
जरा हटके, जरा बचके, रहें संभल के!
साइबर क्राइम में लगातर बढ़ोत्तरी हो रही है. इससे बचाव के जितने भी उपाय किए जा रहे हैं, उनसे राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. साइबर अपराधी तू डाल डाल तो मैं पात पात मुहाबरे को चरितार्थ करने में लगे हैं. वैसे में साफ्टवेयर डेवलपर और तकनीक के जानकारों के अलावा पुलिस प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है. इस संबंध में दिल्ली पुलिस के आईएफएसओ यूनिट डीसीपी प्रशांत गौतम ने पूछे गए कई सवालों के जो जवाब दिए वे इस प्रकार हैं:

1. दिल्ली पुलिस की नजर में साइबर अपराध किस तरह के हैं, जिसे लेकर उनके पास शिकायतें मिलती हैं?
मूलत साइबर अपराध की श्रेणी इस प्रकार हैं
i.सोशल मीडिया साइबर क्राइम: सोश्ल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाने के लिए आम वेबसाइट/ऐप जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और लिंक्डइन आदि प्रयोग किए जाते हैं। साइबरस्टॉकिंग, साइबरबुलिंग, हैकिंग, सेकस्टिंग, अवैध चीजें खरीदना, फर्जी प्रोफाइल बनाना, नकली ऑनलाइन दोस्ती सोश्ल मीडिया साइबर क्राइम के कुछ उदाहरण हैं।
ii.ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी साइबर क्राइम: इसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी के विभिन्न रूप शामिल हैं, जैसे फ़िशिंग घोटाले, पहचान की चोरी, अग्रिम शुल्क धोखाधड़ी, ऑनलाइन नीलामी धोखाधड़ी और निवेश धोखाधड़ी।
2. दिल्ली पुलिस साइबर अपराध से निपटने के लिए कैसे इंतजाम किए हैं?
— साइबर क्राइम सेल/यूनिट व साइबर थानों की स्थापना की गयी है।
— साइबर क्राइम दर्ज करने की प्रक्रिया मजबूत की गयी है जैसे NCRP पोर्टल, www.cybercrime.gov.in व ऑनलाइन वित्तीय साइबर धोखाधड़ी हेल्पलाइन 1930।
— NCRP पोर्टल पर शिकायत का क्लस्टर एनालिसिस करके नए साइबर क्राइम करने के तरीकों की रणनीति तैयार की जाती है।
— साइबर क्राइम के उभरते हॉट स्पॉट की पहचान करके उनके खिलाफ सयुंक्त अभियान किया जाता है।
— अन्य एजेंसियों जैसे FIU, SFIU, ED के सहयोग से क्रॉस बार्डर साइबर क्राइम पर अंकुश लगाया जाता है।
— 24 घंटो के अन्दर साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की एफ.आई.आर. व शिकायतें बैंकों के पास नियमित रूप से पहुँच रही हैं।
— IFSO Unit द्वारा 1930 हेल्पलाइन पर साइबर वितीय धोखाधड़ी की लाग बुक का कार्य पूरा हो गया है, और लॉग generate होने शुरू हो गए हैं।
— बैंकों को अवकाश के दिनों में निर्बाध रूप से सेवा प्रदान करने के विषय में और साइबर वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित शिकायत की प्राप्ति व धोखाधड़ी वाले धन को अवरुद्ध करने के लिए 1930 पर काल प्राप्त करने के बीच के अंतराल को कम करने के विषय मे I4C, MHA और IFSO UNIT द्वारका, दिल्ली द्वारा विमर्श के लिए RBI और बैंकों से गोष्ठी की गयी। व सभी बैंकों व Wallets/NPCI को एक प्लैटफ़ार्म पर लाकर कॉमन कॉल सेंटर बनाने की सहमति बनी है जिसका प्रोपोजल तैयार किया जा रहा है।
— साइबर क्राइम में शामिल मोबाइल नंबर व IMEIs की पहचान करके उनको ब्लॉक करने के लिए DoT की मदद ली जा रही है।
— साइबर जागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से किए जाते हैं।
— सभी पुलिसकर्मियों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाता है।
— साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला NCFL की स्थापना की गयी है जिससे फोरेंसिक/साईंटिफ़िक तफतीश की जा सके।
3. बीते सालों में कितने साइबर अपराधी पकड़े गए हैं? उनपर कानून की की धारा के तहत कार्रवाई होती है? साइबर अपराधी को किस तरह की सजा का प्रावधान है?
IFSO यूनिट द्वारा साल 2021 में 369, साल 2022 में 299 व साल 2023 में अब तक 157 साइबर अपराधी पकड़े गये हैं। जिनके खिलाफ IT Act, IPC व अन्य संबन्धित Act के तहत कार्यवाही की गयी है। संबन्धित धारा व Act के तहत हर साइबर अपराध की सजा का प्रावधान अलग अलग है।
4. साइबर अपराधी नए नए तरीके इजाज कर ले रहे हैं. उसे रोकने या उस पर नजर रखने के लिए दिल्ली पुलिस की क्या तैयारी है?
