
भारत रत्न एमएस सुब्बालक्ष्मी का है आज जन्म दिन
तमिलनाडु के मदुरै शहर में 16 सितंबर, 1916 को जन्मी सुब्बालक्ष्मी ने पांच साल की उम्र में संगीत की शिक्षा ग्रहण करना शुरू किया था। उन्होंने देश की बहुत सी भाषाओं में गीत गाए। भारत रत्न से सम्मानित एम. एस. सुब्बालक्ष्मी को संगीत जगत की अप्रतिम प्रतिभा और अविवादित सुर साम्राज्ञी के तौर पर जाना जाता है। इतिहास में 16 सितंबर की तारीख संगीत की इस महान साधिका के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है। तमिलनाडु के मदुरै शहर में 16 सितंबर, 1916 को जन्मी सुब्बालक्ष्मी ने पांच साल की उम्र में संगीत की शिक्षा ग्रहण करना शुरू किया था। उन्होंने देश की बहुत सी भाषाओं में गीत गाए। यह उनकी कला साधना का ही प्रभाव था कि लता मंगेशकर ने उन्हें 'तपस्विनी' कहा, उस्ताद बडे गुलाम अली खां ने उन्हें 'सुस्वरलक्ष्मी' का नाम दिया, किशोरी आमोनकर उन्हें 'आठवां सुर' कहती थीं, जो संगीत के सात सुरों से ऊंचा है। उन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए 1954 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
मलय से मलेशिया बना
16 सितंबर 1963 के दिन मलेशिया बना. फेडरेशन ऑफ मलय में उत्तरी बोर्नेयो, सारावाक और सिंगापुर मिला कर नया देश बनाया गया. मलय में सिंगापुर का सि मिला कर मलेशिया किया गया.
हालांकि 1965 में इस संघ से सिंगापुर अलग हो गया. मलेशिया मूल रूप से मलय राजशाही से निकला है. 18वीं सदी की यह राजशाही ब्रिटिश उपनिवेश का हिस्सा बनाई गई. मलेशियाई प्रायद्वीप के हिस्सों को सबसे पहले 1946 में मलय यूनियन के तहत एक किया गया. फिर 1948 में इसे फेडरेशन ऑफ मलय बनाया गया.
मलय को 31 अगस्त 1957 के दिन ब्रिटिश सत्ता से मुक्ति मिली.
आज मलेशिया पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बंटा है. पूर्वी सरावाक और सबाह इंडोनेशिया से जुड़ा है, बीच में दक्षिणी चीन सागर है और फिर पश्चिमी मलेशिया है, जहां देश की राजधानी क्वालालंपुर भी है. सरकार हालांकि पुत्रजय में बैठती है. देश में 13 राज्य और तीन संघीय प्रदेश हैं.
ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद से मलेशिया की आर्थिक स्थिति अच्छी ही रही है. प्राकृतिक संसाधनों के कारण उसे काफी फायदा भी हुआ.
देश के संविधान में इस्लाम राष्ट्रीय धर्म है जबकि धर्म की आजादी भी संविधान में सुनिश्चित की गई है. ब्रिटिश उपनिवेश का असर यहां कुछ इस तरह दिखता है कि सरकारी तंत्र वेस्टमिनस्टर संसदीय प्रणाली जैसी है और कानून इंग्लिश कॉमन लॉ से प्रेरित है. देश का प्रमुख तो वैसे राजा है, जिसे हर पांच साल में नौ मलय राज्य चुनते हैं. जबकि सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है. फिलहाल मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक हैं.
ओजोन की परत का बचाव
ओजन की परत को बचाने के लिए अहम संधि, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, आज ही के दिन 1987 में दस्तखत के लिए पेश की गई थी. ओजोन की परत को बचाने के लिए कई देशों ने मिल कर ऐसी योजना बनाई जिसका मकसद उन सभी खतरनाक रसायनों को पर्यावरण में जाने से रोका जाना था जो ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाती हैं और उसमें छेद बनाने के लिए जिम्मेदार हैं.
