पहचान पत्र बन गया है. इसके साथ ही अब ये धोखेबाजों के लिए लोगों को धोखा देने का प्राथमिक हथियार भी बन गया है.
आधार कार्ड के मामले में क्या करें और क्या न करें, ये सवाल कई लोगों के मन आता है.
विशेषज्ञ की राय जानने से पहले, आइए बेंगलुरु में सामने आए नए मामलों को देखते हैं.
बेंगलुरु में सामने आए नए मामले
बेंगलुरु के मामलों में बिहार के दो लोगों मोहम्मद परवेज़ एज़दानी और अबुज़र शमीम अख़्तर को गिरफ़्तार किया गया है.
इन दोनों ने ओटीपी के लिए फ़ोनकॉल या टेक्स्ट मैसेज के जरिए लोगों से किसी भी तरह का संपर्क नहीं किया. इसके बाद भी लोगों को धोखाधड़ी का पता तब चलता है जब बैंक एक संदेश भेजता है कि आपके खाते से पैसे निकाल लिए गए हैं.
ऐसे केस की कार्यप्रणाली वही है जो पहली बार 2018 में हैदराबाद में देखी गई थी, जब मोबाइल का सिम कार्ड बेचने वाले एक दुकानदार ने लोगों को धोखा देने के लिए उंगलियों के निशान और मोबाइल नंबरों की नकल की थी.
बेंगलुरु मामले में, पीड़ितों ने किसी न किसी समय संपत्तियों की बिक्री या खरीद का रिजस्ट्रेशन कराने के लिए उप-रजिस्ट्रार कार्यालय का दौरा किया था. उनके दस्तावेज़ के पंजीकरण का मतलब है कि स्टाम्प और पंजीकरण विभाग के पोर्टल कावेरी 2.0 पर अपलोड होते ही वे सार्वजनिक दस्तावेज़ बन गए.
आरोपियों ने दस्तावेज़ डाउनलोड किया और पीड़ितों को धोखा देने के लिए उनके आधार नंबर और बायोमेट्रिक विवरण का उपयोग किया. इस मामले में राहत की बात यह हुई कि धोखाधड़ी की गई रकम 25 हजार रुपये प्रतिदिन से अधिक नहीं थी, क्योंकि एईपीएस इससे अधिक किसी भी रकम की निकासी की सुविधा नहीं देता है.
बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर बी दयानंद ने बीबीसी हिंदी को बताया, ''हमें अभी भी इन 116 मामलों में धोखाधड़ी की गई कुल रकम की गणना करना बाकी है. हम अभी भी जांच कर रहे हैं.''
आधार से जुड़े अधिकारियों की सलाह पर स्टांप और पंजीकरण विभाग की महानिरीक्षक ममता गौड़ा ने नए निर्देश जारी किए हैं.
उन्होंने बताया, ''यदि नागरिक आधार कार्ड का उपयोग करना चाहते हैं, तो उन्हें कार्ड पर मौजूद संख्याओं के केवल अंतिम चार अंकों का ही उपयोग करना होगा. वे अन्य आईडी का भी उपयोग कर सकते हैं, जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, वोटर कार्ड आदि. अब से पंजीकृत दस्तावेज़ का केवल पहला पेज ही कावेरी 2.0 पर दिखाई देगा.''
आधार की सुरक्षा पर सवाल
इन मामलों के विभिन्न पहलुओं को लेकर कई सवाल उठे हैं, जैसे क्या डेटाबेस की पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था है, क्या पोर्टल क्लाउड पर एन्क्रिप्टेड है?
गिरफ़्तार किए गए लोग केवल 'बलि का बकरा' हो सकते हैं. उनके पीछे कोई बड़ा गिरोह हो सकता है.
सिक्योरिटी कंसल्टेंसी सर्विसेज के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ शशिधर सीएन ने बताया, ''यह मामला सीबीआई के पास जाने लायक है, क्योंकि यह देश भर के अन्य मामलों के समान है.'
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि केवल सरकारी विभागों या एजेंसियों से जुड़े मामले सामने आए हैं.
मुंबई स्थित डायरेक्ट सेलिंग कंसल्टेंसी, स्ट्रैटेजी इंडिया के प्रांजल आर डैनियल के मुताबिक, देश में 600 से अधिक ऑपरेशन हैं, जो अपने उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए डायरेक्ट सेलिंग मॉडल का उपयोग करते हैं.
इन परिचालनों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023, उपभोक्ता संरक्षण (प्रत्यक्ष बिक्री) नियम 2021 और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020 जैसे नियमों का पालन करना होगा. ऐसे में, उन्हें भारत में स्थित सर्वर पर संवेदनशील और महत्वपूर्ण डेटा जमा करने की ज़रूरत होती है.
हालाँकि, कई डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां अभी भी अपने डायरेक्ट विक्रेताओं और ग्राहकों का व्यक्तिगत डेटा भारत के बाहर स्थित सर्वर पर संग्रहित करती हैं. यह डेटा ग्राहकों के पंजीकरण और उनके ऑर्डर देने के दौरान जमा किया जाता है.
