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मचलती, चहकती, संवरती जिंदगी
वृशाली घोडेस्वार
जिंदगी...ईईई... ये कैसी पहेली है... चलते—चलते भीड़ मे ये तो अकेली है... जिंदगी ये कैसी पहेली है! चलते—चलते भीड़ में ये तो अकेली है!! कोई साथ देता है चलते—चलते... चाहत के ये कैसे हैं रिश्ते जिंदगी तो किताबों की तरह पन्ने बदलती रहती है. राहों में चलते—चलते गुम हो जाती है...
जिंदगी ये कैसी पहेली है... चलते चलते भीड़ मे ये तो अकेली है
लगता है दिल को जिंदगी में कोई साथ दे तो गुजरते—गुजरते हमसफर अगर मिल जाये तो... लगता है जिंदगी संवर जायेगी!
जिंदगी का कोई भी सामना अकेले करना पड़ता है कभी भीड़ मेें तो... लगता है तन्हा रहना पड़ेगा!
जिंदगी ये कैसी पहेली है... चलते चलते भीड़ में ये तो अकेली है!
जिंदगी तो जिंदगी की है दुश्मन... चलते चलते भीड़ में महसूस होता है अकेलापन! कसौटी लेती है हरवक्त ये जिंदगानी...
कभी करती है नफरत तो कभी करती है दिवानगी ऐसी जिंदगी की हकीकत है यही तो तकदीर... और किस्मत है!
जिंदगी ये कैसी पहेली है! चलते चलते भीड़ मेें ये तो अकेली है!!
परिचय युवा गीतकार वृशाली घोडेस्वार की मूल पहचान उनकी भावपूर्ण गीतों से है, जिसे गाया गुनगुनाया जा सकता है. वृशाली बेस्ट राइटिंग अवार्ड 2022 भी हासिल कर चुकी है. साथ ही इन्हें पूणे में झांसी की राणी अवॉर्ड मिला है.