— NCRP पोर्टल पर शिकायत का क्लस्टर एनालिसिस करके नए साइबर क्राइम करने के तरीकों से निपटने की रणनीति तैयार की जाती है।
— साइबर क्राइम के उभरते हॉट स्पॉट की पहचान करके उनके खिलाफ सयुंक्त अभियान किया जाता है।
5. दिल्ली पुलिस के साफ्टवेयर डेवलपर की टीम है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हों?
पुलिस मुख्यालय व जिला मुख्यालय में वीडियो एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम आदि की सुविधा वाले कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की स्थापना 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' के तहत की जा रही है।
— 'सेफ सिटी प्रोजेक्ट' के तहत निवारक और उपचारात्मक कार्रवाइयों के लिए वीडियो का और विश्लेषण और कार्रवाई योग्य चेतावनियां/अलर्ट तैयार किया जाएगा।
6. साइबर क्राइम द्वारा वसूली की रकम या खाते में सेंधमारी कर हड़पी गई राशि को वापस दिलवान के तरीके हैं?
दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C) के अध्याय 34 के अन्तर्गत साइबर क्राइम द्वारा वसूली की रकम या खाते में सेंधमारी कर हड़पी गई राशि की वापसी का प्रावधान है।
7. सामान्य नागरिकों को पुलिस द्वारा एहतियात बरतने के लिए किस तरह की जानकारी दी गई है?
पुलिस ने नागरिकों को मजबूत पासवर्ड रखने, सुरक्षित ऑनलाइन अभ्यास करने, सुरक्षित ऑनलाइन खरीदारी और बैंकिंग प्रथाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करने, जैसे विश्वसनीय वेबसाइटों और भुगतान गेटवे का उपयोग करने, सुरक्षित वेबसाइट संकेतकों (जैसे HTTPS) की जांच करने और नियमित रूप से वित्तीय लेनदेन की निगरानी करने की सलाह दी है। किसी भी अनधिकृत गतिविधि के लिए, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गोपनीयता सेटिंग्स के बारे में व्यक्तियों को शिक्षित करना, संवेदनशील जानकारी को सार्वजनिक रूप से साझा करने के जोखिम और फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करते समय या अज्ञात व्यक्तियों के साथ ऑनलाइन बातचीत करते समय सतर्क रहने का महत्व, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन या मल्टी के उपयोग को प्रोत्साहित करना -फैक्टर ऑथेंटिकेशन जहां भी उपलब्ध हो। यह उपयोगकर्ताओं को उनके पासवर्ड के साथ एक पंजीकृत मोबाइल नंबर या ईमेल पर भेजे गए कोड जैसे एक अतिरिक्त सत्यापन कारक प्रदान करने की आवश्यकता के द्वारा सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है।
8. क्या साइबर अपराध की तहकीकात के दरम्यान पीड़ित के साथ भी कार्रवाई होती है?
जांच प्रक्रिया में सबूत इकट्ठा करने के लिए पीड़ित के डिजिटल उपकरणों, नेटवर्क लॉग या अन्य प्रासंगिक जानकारी की जांच शामिल हो सकती है। यह साइबर अपराध की प्रकृति को समझने, संभावित कमजोरियों की पहचान करने और सबूत इकट्ठा करने के लिए किया जाता है जिसका उपयोग मामले की जांच और अभियोजन में किया जा सकता है।
9. बदनाम करने के लिए वायरल किए गए वीडियो, आडियो या तस्वीरों की फैक्ट चेकिंग का कोई तरीका इजाद किया गया है?
— फोरेंसिक विश्लेषण: मीडिया सामग्री की प्रामाणिकता और अखंडता का विश्लेषण करने के लिए उन्नत फोरेंसिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इसमें डिजिटल फ़िंगरप्रिंट की जांच करना, हेरफेर के संकेतों की पहचान करना या छेड़छाड़ के संकेतों के लिए ऑडियो तरंगों का विश्लेषण करना शामिल हो सकता है।
— जियोलोकेशन और टाइमस्टैम्प वेरिफिकेशन: OSINT टूल्स का इस्तेमाल लोकेशन और टाइमस्टैम्प को वेरिफाई करने के लिया किया जाता है। यह सामग्री के संदर्भ और सटीकता को स्थापित करने में मदद करता है।
— विशेषज्ञ परामर्श: जटिल मामलों में, तथ्य-जांचकर्ता अतिरिक्त अंतर्दृष्टि और विशेषज्ञता हासिल करने के लिए छवि फोरेंसिक, ऑडियो विश्लेषण, या वीडियो संपादन जैसे क्षेत्रों में विषय वस्तु विशेषज्ञों या विशेषज्ञों से परामर्श कर सकते हैं।
प्रस्तुति: उमेश त्रिवेदी