
चांद की मिट्टी और चंद्र अभियानों के शोध
लाइव साइंस के लिए स्टेफ़नी पप्पस का लेख
एक नए विश्लेषण से पता चला है कि चंद्रमा की अधिकांश सतह पहले के अनुमान से 200 मिलियन वर्ष पुरानी है. इसपर एक एक गड्ढा-युक्त क्षेत्र है मारे इम्ब्रियम (The Mare Imbrium), जहां कथित रूप से चंद्रमा पर मनुष्य रहता है.
नए शोध से पता चला है कि चंद्रमा की सतह का एक हिस्सा विशेषज्ञों द्वारा पहले सोचे गए अनुमान से कहीं अधिक पुराना है, जिसमें प्रतिष्ठित "चंद्रमा में मनुष्य" को चिन्हित करने वाले कई क्रेटर उस भू-आकृति से करोड़ों वर्ष पहले के हैं.
चंद्रमा 4.5 अरब वर्ष से अधिक पुराना है. इसका निर्माण तब हुआ जब एक विशाल क्षुद्रग्रह या ग्रह पिंड युवा पृथ्वी से टकराया, जिससे चट्टान और धूल के टुकड़े कक्षा में फेंक दिए गए. हालाँकि, चंद्रमा की सतह की आयु निर्धारित करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि विभिन्न विधियाँ अलग-अलग परिणाम देती हैं.
शोधकर्ताओं की मानें तो चांद पर गड्ढों की गणना का एक तरीका है, जिनसे चंद्र सतह पर उसके अस्तित्व में बने रहने की स्थिति का पता चलता है. उनकी संख्या का पता लगाने से लेकर उनका मिलान करना असान नहीं है. कारण चंद्रमा में कटाव और प्लेट टेक्टोनिक्स का अभाव है जो पृथ्वी पर गड्ढों को मिटा देता है. इसलिए सतह सहस्राब्दियों तक अपेक्षाकृत अपरिवर्तित रहती है. फिर भी क्रेटर की गिनती हमेशा उन डेटिंग परिणामों से मेल नहीं खाती है, जो वैज्ञानिकों को अपोलो मिशन के चालक दल द्वारा चंद्रमा पर से लाई गई उसकी चट्टानों का सीधे अध्ययन करने से मिलती है.

अब, शोधकर्ताओं ने बड़ी मेहनत से चंद्रमा की चट्टान के नमूनों के डेटिंग परिणामों को उन साइटों के साथ जोड़ने का काम किया है. जहां से उन्हें एकत्र किया गया था.
ओस्लो विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर प्लैनेटरी हैबिटेबिलिटी के भूविज्ञानी और अध्ययन शोधकर्ता स्टेफ़नी वर्नर ने एक बयान में कहा, "हमने यह दिखाने के लिए ऐसा किया है कि चंद्र परत का बड़ा हिस्सा अनुमान से लगभग 200 मिलियन वर्ष पुराना है." इस शोध को लेखकों ने इस सप्ताह फ्रांस में गोल्डस्मिड्ट जियोकेमिस्ट्री सम्मेलन में प्रस्तुत किया था, जिसे द प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया गया है.
शोधकर्ताओं ने अपोलो, लूना और चांग ई मिशनों द्वारा चंद्र सतह से लौटाए गए नमूनों की जांच की, और फिर उन स्थानों के आसपास के गड्ढों की गिनती की, जहां ये चट्टानें मूल रूप से पाए गए थे, ताकि उम्र का सही संबंध हो सके. फिर, उन्होंने चंद्र सतह पर उस जानकारी को सामान्यीकृत किया ताकि उन क्षेत्रों की बेहतर आयु का अनुमान लगाया जा सके जहां केवल क्रेटर गिनती से जानकारी मिलती है, चट्टान के नमूनों से नहीं.
इन्हीं में एक क्षेत्र जो अपेक्षा से अधिक पुराना था वह मारे इम्ब्रियम था. यह गड्ढा, जो अब चिकनी लावा प्रवाह से भरा हुआ है. शोधकर्ताओं ने बताया कि यह गड्ढा 3.9 अरब साल पुराना होने के बजाय 4.1 अरब साल पुराना है.
वर्नर इसे एक महत्वपूर्ण अंतर बताते हैं. इससे अंतरिक्ष से बमबारी की तीव्र अवधि को पीछे धकेलने की अनुमति मिलती है, जिसे अब जानते हैं कि व्यापक ज्वालामुखी गतिविधि से पहले हुआ था. इसने ही 'चंद्रमा पर मनुष्य' पैटर्न का निर्माण किया था. जैसा कि चंद्रमा पर हुआ था, पृथ्वी लगभग उसी काल की थी.
जर्मनी में बेयरुथ विश्वविद्यालय के एक प्रायोगिक ग्रहविज्ञानी ऑड्रे बाउवियर ने एक बयान में कहा, यह शोध वैज्ञानिकों को उस भूविज्ञान को इंगित करने में मदद कर सकता है जिसने पृथ्वी पर और शायद मंगल ग्रह पर जीवन के उदय के लिए मंच तैयार किया है.
बाउवियर, जो अध्ययन में शामिल नहीं थे, ने कहा, "इतनी भारी बमबारी की अवधि ने पृथ्वी और संभावित रूप से मंगल जैसे अन्य ग्रहों पर जीवन की उत्पत्ति और प्रारंभिक विकास को प्रभावित किया होगा।" "मंगल ग्रह पर जेज़ेरो क्रेटर से चट्टान के नमूने वापस लाना सौर मंडल में किसी अन्य ग्रह पर प्राचीन जीवन के संकेतों की खोज के लिए अगली बड़ी छलांग होगी।"