16 सितंबर 1987 के दिन इसे हस्ताक्षर के लिए पेश किया गया. यह पहली जनवरी 1989 से लागू हुई. 1989 की जनवरी में इसके लागू होने के बाद इसमें सुधार के लिए उसी साल मई के दौरान हेलसिंकी में बैठक हुई. तब से अब तक इसमें आठ सुधार किए गए हैं. सबसे ताजा सुधार 2007 में मॉन्ट्रियल में हुआ.
इन्हीं कोशिशों का फल है कि हाल में ही ओजोन की परत फिर से अच्छी होने की खबर आई है. मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि आर्कटिक के ऊपर की यह परत ठीक हो रही है और 2050-2070 के बीच इसमें बना छेद पूरी तरह से बंद हो जाएगा.
इस योजना की सफलता से पता चलता है कि अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय साथ आए तो वह पर्यावरण की रक्षा कर सकता है. हालांकि क्योटो प्रोटोकॉल जैसे मामलों में ये एकता देखने को नहीं मिली. ओजोन पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दो संधियां की हैं, जिसमें 196 देशों के साथ यूरोपीय संघ भी शामिल है. इसी कारण संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह ऐसी पहली संधि बन गई जिसमें सभी सदस्य देशों ने साथ दिया.
इस संधि का लक्ष्य हैलोजनेटेड हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को रोकना है. इस ग्रुप के सभी रसायनों में या तो क्लोरीन या फिर ब्रोमीन होता है. और यह ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाता है. सभी देशों ने मिल कर तय किया इन रसायन वाले पदार्थों को धीरे धीरे वह हवा में जाने से रोक देंगे.
'अतुल्य भारत' विज्ञापन बना कैंपेन ऑफ द ईयर
दुनिया भर में पर्यटन के लिहाज से भारत पर्यटन का मुख्य केंद्र बनता जा रहा है. वहीं, भारत सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं, जिनमें से अतुल्य भारत का विज्ञापन बेहद ही खास रहा है.अतुल्य भारत अभियान दुनियाभर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने में भी सफल रहा है.
अतुल्य भारत विज्ञापन अभियान ने दुनिया में भारत की छवि और सांस्कृतिक धरोहरों को एक नए रूप में प्रस्तुत किया. यही कारण था कि 16 सितंबर 2009 को अतुल्य भारत विज्ञापन के प्रचार को ब्रिटेन में सबसे ज्यादा सृजनात्मक मीडिया अभियान के रूप में सम्मानित किया गया.
16 सितंबर 2009 को ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने आयरलैंड में हुए टूरिज्म सम्मान समारोह में भारतीय पर्यटन कार्यालय के निर्देशक जगदीश चंद्र को जीजी 2 कैंपेन ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2002 में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने इनक्रेडिबल इंडिया मुहीम चलाई थी.अतुल्य भारत की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सन 2009 में पर्यटन से जीडीपी की दर लगभग 8.78 हो गई थी. वहीं, 2010 में विदेशी पर्यटकों का आगमन 2.38 बिलियन से बढ़कर 5.58 बिलियन हो गया था.
इसके अलावा घरेलू पर्यटन में भी काफी ज्यादा वृद्धि हुई थी. घरेलू पर्यटक यात्राएं 269.60 मिलियन से बढ़कर 5650.04 मिलियन हो गईं.यह तमाम आंकड़े इनक्रेडिबल इंडिया अर्थात अतुल्य भारत की सफलता को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं.
पापुआ न्यू गिनिया को ऑस्ट्रेलिया से मुक्ति मिली
पापुआ न्यू गिनिया पूर्वी द्वीप समूह का एक हिस्सा है, जो कि ऑस्ट्रेलिया के समीप स्थित है. यहां ज्वालामुखी बेहद ही सक्रिय हैं. आए दिन ज्वारीय लहरें और भूकंप का लोगों को सामना करना पड़ता है.
