
खानपान से सभ्यता संस्कृति की समझ
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सोमवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में पत्रकार व लेखक सुबोध कुमार नंदन की चौथी पुस्तक बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान का लोकार्पण किया. इस पुस्तक का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन, नयी दिल्ली ने किया है. इससे पूर्व सुबोध नंदन की तीन पुस्तकें बिहार के पर्यटन स्थल, बिहार के मेले और बिहार के ऐतिहासिक गुरुद्वारे प्रकाशित हो चुकी हैं. गौरव की बात यह है कि तीनों पुस्तकों को पर्यटन मंत्रालय (भारत सरकार) की ओर से राष्ट्रीय स्तर के राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
इस मौके पर राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने कहा कि सुबोध नंदन की चारों पुस्तकें बिहार के समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं, रीति-रिवाजों और ऐतिहासिक मेलों तथा धार्मिक धरोहरों से रूबरू होने के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी हैं. खासकर युवा पीढी को इन पुस्तकों को पढ़ना चाहिए.
कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी’ जैसी कहावत तो एक वैश्विक लोकोक्ति-सी बन गई है, किन्तु भारत और खास कर बिहार राज्य में यह कुछ अधिक ही चरितार्थ होती है. हमारा देश भारतवर्ष विविधताओं का देश कहा जाता है और हमारा बिहार सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक-राजनीतिक और धार्मिक-दार्शनिक आदि विविधताऑ के साथ-साथ भाषा-बोली, कला-संस्कृति, हवा-पानी, रहन-सहन, तीज-त्योहार, खान-पान और व्यंजन-पकवान आदि के मामले में भी मिनी भारत होने का अनुभव करता है. देश-विदेश से यहां आने वाले लोग न केवल ज्ञान-विज्ञान की पोथियां लाद कर ले गए, बल्कि यहां के आचार-विचार, पर्व–त्योहार, अतिथि सत्कार और भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यंजनों–पकवानों के कभी न भूलने वाले स्वाद भी सहेज कर ले गए. इस तरह यहां आनेवालों के दिलोदिमाग में यहां की हर एक चीज बिहार की पहचान के रूप में रच-बस जाती है. उन्हीं में से कुछ ऐसी चीजें हैं जो सर्वसाधारण के जन-जीवन से ले कर विशेष वर्ग में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं, वे हैं बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान! प्रस्तुत पुस्तक “बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान” उसी लोकप्रिय बिहारीपन के बारे में विस्तार से बात करती है.
लेखक ने 120 अध्यायों की अपनी इस पुस्तक के 57 अध्यायों में बिहार के पर्व-त्योहारों की तथा 63 अध्यायों में खानपान की जानकारी विस्तार से दी है. यह पुस्तक बिहारी तीज-त्योहार और खानपान की समृद्ध परंपरा को जानने-समझने का माध्यम तो होगी ही, बिहार के पर्यटन विकास में भी सहायक होगी.
राज्यपाल ने कहा कि समाचार पत्रों में सामाजिक खबरों को वह अपेक्षित महत्व नहीं दिया जाता है, जिसके वे हकदार हैं. सामाजिक खबरों को पेज छह और पांच पर किसी कोने में छोटी खबर के रूप में प्रकाशित कर दिया जाता है, जबकि अपराध, लूटपाट, चोरी और बलात्कार जैसी खबरों को प्रमुखता के साथ पेज तीन-चार पर जगह दी जाती है. यह सच है कि अखबारों की अपनी कुछ बंदिशें है. इसके बावजूद काफी संभावनाएं हैं.
इस मौके पर बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल, बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ के महासचिव रमेश चंद्र तलरेजा, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राम लाल खेतान, संपादक, प्रभात खबर बिहार अजय कुमार, भारतीय स्टेट बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव अमरेश विक्रमादित्य आदि मौजूद थे.