
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा?
यह कुछ पंक्तियां उन सभी उम्र दराज 70—80 साल की महिलाओं को समर्पित हैं, जिनके चेहरे पर झुर्रियां हैं और उन्हें उम्र का एहसास दिलाया जाता है कि वे अब सुंदर नहीं हैं...
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा?
आकाश की न परियां होगी।
तेरी आंखों में जो चिंतन है।
जीवन भर का मंथन है।
तेरे चेहरे पर जो झुर्रियां हैं
अनुभव की कई लड़ियां हैं।
तेरी होठों पर जो चुप्पी है।
सुख-दुख झेली दृश्य की है।
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा
आकाश की न परियां होगी।
तेरी हाथों में जो लकीरे हैं
बच्चों के पालने की तस्वीरें हैं
तेरे उजले केशों की खूबसूरती
जीवन बसंत की कहानी है
तुम्हारी खूबसूरती क्या कम होगी?
जिनकी हाथों में रोटियों की खुशबू है।
जो पेट काटकर बच्चों को खिलाया
उस भावना से सुंदर क्या होगा?
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा
आकाश की न परियां होंगी।
मां बेटी पत्नी के रूप में तुमने
कितने कार्य संभाला होगा।
रात दिन जाग कर तूने
कितने फर्ज निभाया होगा।
चावल के दानों को चुनकर
कितनों को खिलाया होगा।
पढ़ी लिखी हो या न होकर भी
कितने अनुभव सिखाया होगा
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा
आकाश की न परियां होगी।
हां, आंखों की रोशनी कम होगी
पर, चमक न उसकी जाएगी।
लाचार, बेबस हो सकती हो
पर, आशीष तेरा क्या कम होगा?
यथार्थ यही है प्रिय
तेरी सुंदरता न कभी कम होगी।
जिसके आशीष से यह दुनिया है।
उसकी महत्ता क्या कम होगी?
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा
आकाश की न परियां होगी।
तू तो अखंड ज्योति है।
तुमसे तो रोशन जग होगा।
जीवन का सत्य बुढ़ापा है।
उस सत्य से बढ़कर क्या होगा?
जिसकी मृत्यु बुढ़ापा में हो
उस मृत्यु से बढ़कर क्या होगा?
यौवन तो एक मस्ती है।
अनुभव से सजती गृहस्ती है।
तू तो सांझ की बाती है
तुमसे ही तो घर जगमग है।
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा
आकाश की न परियां होगी।
तू दुआओं की एक देवी है
जिससे कि खुशियां फूलती है।
जननी तू तो प्रकृति है।
जिस पर दुनिया कायम है।
रेगिस्तान में जो फूल खिला दे
वैसी ही आस तू रखती है।
तुम मन पर बोझ न रख प्रिय
तुमसे सुंदर कोई भी नहीं ।
इस जगत में हीं नहीं प्रिय
ब्राह्मण्ड में कोई न होगा।
तुमसे सुंदर कोई क्या होगा?
आकाश की न परियां होगी ।
अंजू कुमारी, गया(बिहार)