तो फिर आज कुछ चॉकलेटी मीठा हो जाए!
आज के दिन की कुछ सुखद तो कुछ दुखद घटनाएं इतिहास के पन्ने में दर्ज है, किंतु इस दिन को खास बनाने का अवसर भी है. कुछ खुश कर देने वाली घटनाएं घटी हैं, तो आज इंटरनेशनल चॉकलेट डे है, तो फिर कुछ चाकलेटी मीठा हो जाए!
आज के दिन बस भूल जाइए कि ज्यादा मीठा खाकर आपके या आपके अपनों के दांत या सेहत खराब हो जाएगी. आज अंतरराष्ट्रीय चॉकलेट दिवस है. चॉकलेट बनता है कोको से जो थेओब्रोमा कोको नाम के पेड़ का बीज होता है.
माना जाता है कि इसका पहली बार इस्तेमाल 1100 ईसा पूर्व में हुआ. दक्षिण अमेरिकी में रहने वाले ऐजटेक सभ्यता के लोग इससे शोकोलाट्ल नाम का द्रव बनाते थे. इस शब्द का मतलब है कड़वा पानी और इसमें खमीर उठने पर ही इसका स्वाद निकलता है.
आधुनिक काल में बीजों पर खमीर उठने के बाद इन्हें सुखाया जाता है और साफ किया जाता है. फिर बीज के बाहरी परत को हटाकर इससे चॉकलेट बनाई जाती है. आजकल हम इसमें चीनी, दूध और मलाई मिलाते हैं. मिल्क चॉकलेट में मिल्क पाउडर या कंडेंस्ड मिल्क होता है और सफेद चॉकलेट केवल नाम के लिए चॉकलेट है. इसमें कोको की मलाई होती है, चीन और दूध होता है, वजन बढ़ाने की बढ़िया तरकीब.
वैसे तो साल में 3 बार चॉकलेट डे मनाया जाता है. पहला वैलेंटाइन वीक में 9 फरवरी, दूसरा विश्व चॉकलेट डे जो 7 जुलाई और तीसरा 13 सितंबर. किन्तु, सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण 13 सितम्बर को मनाए जाने वाला अन्तर्राष्ट्रीय चॉकलेट डे माना जाता है.
माना जाता है कि इसकी शुरुआत दक्षिण अमेरिकी में रहने वाले ऐजटेक सभ्यता के लोग ने 1100 ईसा पूर्व में की थी. तब से लेकर आज तक हर 13 सितम्बर को चॉकलेट डे मनाया जाता है.
गौर करने वाली बात यह है कि चॉकलेट के दीवानों के लिए यह बातें इतनी मायने नहीं रखती. उनके लिए तो हर दिन चॉकलेट डे होता है. शोधकर्ता मानतें हैं कि चॉकलेट दिल के पैगाम के साथ-साथ शारीरिक उर्जा से भी जोड़ता है.आपको बता दें कि चॉकलेट में थियोब्रोमीन और कैफीन नामक पदार्थ पाया जाता है, जिससे शारीरिक ऊर्जा दुरुस्तरहती है. चॉकलेट खाने से दिमाग में एंडोरफिन रिलीज होता है, इससे हमारा शरीर तनावमुक्त रहता है.
13 बम धमाके से जब दहल गई थी दिल्ली
तेरह सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों दिल्लीवासी दहल उठे थे. 13 तारीख को इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने कुछ मिनटों के अंदर राष्ट्रीय राजधानी के अलग-अलग बाजारों में पांच विस्फोट किए थे। आतंकियों ने दिल्ली का दिल माने जाने वाले कनॉट प्लेस में धमाका किया और करोल बाग में व्यस्त गफ्फार मार्केट के साथ ही भीडभाड़ वाले ग्रेटर कैलाश में भी बम विस्फोट किए गए।
इसमें लगभग 26 लोग मारे गए और करीब 70 से ज्यादा लोग घायल हुए.
धमाकों के कुछ देर बाद दिल्ली में सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिया गया. इसके अलावा पड़ोसी राज्य उत्त्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया था. ताकि अन्य राज्यों में हमले से पहले प्रशासन मुस्तैद हो जाए.
इंडियन मुजाहिद्दीन ने इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. मामला बड़ा था इसलिए इसकी जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सौपी गई. 19 सितंबर 2008 को स्पेशल सेल को इनपुट मिला.
इसके तहत सीरियल ब्लास्ट से जुड़े कुछ लोग जामिया नगर स्थित बाटला हाउस के मकान नंबर एल-18 में छुपे पाए गए. स्पेशल सेल की टीम ने इस मकान पर छापा मारा. जहां आतंकियों और पुलिसकर्मीयों में मुठभेड़ हुआ.
इस मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए, लेकिन उनके साथ एन्काउंटर स्पेशलिस्ट मोहन चंद शर्मा भी शहीद हो गए. इस एन्काउंटर के समय एक आतंकी भागने में कामयाब रहा, लेकिन इस मामले के दस साल बाद दिल्ली पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली. इंडियन मुजाहिद्दीन के 15 लाख के उस इनामी आतंकी आरिज़ खान उर्फ जुनैद को 2018 में गिरफ्तार किया कर लिया गया.
क्रांतिकारी जतिंद्र दास ने कहा अलविदा
जतिंद्र नाथ दास एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी हुए, जिन्होंने ने भारत की आज़ादी के लिए लाहौर जेल में 63 दिनों तक भूख हड़ताल की. उनका देश प्रेम अनशन की पीड़ा के समक्ष कुछ नहीं था.
