भाई को मारकर हासिल किया दिल्ली का तख्त-ओ-ताज
इतिहास के पन्नों में दो हस्तिायों की हत्या की घटनाएं दर्ज है. एक हैं मुगलकालीन शासन के दौर में दिल्ली की तख्त पर बैठा दारा शिकोह, जिसे तख्त-ओ-ताज के लिए उसके ही भाई औरंगजेब ने हत्या कर दी. दरअसल शाहजहां के बड़े पुत्र दारा शिकोह की 1659 में 30 अगस्त के दिन उनके ही छोटे भाई औरंगजेब ने हत्या करा दी थी। दारा शिकोह को 1633 में युवराज बनाया गया था और शाहजहां उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में देखते थे, जो दारा के अन्य भाइयों को स्वीकार नहीं था। लिहाजा शाहजहां के बीमार पड़ने पर औरंगजेब ने दिल्ली में दारा की हत्या करा दी।
इस तरह वह मुग़ल साम्राज्य का निर्विवादित बादशाह बन गया. 16 सितंबर 1657 के दिन शाहजहाँ गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे. इस कारण दिल्ली में राजनीतिक संकट पैदा हो गया. ऐसे में शाहजहाँ ने शिकोह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. इस घोषणा से औरंगजेब खासा नाराज हो गया और राज्य में गृह युद्ध के बादल उमड़ने लगे. इस बीच शाहजहां अपनी हालत में सुधार के लिए आगरा चले गए.
आगे औरंगजेब ने दारा शिकोह पर युद्ध घोषित कर दिया. उसने पहले आगरा के किले को अपने नियंत्रण में ले लिया और शाहजहाँ को वहीं पर कैद कर लिया. बाद में 1666 में यहीं पर शाहजहाँ की मृत्यु हो गई.
अपने पिता को कैद करने के बाद औरंगजेब शाहजहानाबाद वापस लौट आया और उसने अपने भाई मुराद को भी कैद कर लिया. मुराद इस लड़ाई में दारा शिकोह की ओर था. इसी तरह 31 जुलाई 1658 को औरंगजेब का पहला राज्याभिषेक हो गया. किंतु शुजा ने लड़ाई जारी रखी.
जनवरी 1659 में औरंगजेब ने शुजा को हरा दिया. वहीं आगे जून 1659 में औरंगजेब के सिपहसलहार मलिक जीवान ने दारा शिकोह को सिंध में धोखे से कैद कर लिया और उन्हें औरंगजेब को सौंप दिया. इस प्रकार अंततः औरंगजेब की जीत हुई और उसने 15 जून 1659 को दोबारा से अपना राज्याभिषेक करवाया. आगे उसने दारा शिकोह को मौत के घाट उतार दिया.
लेनिन की हत्या करने का प्रयास
दूसरे विश्व युद्ध के अंत में जर्मनी पर मित्र राष्ट्रों के सैन्य नियंत्रण वाली नियंत्रण परिषद की स्थापना हुई. 30 अगस्त 1945 को नियंत्रण परिषद के गठन के साथ इसकी आधिकारिक घोषणा हुई.
30 अगस्त 1918 के दिन व्लादमीर लेनिन को दो बार गोली मारी गई. गोलियां लगने से पहले वे एक मजदूर फैक्ट्री से भाषण देकर निकले थे. गोली चलाने वाले शख्स का नाम फान्या कैपलन था. वह सोशलिस्ट पार्टी का सदस्य था. इस घटना के बाद रूस में पहले से चल रहा गृह युद्ध और तेज हो गया.
व्लादमीर लेनिन का जन्म 1870 में हुआ था. बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने विभिन्न विषयों का अध्ययन कर डाला था. 1887 में इनके बड़े भाई को मृत्यदंड दिया गया था. यही वह घटना थी, जिसने लेनिन को रूस में क्रान्ति लाने की ओर निर्णायक रूप से अग्रसर किया था.
1890 के आते-आते लेनिन ने मजदूरों के हितों में एक मार्क्सवादी संगठन का निर्माण किया था. 1895 में उन्हें गिरफ्तार करके तीन साल तक साइबेरिया में कैद कर लिया गया था. लेकिन लेनिन हिम्मत नहीं हारे थे. आगे उन्होंने 1902 में ‘व्हाट इज टू बी डन’ नाम का पर्चा निकाला.
इस पर्चे में उन्होंने यह समझाने की कोशिस की कि पेशेवर क्रांतिकारियों की पार्टी ही रूस में क्रांति करके समाजवाद की स्थापना कर सकती है. 1903 से उन्होंने ऐसी पार्टी का गठन करना शुरू कर दिया. आगे 1912 में पार्टी में फूट पड़ गई औए लेनिन ने अपने धड़े को बोल्शेविक कहना शुरू किया.
बोल्शेविक रूस के लोगों को रोटी, जमीन और शांति का वादा कर रहे थे और सशस्त्र क्रांति के पक्ष में थे. आगे 1917 में उन्होंने रूस में क्रांति कर दी.
