
स्टार्टअप की मदद के वास्ते गूगल के उठे कदम
डिजिटल इंडिया को विस्तार देने से लेकर उसकी सहुलियतें बढ़ाने के लिए पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने कुछ नई योजनाएं लॉन्च की, तो छोटे शहरों में स्टार्टअप को चुनौतियों से निपटने लायक बनाने के लिए गूगल ने 'स्टार्टअप स्कूल इंडिया' शुरू करने की घोषणा की। गूगल को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम से छोटे एवं मझोले शहरों (टियर-2 एवं टियर-3) में सक्रिय 10,000 स्टार्टअप को लाभ होगा।
शुरूआत पीएम की योजनाओं से करते हैं. गुजरात के गांधीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया वीक 2022 की शुरुआत करते हुए, देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए कई नई डिजिटल पहलों को हरी झंडी दिखाई।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ‘डिजिटल इंडिया भाषिनी‘ (Digital India Bhashini), ‘डिजिटल इंडिया जेनेसिस‘ (Digital India Genesis), ‘इंडियास्टैक.ग्लोबल‘ (Indiastack.global) और MyScheme जैसी योजनाओं को लॉन्च किया। इन तमाम योजनाओं का लक्ष्य भारतीय स्टार्टअप ईकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी पहुँच का विस्तार करना और सर्विस वितरण को सुव्यवस्थित करने से संबंधित है।
इतना ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री ने 30 संस्थानों के उस पहले समूह का भी ऐलान किया, जिन्हें ‘चिप्स टू स्टार्टअप‘ [Chips to Startup (C2S)] प्रोग्राम के तहत समर्थन प्रदान किया जाएगा। तो आइए जानते हैं भारत की इन तमाम नई डिजिटल पहलों के बारें में विस्तार में!
डिजिटल इंडिया भाषिनी (Digital India Bhashini):
डिजिटल इंडिया भाषिनी को आप भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित ‘भाषा अनुवाद मंच’ या ‘लैंग्विज ट्रांसलेशन प्लेटफ़ॉर्म’ के रूप में समझ सकते हैं।इसका उद्देश्य ‘वॉयस-बेस्ड-एक्सेस’ सहित भारतीय भाषाओं में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने का है, ताकि ग्लोबल सेवाओं को भी भारतीय भाषाओं में इस्तेमाल किया जा सके। इसके साथ यह भारतीय भाषाओं में कंटेंट बनाने और बहुभाषी डेटासेट के निर्माण का काम भी करेगा। यह प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन का ही हिस्सा बताया जा रहा है।
सरकार के अनुसार, डिजिटल इंडिया भाषिनी योजना के तहत भाषा दान (Bhasha Daan) नामक क्राउडसोर्सिंग पहल के जरिए तमाम भाषाओं में डेटासेट का निर्माण किया जाएगा।
इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए, भाषाओं के लिहाज से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (NLP) जैसी तकनीकों को MSME (मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम), स्टार्टअप और व्यक्तिगत इनोवेटर्स को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने का इरादा है।
डिजिटल इंडिया जेनेसिस (Digital India Genesis):
डिजिटल इंडिया जेनेसिस असल में जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फ़ॉर इनोवेटिव स्टार्टअप्स (Gen-next Support for Innovative Startups) का ही संक्षिप्त रूप है।इस योजना के तहत के टियर- II और टियर- III शहरों में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना का काम किया जाएगा। लगभग ₹750 करोड़ की इस योजना के लिए एक राष्ट्रीय डीप-टेक स्टार्टअप प्लेटफॉर्म भी बनाया जाएगा।
इंडियास्टैक.ग्लोबल (Indiastack.global)
दिलचस्प रूप से Indiastack.global असल में India Stack के तहत चल रही परियोजनाओं जैसे Aadhaar, UPI, Digilocker, Cowin वैक्सीनेशन प्लेटफॉर्म, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM), DIKSHA प्लेटफॉर्म और आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन आदि के लिए एक वैश्विक भंडार के रूप में उपलब्ध होगा।
असल में भारत में बड़े पैमानें पर डिजिटल क्रांति लाने वाले ये तमाम प्रोजेक्ट्स को वैश्विक रूप से अन्य देशों को उपलब्ध करवाते हुए, भारत खुद को डिजिटल परिवर्तन के इस दौर में एक अग्रणी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित कर सकेगा।साथ ही इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत में निर्मित ये तमाम तकनीकी सुविधाएँ विश्व के कई देशों के लिए बहुत मददगार साबित हो सकती हैं।