इस देश पर 1975 से पहले ऑस्ट्रेलिया का आधिपत्य था. आजादी की मांग और लगातार विद्रोह के कारण 15 सितंबर 1975 को ऑस्ट्रेलिया ने इसे स्वतंत्र घोषित कर दिया. उसने पापुआ न्यू गिनिया से अपने सैन्य बलों को वापस लेने के आदेश जारी कर दिए. परिणाम स्वरूप 16 सितंबर 1975 को पापुआ न्यू गिनिया स्वतंत्र राष्ट्र बन गया.
यह दिन वहां के निवासियों के लिए किसी त्यौहार से कम नहीं था. स्वतंत्रता की खुशी लोगों की आंखों से छलक रही थी. ऑस्ट्रेलिया के ध्वज वहां के स्थानीय जगहों से हटा दिए गए.
ऑस्ट्रेलियाई गवर्नर सर जॉन केयर ने अपने बयान में पापुआ न्यू गिनिया के लिए ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहा कि हम दोनों देशों के संबंधों को बेहतर बने रहने की कल्पना करते हैं.
16 सितंबर की सुबह पापुआ न्यू गिनिया की आज़ादी की ख़ुशी के अवसर पर, वहां के निवासियों और प्रशासन की ओर से पेड़ लगाने जैसे समारोह आयोजित किए गए. समारोह में वहां के गवर्नर के साथ रक्षा बल और पुलिस आयुक्त कमांडर भी शामिल थे. बाद में फ्लैग मार्च निकाला गया, स्वतंत्रता हिल पर चढ़ाई की गई और वहां अपने राष्ट्र की विजय पताका लहराई गई.
बाद में प्रिंस चार्ल्स ने आधिकारिक तौर पर पापुआ न्यू गिनिया की पहली राष्ट्रीय संसद की शुरुआत की. प्रिंस चार्ल्स ने वहां के चुने गए प्रतिनिधियों को संबोधित किया और उन्हें उनकी जिम्मेदारियों व कर्तव्यों के बारे में याद दिलाया.
सर जॉन गुइज़ को पापुआ न्यू गिनिया को मुख्य न्यायाधीश के रूप शपथ दिलाई गई. वहीं प्रधानमंत्री के रूप में माइकल व उपप्रधानमंत्री के रूप में अल्बर्ट माओरी को गवर्नर जनरल द्वारा शपथ दिलाई गई. इस प्रकार पापुआ न्यू गिनिया को संवैधानिक दर्जा मिल गया.
इस्लामिक स्टेट ने कुर्दिश लड़ाकों के खिलाफ युद्ध छेड़ा
2011 में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ मिले. यहीं से इस्लामिक स्टेट के खिलाफ दोनों ने मिलकर जंग करने का ऐलान कर दिया.इराक में अल-कायदा के जाने के बाद इस्लामिक स्टेट का आतंक शुरू हुआ. धार्मिक कट्टरता के आधार पर चलने वाला यह आतंकी समूह सीरिया और उसके आसपास के क्षेत्रों पर अपने विचारों का आधिपत्य स्थापित करना चाहता था.
2014 के शुरूआत में ही फजूला और रमादी के इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया था. कट्टर विचार और आतंक का मंसूबा पाले इस्लामिक स्टेट के मुखिया अबू बकर अल बगदादी ने 16 सितंबर 2014 को सीरियाई कुर्द लड़ाकों के खिलाफ युद्ध छेड़ने का ऐलान किया था.
सीरियाई शासक बशर-अल असद ने रूसी सहयोगी के साथ मिलकर बेहद आक्रामक रुख अपना रखा था. वहीं, दूसरी तरफ अमेरिका और इराक में शिया लड़ाकों का गठजोड़ था. बशर-अल असद के सैनिक और इराक में शिया लड़ाके आईएस को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहते थे. इस लड़ाई में अमेरिका और रूस भी उन दोनों देशों के साथ खड़े थे.