राजकपूर के चहेते गीतकार शैलेंद्र
संगीत की दुनिया में जब कभी भी गीतकारों की चर्चा होती है तो शंकर लाल केशरी लाल यानी शैलेंद्र का नाम बड़े अदब के साथ लिया जाता है। फुटपाथ पर सोने वाले, बेघर बेसहारा इंसान से लेकर दौलतमंद सब उनके दीवाने थे। शैलेंद्र ने अपने जीवन में ऐसे बेहतरीन गीत लिखे कि उसमें कौन अच्छा और किसे नापसंद कहें समझ में नहीं आता। आज भी लोगों के जेहन में उनके लिखे गीतों की सुरीली तान सुनाई देती है।
गीतों के राजकुमार कहे जाने वाले शैलेंद्र का जन्म 30 अगस्त 1923 को रावलपिंडी में हुआ था, जबकि शैलेंद्र के पूर्वज बिहार के भोजपुर के रहने वाले थे। गुजर-बसर करने के लिए शैलेंद्र का परिवार रावलपिंडी आ गया और वहीं उनका जन्म हुआ।
जन्म होते ही शैलेंद्र के पिता ने पूरे इलाके में मिठाई बंटवाईं, लेकिन वक्त की चाल को कौन समझ सकता है। हालात कुछ ऐसे बने कि पूरा परिवार आर्थिक बदहाली का शिकार हो गया और फिर यह तय हुआ कि रावलपिंडी छोड़कर मथुरा चला जाए। मथुरा में शैलेंद्र के बड़े भाई रेलवे में नौकरी किया करते थे। शैलेंद्र का बचपन मथुरा में ही बीता और स्कूली शिक्षा मथुरा के सरकारी स्कूल से हुई। उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई वहीं के राजकीय इंटर कॉलेज से की।
पढ़ाई में शैलेंद्र शुरू से ही तेज थे। पढ़ाई के दौरान शैलेंद्र को पूरे उत्तर प्रदेश में तीसरा स्थान मिला। उन्हें बचपन से ही कविता लिखने और डफली बचाने का शौक था। उनकी कविता उस समय नामी-गिरामी पत्र-पत्रिकाओं में छपा करती थी। जैसे-साधना, नया साहित्य, हंस और जनयुग इत्यादि।
मथुरा में कुछ समय बिताने के बाद परिवारिक स्थिति इतनी दयनीय हो गई कि शैलेन्द्र को मुंबई की ओर रुख करना पड़ा। कुछ कमाकर अपने परिवार का गुजर-बसर करने के लिए शैलेंद्र ने मुबई के माटूंगा रेलवे स्टेशन पर हेल्पर की नौकरी की।
यह 1942 का साल था। शैलेन्द्र को पेट भरने के लिए कुछ पैसे तो जरूर मिल जाते थे, लेकिन कल-कारखानों में लगी मशीनों के शोर में अपने शब्दों को कविता में तब्दील करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।
संगीत और कविता का सबसे बड़ा 'आवारा' और साधारण शब्दों के असाधारण गीतकार शैलेन्द्र 1948 की उमस भरी शाम में एक कवि सम्मेलन में कविता पाठ कर रहे थे। उसी सम्मेलन में सूट-बूट पहना हुआ एक शख्स उनके पास जा पहुंचा और कहा मेरा नाम राजकपूर है।
दरअसल, राजकपूर उन दिनों फिल्म 'आग' की शूटिंग कर रहे थे। शैलेन्द्र की कविता सुनकर राजकपूर इतने खुश हुए कि उन्हें आग्रह किया कि वह अपनी कविता को उनके फिल्म के लिए लिखें। मगर शैलेंद्र ने राजकपूर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और बोले- मैं अपनी कविता का कारोबार नहीं करता। मगर वक्त की नज़ाकत को कौन समझ सकता है।
एंटी ग्लोबल वार्मिंग एक्ट पारित हुआ
30 अगस्त 2006 के दिन कैलिफोर्निया की सीनेट ने एक एक्ट पारित किया. इस एक्ट को ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों को कम और ख़त्म करने के उद्देश्य से पारित किया गया था. इस प्रकार कैलिफोर्निया ऐसा करने वाला अमेरिका का पहला राज्य बना. इस एक्ट के तहत कैलिफोर्निया में कार्यरत विभिन्न प्रकार के उद्योगों पर ग्रीन हाउस गैसों को लेकर कैप लगा दी गई.
असल में कैलिफोर्निया उस समय अमेरिका में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का दस प्रतिशत भागीदार था. इस कारण से ही यहाँ कार्बन डाई ऑक्साइड का सबसे ज्यादा उत्सर्जन भी होता था. यही वह वजह थी कि यहाँ की सीनेट को इस प्रकार का एक्ट पारित करना पड़ा था.