माई स्कीम
सरल भाषा में कहें तो MyScheme को वन-स्टॉप सर्च या डिस्कवरी पोर्टल के तौर पर पेश किया गया है, जो भारत सरकार की तमाम योजनाओं (स्कीमों) तक पात्र लोगों को पहुंच हासिल करने के लिए एक सर्च प्लेटफ़ॉर्म के तौर पर काम करेगा।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने Meri Pehchaan का भी शुभारंभ किया। यह असल में नेशनल सिंगल साइन-ऑन (NSSO) के तहत दी जाने वाली एक उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण सेवा है, जिसमें क्रेडेंशियल के एक सेट का इस्तेमाल करते हुए, कई ऑनलाइन एप्लिकेशन या सेवाओं तक पहुंच हासिल की जा सकेगी।
चिप्स टू स्टार्टअप [Chips to Startup (C2S)] प्रोग्राम:
जैसा हमनें आपको पहले ही बताया कि C2S प्रोग्राम के लिए पहले 30 संस्थानों के पहले समूह की घोषणा की गई है। इसके तहत संस्थानों को सेमीकंडक्टर डिजाइन के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी।
इस प्रोग्राम का लक्ष्य स्नातक, परास्नातक और अनुसंधान स्तरों पर सेमीकंडक्टर चिप्स के डिजाइन के क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षित करना और भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन के क्षेत्र में काम कर रहे स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना है।इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी बताया कि डिजिटल इंडिया (Digital India) पहल ने सरकार को नागरिकों के दरवाजे और फोन तक तमाम सेवाओं को पहुँचाने में मदद की है।
पीएम मोदी के अनुसार, देश में लगभग 1.25 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर (Common Service Centres) और ग्रामीण स्टोर (Grameen Stores) अब ई-कॉमर्स को ग्रामीण भारत में तेजी से लोकप्रिय बनाने की दिशा में काम कर रहें हैं।

'स्टार्टअप स्कूल इंडिया'
भारत में अधिक से अधिक स्टार्टअप तक पहुंचने के लिए स्टार्टअप स्कूल इंडिया शुरू किया गया है। इसके जरिये संकलित जानकारी को एक व्यवस्थित पाठ्यचर्या में समाहित करने की कोशिश की जाएगी ताकि स्टार्टअप को चुनौतियों से लड़ने में सक्षम बनाया जा सके। गूगल ने एक ब्लॉगपोस्ट में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ‘ऑनलाइन’ नौ सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यक्रम में उसके प्रतिनिधि स्टार्टअप कंपनियों के कर्ताधर्ताओं के साथ संवाद करेंगे। इनमें वित्त प्रौद्योगिकी, कारोबार से कारोबार (बी2बी), कारोबार से उपभोक्ता ई-कॉमर्स (बी2सी), भाषा, सोशल मीडिया और नेटवर्किंग के अलावा ‘जॉब सर्च’ से जुड़े स्टार्टअप भी शामिल होंगे। भारत में इस समय करीब 70,000 स्टार्टअप मौजूद हैं और यह दुनिया में स्टार्टअप के लिए तीसरा बड़ा केंद्र है। पिछले कुछ वर्षों में कई स्टार्टअप के सफल कारोबार में तब्दील होने से इसकी तरफ युवा उद्यमियों का रुझान भी बढ़ा है। खास बात यह है कि स्टार्टअप के मामले में बेंगलूरु, दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों के साथ जयपुर, इंदौर, गोरखपुर जैसे छोटे शहर भी पीछे नहीं हैं। इस समय कुल स्टार्टअप में से करीब आधे छोटे शहरों में मौजूद हैं। इसके साथ ही गूगल ने यह भी कहा कि करीब 90 प्रतिशत स्टार्टअप शुरुआती पांच वर्षों में ही नाकाम हो जाते हैं। नकदी का कुप्रबंधन, मांग के आकलन में गड़बड़ी, निष्प्रभावी फीडबैक, नेतृत्व का अभाव जैसे कारण इस नाकामी की वजह रहे हैं।
गूगल ने कहा कि स्टार्टअप को इन खामियों से दूर करने में मदद करने के लिए स्टार्टअप स्कूल इंडिया नाम का कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। व्यापार की चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय स्टार्टअप्स को नए आइडिया की जरूरत है। यह इस बात से प्रमाणित होता है कि भारतीय स्टार्टअप्स ने अमेरिका में 6,000 पेटेंट के लिए अर्जी दी है। जो देश में कुल पेटेंट अर्जी का 60 फीसदी है।
इसमें स्टार्टअप के संस्थापक कामयाब कारोबारों से जुड़े अनुभव का लाभ ले सकते हैं।
क्या है Google Startup School India पहल?