हालांकि आईएस ने सीरिया में कई जगहों पर नरसंहार किया. वहीं, सीरिया की जवाबी कार्यवाही के बाद आईएस के लड़ाके बेबस नज़र आते दिखाई दे रहे थे. स्थानीय लोगों को आईएस के चंगुल से निकाला जा रहा था.
अक्टूबर के महीने में इस्लामिक स्टेट के हाथों से हर हवीजा शहर भी मुक्त कर लिया गया. इस्लामिक स्टेट की हार लगभग दिखाई दे रही थी. इस तरह आईएस का सीरियाई लड़ाकों से भिड़ना उसके लिए गीदड़ भबकी साबित हुआ.
जनरल जिया उल हक़ बने पाकिस्तान के राष्ट्रपति
सन 1948 में कश्मीर के मुद्दे को लेकर भारत और पाकिस्तान में एक भयावह युद्ध हुआ. उस युद्ध में पाकिस्तान की ओर से जिया उल हक़ भी लड़ाई में शामिल थे.
जिया उल हक़ का राजनीतिक सफर एक सिपाही से राष्ट्रपति बनने तक का रहा है. वहीं, 1966 में जिया सेना के 22वीं कैवलरी की कमान संभाल रहे थे. उनकी कार्य निष्ठा देख उन्हें एक बख़्तरबंद डिवीजन का कर्नल स्टाफ बना दिया गया.अपनी मेहनत और लगन से कर्नल बने जिया उल प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की नज़रों में आए और मार्च 1976 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इन्हें पाकिस्तानी सेना का जनरल बना दिया.
प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का ये फैसला उन्हीं के गले का फांस बन गया, जब उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया गया.
जिस समय जिया को सेना की कमान दी गई, पाकिस्तान की राजनीति में काफी उथल पुथल मची हुई थी. अर्थव्यवस्था में गिरावट लोगों में अशांति और अराजकता का महौल पैदा कर रही थी.
पाकिस्तान सरकार की स्थिति धीरे-धीरे डामाडोल होती जा रही थी. बाद में जिया उल हक़ के इशारे पर सेना का विद्रोह हुआ और 5 जुलाई, 1977 को जिया उल हक ने सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को उखाड़ फेंका.
परिणामस्वरूप वहां सेना का शासन स्थापित हुआ और 16 सितंबर 1978 को जनरल जिया उल हक़ ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली.
देश-दुनिया के इतिहास में 16 सितंबर की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाएं इस प्रकार है:-
1630 : मैसाच्युसेट्स के इलाके शॉमट का नाम बदलकर बोस्टन किया गया, जो अब अमेरिका का प्रमुख शहर है।
1795 : ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन पर कब्जा किया।
1821 : मैक्सिको की स्वतंत्रता को मान्यता मिली।
1848 : फ्रांस ने अपने सभी उपनिवेशों में दास प्रथा को समाप्त किया।
1861 : ब्रिटेन के डाकघर ने बचत बैंक खातों की सुविधा शुरू की।
1906 : नार्वे के रोएल्ड एमंडसन ने चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव की खोज की।
1916 : भारत रत्न शास्त्रीय गायिका एम.एस. सुब्बालक्ष्मी का जन्म।
1967 : सोवियत संघ ने पूर्वी कजाख में परमाणु परीक्षण किया।
1978 : जनरल जिया उल हक पाकिस्तान के राष्ट्रपति निर्वाचित।
1986 : दक्षिण अफ़्रीका की एक सोने की खदान में फंस जाने से 177 लोग मारे गए।
2009 : दुनियाभर में भारत को एक उत्कृष्ट पर्यटन स्थल के रूप में पेश करने वाले ‘अतुल्य भारत अभियान’ को ब्रिटिश सरकार ने पुरस्कृत किया।
2020: विदुषी, लेखिका और कलाविद डॉ. कपिला वात्स्यायन का निधन।