आगे इस एक्ट में नए प्रावधान भी जोड़े गए. एक प्रावधान के अनुसार 2025 तक कलिफोर्निया को ग्रीन हाउस गैसों में 25 प्रतिशत तक कटौती करनी है. ऐसा करने पर वह क्योटो प्रोटोकाल का भी पालन कर पाएगा. क्योटो प्रोटोकाल 1997 में जापान में पास हुआ था. यह पूरे विश्व में पर्यावरण संरंक्षण की वकालत करता है.
आगे ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने इस एक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए. जॉर्ज बुश के कार्यकाल में उन्हें थोड़ी छूट भी मिली. 2008 में जब बराक ओबामा अमेरिका के नए राष्ट्रपति बने तो उन्होंने इन छूटों को ख़त्म कर दिया.
चीन ने की उत्तरी वियतनाम की मदद
30 अगस्त 1966 के दिन चीन उत्तरी विएतनाम की मदद करने के लिए राजी हो गया. इस समय उत्तरी वियतनाम दक्षिणी वियतनाम से युद्ध लड़ रहा था. अमेरिका और फ़्रांस दक्षिणी वियतनाम की मदद कर रहे थे. यह युद्ध शीत युद्ध का हिस्सा था.
शीत युद्ध पूंजीवादी अमेरिका और साम्यवादी सोवियत संघ के बीच लड़ा जा रहा था. दोनों देश विश्व के ज्यादा से ज्यादा देशों में अपनी-अपनी विचारधारा वाली सरकारों की स्थापना करना चाहते थे. चीन इस समय तक साम्यवादी हो चुका था और सोवियत संघ की तरफ था.
इससे पहले उत्तरी वियतनाम के एक प्रमुख क्रांतिकारी नेता हो ची मिन्ह ने बीजिंग का दौरा किया था. उनके इस दौरे के बाद ही तत्कालीन चीनी सरकार ने उत्तरी वियतनाम को 800 मिलियन युआन की वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया.
आगे सोवियत संघ ने भी उत्तरी वियतनाम को 400 मिलियन रूबल की वित्तीय मदद दी. इसके बाद उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम के बीच युद्ध बहुत लंबा खिंचा. आगे उत्तरी वियतनाम ने दक्षिणी वियतनाम को हरा दिया और अपने यहाँ कम्युनिस्ट शासन व्यवस्था लागू की.युद्ध जीतने के बाद हो ची मिन्ह यहाँ के प्रधानमंत्री बने!
इस नियंत्रण परिषद के तीन प्रमुख सदस्य सोवियत संघ, अमेरिका और ब्रिटेन थे जिसमें बाद में फ्रांस भी शामिल हो गया. परिषद का मुख्य कार्यालय बर्लिन के शोएनेबेर्ग इलाके में बनाया गया. समय के साथ परिषद कई नियम, कानून और दिशानिर्देश लागू करता रहा जिनके जरिए नाजी कानूनों और तौर तरीकों का पूरी तरह खात्मा हो सके. हालांकि अलग अलग इलाको में अलग मित्र राष्ट्रों का नियंत्रण होने की वजह से कई मामलों में नियंत्रण परिषद अपनी नहीं मनवा सका. परिषद ने कई बातें सुझाव के तौर पर पेश कीं जो कानून का रूप नहीं ले सकीं. शीत युद्ध के दौरान धीरे धीरे परिषद की ताकत भी घटती रही, हालांकि उससे उसका अस्तित्व खत्म नहीं हुआ.
इतिहास में घटीं कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं.
देश-दुनिया के इतिहास में 30 अगस्त की तारीख में दर्ज कुछ अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार है:-
1659 : दारा शिकोह की औरंगजेब ने दिल्ली में हत्या करा दी।
1888 : भारत की आज़ादी के लिए फांसी के फंदे पर झूलने वाले अमर शहीदों में से एक कनाईलाल दत्त का जन्म।
1928 : ‘द इंडिपेंडेंस ऑफ़ इंडिया लीग’ की भारत में स्थापना।
1951 फिलिपीन और अमेरिका ने एक रक्षा संधि पर हस्ताक्षर किये।
1984 : अंतरिक्ष यान ‘डिस्कवरी’ ने पहली बार उड़ान भरी।
1991 : अजरबैजान ने सोवियत संघ से स्वतंत्रता की घोषणा की।
2003 : रूसी पनडुब्बी बेरेंट्स सागर में डूबी, नौ मरे।
2007 : जर्मनी के दो वैज्ञानिकों गुंटर निमित्ज और आल्फ़ोंस स्टालहोफ़ेन ने अल्बर्ट आइंसटीन के सापेक्षता के सिद्धान्त को ग़लत ठहराने का दावा किया।
2009: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान प्रथम अभियान औपचारिक रूप से समाप्त किया।
2018 : भारतीय हॉकी टीम जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक की दौड़ से बाहर हुई