आजादी
स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
15 अगस्त 2022 को भारत अपनी आजादी का 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस अवसर पर भारत सरकार आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्र प्रथम, हमेशा प्रथम थीम के साथ कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन करवा रही है। सरकार का लक्ष्य इस अवसर पर पूरे देश में 20 करोड़ तिरंगे फहराना है।
स्वतंत्रता दिवस हमेशा से सभी भारतीयों के लिए खास रहा है। इस दिन प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू की गई यह परंपरा आज तक जारी है। इस साल लाल किले से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण देंगे।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1929 के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया। कांग्रेस पूर्ण स्वतंत्रता की अपनी मांग को पूरी ताकत से उठाने लगी थी। लॉर्ड इरविन और भारतीयों के बीच वार्ता विफल होने के कारण यह प्रस्ताव लाया गया था।
अंग्रेज भारत को औपनिवेशिक राष्ट्र का दर्जा देना चाहते थे। मोहम्मद अली जिन्ना, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और तेज बहादुर सप्रू के प्रतिनिधित्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहा था। भारतीयों के साथ इरविन की वार्ता किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल होने के बाद कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करने का फैसला किया और 26 जनवरी, 1930 को पहले 'स्वतंत्रता दिवस' के रूप में चुना।
कांग्रेस के प्रस्ताव को अपनाने के बाद नेहरू ने 29 दिसंबर, 1929 को लाहौर में रावी के तट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस अपना सबसे महत्वपूर्ण सत्र आयोजित कर रही है और देश की आजादी की लड़ाई के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है।" तब से 1947 तक भारत ने 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसी तारीख को 1950 में भारत ने संविधान अपनाया और एक गणतंत्र बना। इसी कारण हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में क्यों चुना गया ?
वर्षों के संघर्ष के बाद भारतीयों ने अंग्रेजों को देश से निकलने के लिए मजबूर कर दिया। ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटन को 30 जून 1948 तक भारत को सत्ता हस्तांतरित करने का आदेश दिया था। माउंटबेटन भारत के अंतिम ब्रिटिश वायसराय थे।
भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने इस फैसले तथा स्वतंत्रता देने में देरी पर आपत्ति जताई। माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता देने का फैसला किया। उन्होंने कहा था कि किसी भी प्रकार का खून खराबा या दंगा नहीं चाहते।
माउंटबेटन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ की तिथि को भारत को स्वतंत्रता देने के लिए चुना। जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में 15 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण किया था। फ्रीडम एट मिडनाइट नामक किताब में दावा किया गया है कि माउंटबेटन ने कहा था, "मैंने जो तिथि चुनी वह बस ऐसे ही चुन ली गई। मैंने इसे एक प्रश्न के उत्तर में चुना था। मैं यह साबित करना चाह रहा था कि मैं ही सब कुछ तय कर रहा हूं। मुझे पता था कि भारत जल्द ही आजाद होगा। लेकिन मुझे लगा कि यह अगस्त या सितंबर में होगा और फिर मैंने 15 अगस्त की तारीख तय की, क्योंकि यह जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी।"
जापान के सम्राट हिरोहितो ने 15 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण की घोषणा करते हुए अपने देश को संबोधित किया था। 6 और 9 अगस्त को हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम हमलों के कारण बुरी तरह से क्षतिग्रस्त जापान आत्मसमर्पण करने वाला अंतिम ऐक्सिस राष्ट्र था।
माउंटबेटन के निर्णय के बाद ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स ने 4 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पारित किया। भारत और पाकिस्तान के दो अलग-अलग प्रभुत्व राष्ट्र बनाने का फैसला लिया गया।
क्यों पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त को मनाया जाता है ?
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार भारत और पाकिस्तान दोनों को 15 अगस्त को अपनी स्वतंत्रता का जश्न मनाना था। यहां तक कि पाकिस्तान द्वारा जारी किए गए पहले डाक टिकट में भी स्वतंत्रता की तारीख 15 अगस्त थी। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन्ना ने कहा, "15 अगस्त पाकिस्तान के स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का जन्मदिन है। यह मुस्लिम राष्ट्र के स्वतंत्रता का प्रतीक है, जिसने पिछले कई वर्षों से अपने अस्तित्व के लिए कई बलिदान दिए हैं।
जुलाई 1948 में पाकिस्तान ने अपना पहला स्मारक डाक टिकट जारी किया जिसमें 15 अगस्त 1947 का पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के रूप में उल्लेख किया गया था। लेकिन बाद में इसे बदलकर 14 अगस्त कर दिया गया। हालांकि अभी तक इसके कारण स्पष्ट नहीं हैं।
|