कंपनी के अनुसार, Startup School India असल में Google for Startups पहल का ही एक हिस्सा है, जिसको ऐसे डिजाइन किया गया है, कि यह मौजूदा पहल के विस्तार का समर्थन करे।
Google ने स्टार्टअप स्कूल इंडिया को एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म के रूप में पेश किया है, जहाँ कंपनी तमाम निवेशकों, सफल उद्यमियों और प्रोग्रामर्स को एक साथ लाने का काम किया जाएगा।
इसके ज़रिए कंपनी का इरादा तमाम दिग्गजों से प्राप्त ‘संचित ज्ञान’ को एक ‘बेहतरीन पाठ्यक्रम’ के रूप में व्यवस्थित करने का है, ताकि छोटे शहरों में जो स्टार्टअप विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनको इसके जरिए कुछ मदद मिल सके।
इस पाठ्यक्रम में ‘प्रभावी उत्पाद रणनीति’ तैयार करने, उत्पाद उपयोगकर्ता मूल्य को समझनें, भारत जैसे बाजारों के लिए ऐप बनाने, उपयोगकर्ता अधिग्रहण जैसे तमाम विषयों पर निर्देशात्मक मॉड्यूल शामिल होंगे।
इस करीब 9 हफ़्तों के मुख्यतह वर्चूअल प्रोग्राम में फिनटेक, बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-कंज्यूमर, ई-कॉमर्स, भाषा, सोशल मीडिया, नेटवर्किंग, जॉब व अन्य क्षेत्रों के दिग्गज प्रतिनिधियों व Google के विशेषज्ञों के साथ व्यापाक संवाद देखनें को मिलेगा।
क्यों है जरूरत?
Google ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा कि तमाम स्टार्टअप्स में से लगभग 90% अपनी शुरुआत के पहले पांच सालों के भीतर ही असफल हो जाते हैं। इसके पीछे अप्रबंधित राशि, गलत मांग मूल्यांकन, अप्रभावी फीडबैक या नेतृत्व की कमी मुख्य वजह बनती नजर आती हैं।
करीब 70,000 से भी अधिक स्टार्टअप्स के साथ, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप बाजार है। देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न बन चुके हैं और साथ ही कई स्टार्टअप्स ने हाल ही में IPO भी दायर किए हैं।
दिलचस्प ये है कि वर्तमान समय में स्टार्टअप कल्चर सिर्फ बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई या हैदराबाद जैसे बड़े शहरों तक ही सीमित ना हो कर, जयपुर, इंदौर,जैसे शहरों में भी तेजी से बढ़ता दिखाई देता है।
लेकिन अभी भी उन स्टार्टअप्स की संख्या कहीं अधिक है जो अपने शुरुआती सालों में ही असफल साबित हो जाते हैं। ऐसे में ख़ासकर छोटे शहरों में स्टार्टअप्स के लिए आगामी चुनौतियों को व्यापाकता से समझने और उनका हल तलाशनें के लिए ऐसे प्रोग्राम मददगार साबित हो सकते हैं।