वह गाँधी के विचार से बहुत ज्यादा प्रभावित थे. 1921 में वे गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन का हिस्सा भी रहे.
इसके अलावा वह आजीवन क्रांतिकारी गतिविधिओं में सक्रिय रहे. इसी के तहत उन्होंने भगत सिंह का साथ पकड़ा. जतिंद्र की बड़ी खासयित यह थी कि उन्हें बम बनाने आता था. समय-समय पर उन्होंने इसका प्रयोग किया.
नतीजा यह रहा कि वह अंग्रेजों के निशाने पर चढ़ गए और अंतत: 14 जून 1929 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ षड्यंत्र के जुर्म में उन्हें लाहौर जेल में कैद कर दिया गया.
वहां जेल की दुर्दशा और कैदियों पर होते जुल्म उन्हें नागवार गुजरा. उन्होंने जेल के क्रांतिकारियों के हक़ के लिए 13 जुलाई 1929 को भूख हड़ताल पर जाने का कठोर फैसला किया. इस दौरान अंग्रेज सिपाहियों द्वारा जेल के कैदियों को उनके ख़िलाफ भड़काने की कोशिश कि गई . उन्हें मारा पीटा गया, लेकिन वे अपने अनशन पर कायम रहे.
फिर 63 दिन के लम्बे अनशन के बाद 13 सितम्बर 1929 को उन्होंने हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद लीं. इस महान क्रन्तिकारी की आत्मा परमात्मा में विलीन हो गई. कहते हैं लाहौर जेल से जब उनका पार्थिव शरीर कलकत्ता लाया गया, तो लोगों का हुजूम उनके अंतिम दर्शन के लिए खड़ा था. कलकत्ता की सड़कों पर उनके लिए जुलुस भी निकाला गया था.
बर्लिन की अद्भुत दीवार का निर्माण
13 सितंबर 1961 को बर्लिन की दीवार का निर्माण किया जाने लगा. बर्लिन के दीवार बनने के पीछे एक लम्बी कहानी है. असल में 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी चार भागों में बाट दिया गया था.
बर्लिन को एक केंद्र के रूप में स्थापित कर उसे दो भागों में बिभाजित कर दिया गया. पूर्वी और पश्चमी. ये दो भाग बर्लिन के बन गया. जर्मनी का पश्चिमी क्षेत्र पर पूंजीवादी अमेरिकी अर्थव्यवस्था का व्यापक प्रभाव था. वहीं दूसरी तरफ पूर्वी क्षेत्र में साम्यवादी सोवियत समाजवादी गणराज्य-संघ का कब्ज़ा था. बाद में दोनों के बीच संघर्ष हुआ तो बर्लिन की दीवार की नींव पड़ी!
आगे 1989 तक लगभग 5,000 लोग प्रवास कर पश्चिमी जर्मनी चले गए. वहीं अवैध रूप से दीवार फांदते हुए लगभग 200 लोगों की मृत्यु हो गई थी. 1989 में दो महा-शक्ति के एक होने से वर्लिन मुक्त हुआ.इसका परिणाम यह हुआ कि 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी के यह दोनों भाग फिर से एक हो गए.
13 सितंबर की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-
1500 : पेड्रो अल्वरेज कैबरल कालीकट पहुंचा और भारत में पहली यूरोपीय (पुर्तगाली) फैक्टरी स्थापित की।
1922 : लीबिया के अल अज़िज़िया में 136.4 डिग्री फारनहाइट (58 डिग्री सेल्सियस) तापमान दर्ज किया गया। इसे उस समय तक का धरती का सबसे अधिक तापमान करार दिया गया।
1923 : स्पेन में सैन्य तख्ता पलट। मिगेल डे प्रिमो रिवेरा ने सत्ता संभाली और तानाशाह सरकार की स्थापना की।
1929 : जतीन्द्र नाथ दास की उनकी भूख हड़ताल के 63वें दिन लाहौर सेंट्रल जेल में मृत्यु।
1948 : उप प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने सेना को हैदराबाद में प्रवेश कर कार्रवाई करने और उसे भारतीय संघ के साथ एकीकृत करने का आदेश दिया।
1968 : अल्बानिया वारसॉ संधि से अलग हुआ।
1997 : हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतकार, शायर अंजान का निधन।
2000 : भारत के विश्वनाथन आनन्द ने शेनयांन में पहला फ़िडे शतरंज विश्व कप जीता।
2001 : ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया।
2002 : इज़राइल ने फलस्तीन अधिकृत गाजा पट्टी पर हमला किया।
2006 : इब्सा (भारत-ब्राजील-साउथ अफ़्रीका त्रिगुटीय संगठन) का पहला शिखर सम्मेलन ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में शुरू।
2007 : नेशनल एरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के वैज्ञानिकों ने बृहस्पति से तीन गुना बड़े ग्रह का पता लगाया।
2008 : दिल्ली में 30 मिनट में तीन स्थानों पर पांच बम विस्फोट। 19 लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल।
2009 : चन्द्रमा पर बर्फ़ खोजने का इसरो-नासा का अभियान असफल हुआ।
2013 : तालिबान आतंकवादियों ने अफ़ग़ानिस्तान के हेरात शहर में अमेरिका के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया।
2020: पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन।