फर्जी कॉल के बाद नकली आवाज बना खतरा
अगर आप सोशल मीडिया, वॉयस नोट्स और दूसरे किसी माध्यम से अपनी आवाज रिकार्ड करते हैं तो सावधान हो जाइए. आपकी आवाज का दुरूपयोग हो सकता है. आपकी आवाज साइबर अपराधियों के हाथ लग सकती है और आप नकली आवाज घोटाले के भागीदार बन सकते हैं. 80 फीसदी से अधिक भारतीयों की आदत बन चुकी है कि वे अपना वॉयस डेटा ऑनलाइन या रिकॉर्ड किए गए नोट्स में शेयर करते हैं. नई जानकारी के अनुसार एआई वॉयस क्लोनिंग स्पैम का मामला सामने आया है, जिसके चलते 83 फीसदी भारतीयों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है.
अब तक लोग स्पैम कॉल और फर्जी संदेशों का सामना कर रहे थे, लेकिन अब डिजिटल दौर में एआई-लिंक्ड वॉयस क्लोनिंग घोटाले सामने आने लगे हैं. इस बारे में निकाले गए निष्कर्ष के अनुसार पता चला है कि 69 फीसदी भारतीयों को एआई आवाज और इंसानी आवाज के बीच के अंतर को न तो जनते हैं और न ही समझ नहीं है. इस के चलते उन्हें नुकसान उठान पड़ता है.
इस बारे में खुलासा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के द्वारा किए गए जांच के बाद सामने आया. ट्राई ने अपनी कॉल और संदेश सेवाओं में एआई का उपयोग करके अवांछित स्पैम कॉल और संदेशों की जांच करने के लिए 1 मई को ऑपरेटरों के लिए नए दिशानिर्देश लागू किए थे.
इसे लेकर वैश्विक साइबर सुरक्षा कंपनी McAfee Corp. ने एक एक रिपोर्ट तैयार की है. उसके द्वारा 'द आर्टिफिशियल इम्पोस्टर' शीर्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 83% भारतीयों ने वित्तीय नुकसान की सूचना दी, जिसमें 48% को 50,000 रुपये से अधिक का नुकसान हुआ. रिपोर्ट के अनुसार लगभग आधे भारतीय वयस्कों (47%) ने AI वॉयस स्कैम का अनुभव किया.
इसे देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि इस नवीनतम एआई घोटाला से डिजिटल लाइफ के लिए एक नया खतरा पैदा हो गया है. क्योंकि शोधकर्ताओं का कहना है कि साइबर अपराधियों को किसी की आवाज की क्लोनिंग करने का एक हथियार हाथ लग चुका है.
इस मामले को लेेकर भारत समेत सात देशों के 7,054 लोगों को शामिल कर दुनिया भर में सर्वेक्षण किया गया. उसके बाद ही पता चला कि कैसे एआई तकनीक ऑनलाइन वॉयस स्कैम में वृद्धि को बढ़ावा दे रही है, जिसमें किसी व्यक्ति की आवाज को क्लोन करने के लिए केवल तीन सेकंड के ऑडियो की आवश्यकता होती है.
McAfee के शोध के अनुसार, स्कैमर आवाज़ों को क्लोन करने के लिए AI तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और फिर एक फर्जी वॉइसमेल या वॉइस नोट भेजते हैं, या पीड़ित के संपर्कों को सीधे फोन भी करते हैं, जो खतरे में होने का नाटक करते हैं.
इस बारे में टीम ने मामले की जांच के तहत कई सप्ताह तक नजर गड़ाए हुए थे. उन्हें एक दर्जन से अधिक स्वतंत्र रूप से उपलब्ध एआई वॉयस-क्लोनिंग टूल मिले. यहां तक कि मीडिया के एक ग्रुप ने भी जब सर्चइंजन Google की साधारण खोज की तब उन्हें ट्विटर बॉस एलोन मस्क, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, अभिनेता टॉम हैंक्स और यहां तक कि दिवंगत अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के क्लोन ऑडियो के डेमो मिले.
McAfee के यह भी कहना है कि ऑनलाइन मुफ़्त और सशुल्क दोनों तरह के ऐसे टूल उपलब्ध हैं. इस आधार पर टीम ने नोट किया कि केवल तीन सेकंड का ऑडियो 85% मैच उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त था (वॉइस मैच सटीकता के स्तर को दर्शाए गए हैं जो McAfee सुरक्षा शोधकर्ताओं के बेंचमार्किंग और मूल्यांकन पर आधारित हैं), लेकिन अधिक निवेश और प्रयास के साथ इसकी सटीकता या कहें गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती थी.
इस तरह के टूल से नकली आवाज बनाई जा सकती है, जिस का इस्तेमाल संबंधित लोगों के लिए कर मनचाही मांगे की पूर्ति कर सकता है.
इंटरनेट उपयोग कर्ता के लिए खतरा
नील्सन की इंडिया इंटरनेट रिपोर्ट 2023 के अनुसार दिसंबर 2022 में भारत की इंटरनेट उपयोग करने वाली आबादी 720 मिलियन से अधिक हो गई है, जो एक नए प्रकार के वॉयस-आधारित साइबर घोटाले की चपेट में आ सकती है, जिसमें स्कैमर्स उपयोगकर्ता की आवाजों को दोहराने के लिए एआई अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिना सोचे-समझे लोगों पर साइबर हमले में उनका फायदा उठा सकते हैं.
McAfee की रिपोर्ट में किए गए खुलासे के अनुसार 47% भारतीय उपयोगकर्ता या तो किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं या जानते हैं जो जनवरी-मार्च में एआई वॉयस क्लोनिंग घोटाले का शिकार हुआ था.
एआई वॉइस-क्लोनिंग स्कैम में आई तेजी जनरेटिव एआई में बढ़ती रुचि के अनुसार हो रहा है, जहां एल्गोरिदम उपयोगकर्ता इनपुट को टेक्स्ट, इमेज या वॉइस फॉर्मेट में प्रोसेस करते हैं और उपयोगकर्ता के प्रश्नों और विशिष्ट प्लेटफॉर्म के आधार पर परिणाम उत्पन्न करते हैं.
उदाहरण के लिए, 9 जनवरी को, Microsoft ने Vall-E पेश किया, जो एक जेनरेटिव AI- आधारित वॉयस सिम्युलेटर है. यह उपयोगकर्ता की आवाज़ की नकल करने में सक्षम है और केवल तीन सेकंड के ऑडियो नमूने का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं के साथ अनूठी टॉन्सिलिटी उत्पन्न करता है.
कई अन्य समान उपकरण, जैसे कि सेंसरी और रेम्बल एआई भी मौजूद हैं। अब स्कैमर इन उपकरणों का उपयोग उपयोगकर्ताओं को धोखा देने के लिए कर रहे हैं, वैश्विक स्तर पर पीड़ितों की सूची में भारतीय शीर्ष पर हैं.
McAfee के आंकड़ों में कहा गया है कि 70% तक भारतीय उपयोगकर्ताओं द्वारा चोरी, दुर्घटनाओं और अन्य आपात स्थितियों का हवाला देते हुए वित्तीय सहायता मांगने वाले दोस्तों और परिवार के वॉयस क्वेरी का जवाब देने की संभावना है, जापान और फ्रांस में उपयोगकर्ताओं के बीच यह आंकड़ा 33% तक कम है. जर्मनी में 35% और ऑस्ट्रेलिया में 37% है.
भारतीय उपयोगकर्ता उन उपयोगकर्ताओं की सूची में भी शीर्ष पर हैं जो नियमित रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज के किसी न किसी रूप को साझा करते हैं - छोटे वीडियो में सामग्री के रूप में, या मैसेजिंग समूहों में वॉयस नोट्स के रूप में भी है. स्कैमर्स, इस नोट पर, उपयोगकर्ता के वॉयस डेटा को स्क्रैप कर एआई एल्गोरिदम को फीड कर और वित्तीय घोटालों को लागू करने के लिए क्लोन की गई आवाजें उत्पन्न करके इसका लाभ उठा रहे हैं.
दिल्ली स्थित साइबर सुरक्षा फर्म, इंस्टासेफ के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप पांडा ने कहा कि जनरेटिव एआई "तेजी से परिष्कृत सामाजिक इंजीनियरिंग हमलों को बनाने में मदद कर रहा है, विशेष रूप से टियर- II शहरों और उससे आगे के उपयोगकर्ताओं को लक्षित कर रहा है।"
प्रस्तुति: मैगबुक