उन्होंने कहा, "कई फर्जी मल्टिलेवल मार्केटिंग स्कीम खुद को डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के रूप में पेश करती हैं, निवेशकों से पैसा निकालने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हुए संवेदनशील डेटा इकट्ठा करती हैं और बेचती हैं. हमारे देश में हर हफ्ते 20 से अधिक ऐसे ऑपरेशन किए जाते हैं."
वो कहते हैं, "हमारी टीम धोखाधड़ी वाले एमएलएम ऑपरेशन की पहचान करने और उनका विश्लेषण करने के लिए हर हफ्ते लगन से काम करती है. उन्हें हम अपनी स्कैम अलर्ट सूची में शामिल करते हैं. यह जनता को पोंजी एमएलएम योजनाओं में अपना समय, पैसा, ऊर्जा और गुडविल निवेश करने के प्रति सावधान करने के लिए है. वर्तमान में, हमारी वेबसाइट पर 4,000 से अधिक ऐसे एमएलएम घोटालों की लिस्ट दी गई है.''
प्रांजल कहते हैं, एमएलएम ऑपरेशन में केवाईसी के लिए लोगों को अपने आधार के विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए.
आधार को करें लॉक और अनलॉक
मुंबई स्थित ओपन लायबिलिटी एलायंस के प्रमुख दिनेश बरेजा ने बताया, ''आधार कार्ड खुद को पहचानने का सबसे आसान तरीका बन गया है, लेकिन उसमें ऐसे सुरक्षा उपाय हैं जिनसे लोग काफी हद तक अनजान हैं. एक बार उपयोग करने के बाद आप कार्ड को ब्लॉक कर सकते हैं. जब आपको इसकी जरूरत हो, आप उसे अनलॉक कर सकते हैं. यह आपके क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के लिए लेन-देन सीमा निर्धारित करने जैसा है. पाबंदी लगाना आपके हाथ में है.''
वो कहते हैं, ''मुझे नहीं पता कि लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने पर कोई पैसा क्यों खर्च नहीं किया जाता है. आधार में लॉक और अनलॉक करने की सुविधा है. लेकिन यह इतनी बड़ी वेबसाइट है कि लोगों को पता नहीं है कि यह सुविधा कहां मिलेगी. किसी भी रूप में होने वाली चोरी के शुरू होने का प्रारंभिक बिंदु यह है कि आपने जानबूझकर या अनजाने में किसी चीज़ पर क्लिक किया है. इसके बाद आप पर आपराधिक हमला हो जाता है. यह वैसे ही है जैसे कि कोई चोर आपके घर में घुस आया हो. चोरी करने से पहले वह कुछ देर तक घर का निरीक्षण करता है.''
साइबर विशेषज्ञों, सलाहकारों और पुलिस से बातचीत के आधार पर आइए जानते हैं कि क्या करें और क्या न करें.
— दस्तावेजों में आधार कार्ड के नंबर का उपयोग करना अनिवार्य नहीं है. वास्तव में, कानून में यह अनिवार्य है कि आधार का उपयोग केवल कुछ परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए.
— बैंक खाते खोलने, मोबाइल कनेक्शन लेने, स्कूल में एडमिशन लेने, निजी कंपनियों को बताने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या राशन कार्ड जैसे दूसरे पहचान पत्रों का उपयोग करना चाहिए.
— अगर किसी दस्तावेज़ को सार्वजनिक किया जा रहा है तो पूरा आधार नंबर न लिखें. अपने आधार कार्ड नंबर के केवल अंतिम चार अंक का ही उपयोग करें.
— आप अपने आधार कार्ड के अंतिम चार अंकों के साथ 1947 पर एक एसएमएस भी भेज सकते हैं. इस तरह अस्थायी उपयोग के लिए एक वर्चुअल आईडी नंबर प्राप्त होगा.
— एक बार इस्तेमाल करने के बाद आधार कार्ड को लॉक किया जा सकता है. कार्ड को लॉक या अनलॉक करने की सुविधा यूआईडीएआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
— सरकारी संस्थानों/संगठनों को उंगलियों के साफ निशान की अनुमति नहीं देनी चाहिए. दस्तावेज़ पर उंगलियों के निशान अस्पष्ट होने चाहिए.
— यदि दस्तावेज़ों की प्रतियां ली जा रही हैं और अंगूठे का निशान लिया जा रहा है तो उस निशान को मिटा देना चाहिए ताकि कोई उसकी नकल न बना सके.
— एक ही दस्तावेज़ पर आधार नंबर, फिंगरप्रिंट और नाम का इस्तेमाल न करें.
अपने बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड पर सभी लेनदेन की एक सीमा तय करें. जब आप इसका उपयोग करें तभी इसे डिसेबल करें.
— यदि आप साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत साइबर धोखाधड़ी के राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें. पुलिस उस खाते को ट्रैक करेगी जहां पैसा ट्रांसफर किया गया है और राशि वापस पाने का प्रयास करेगी. पैसे की रिकवरी भाग्य की बात है.
साभार, इमरान क़ुरैशी
बेंगलुरु से, बीबीसी हिंदी के लिए