कई तरह से महिलाओं को मिली है समानता
न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश है, जिसने साल 1893 में महिला समानता की शुरुआत की थी। उसके बाद से
प्रत्येक वर्ष ’26 अगस्त’ को अंतरराष्ट्रीय महिला समानता दिवस मनाया जाता है। भारत में आज़ादी के बाद से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त तो था, लेकिन पंचायतों तथा नगर निकायों में चुनाव लड़ने का क़ानूनी अधिकार 73वे संविधान संशोधन के माध्यम से स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के प्रयास से मिला। इसी का परिणाम है किआज भारत की पंचायतों में महिलाओं की 50 प्रतिशत से अधिक भागीदारी है।
हालाकि इस बारे में पहली बार 1972 में चिह्नित किया गया था. यह संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा हर साल घोषित किया जाता है. राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने पहला आधिकारिक उद्घोषणा जारी किया था.
बीते साल 2020 में महिला समानता दिवस की 100वीं वर्षगांठ मनाई गई थी. इस दिन को मुख्य रूप से अमेरिका में 26 अगस्त को मनाया जाता है. दरअसल, इसी दिन संयुक्त राज्य अमेरिका में 19वें संविधान संशोधन के जरिए महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया. 1920 में अमेरिकी संविधान में 19वें संशोधन को अपनाया गया था.
समानता दिवस के दौरान महिलाओं की एकजुटता को कई तरह से दर्शाया जाता है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैंगनी रंग महिलाओं की समानता का प्रतीक है. यह 1908 में यूके में महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ से उत्पन्न हुआ था. बैंगनी रंग न्याय और गरीमा का प्रतीक है.
- पर्पल रिस्टबैंड: आप इस मौके पर पर्पल कलर का रबर या लेटेक्स बैंड खरीद या पहन सकते हैं. इसके अलावा आप धागे या कपड़े से बने बैंड का भी चुनाव कर सकते हैं.
- पर्पल टॉप: कई महिलाएं इस अवसर पर प्लेन पर्पल टॉप या टी-शर्ट पहनती हैं. आप चाहें तो महिला सशक्तिकरण के मैसेज वाले टॉप भी पहन सकती हैं.
- पर्पल रिब्बन: कई महिलाएं इस मौके पर पर्पल कलर का रिब्बन अपनी कलाई या फिर हाथ पर बांधकर मलिहा समानता दिवस का समर्थन करती हैं.
- पर्पल स्कार्फ: आप अपने गले या सिर पर पर्पल स्कार्फ भी बांध सकती हैं.
महिला समानाता दिवस यानी की वुमन इक्वीलिटी डे को कई नजरिये से देखा जाता है. कानून की नजर में भले ही महिला और पुरुष को बराबर का अधिकार मिला हुआ हो, लेकिन समाज में अभी भी महिलाओं को लेकर लोगों के मन में दोहरी मानसिकता बनी हुई है। उन्हें आज भी पुरूष के बराबर का अधिकार नहीं मिला है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला समानता के अधिकार की बात सबसे पहले किस देश में हुई थी। दरअसल, इस बारे में बात करने के लिए सबसे पहले अमेरिका की महिलाएं मुखर हुईं। महिलाओं को अमेरिका में वोट देने का भी अधिकार नही था। 50 सालों तक चली लड़ाई के बाद अमेरिका में महिलाओं को 26 अगस्त 1920 के दिन वोटिंग का अधिकार मिला। इस दिन को याद करते हुए महिला समानता दिवस मनाया जाने लगा।
अमेरिका में इस दिन को महिला समानता दिवस के रूप में मनाते हैं। लिंग समानता का मुद्दा अकेले अमेरिका की समस्या नही है। बहुत सारे देश इस असमानता से जूझ रहे हैं। जहां पर इस बारे में लोगों की मानसिकता को बदलने की जरूरत है। अमेरिका के साथ ही महिलाओं की समानता का मुद्दा अब अन्तरराष्ट्रीय बन गया है। इस दिन को भारत में भी मनाया जाता है। अब महिला समानता दिवस अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा है।
अमेरिका में महिला अधिकारों की लड़ाई 1853 से शुरू हुई थी। जिसमें सबसे पहले विवाहित महिलाओं ने संपत्ति पर अधिकार मांगना शुरू किया था। उस समय अमेरिका में भी महिलाओं की स्थिति आज के जैसी नही थी। वोटिंग के अधिकार के लिए हुई लड़ाई में महिलाओं को 1920 में जीत हासिल हुई। वहीं भारत में भी महिलाओं को वोट करने का अधिकार ब्रिटिश शासन काल में ही मिल गया था। अमेरिका में 26 अगस्त को वुमन इक्वीलिटी डे के रूप में मनाते हैं। जिसके बाद इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मनाने लगे।
महिलाएं आज हर मोर्चे पर पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। चाहे वह देश को चलाने की बात हो या फिर घर को संभालने का मामला, यहां तक कि देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी वे बखूबी निभा रही हैं। महिलाओं ने हर जिम्मेदारी को पूरी तन्मयता से निभाया है, लेकिन आज भी अधिकांश मामलों में उन्हें समानता हासिल नहीं हो पाई है।
जहां देश में प्रधानमंत्री के पद पर इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति के पद पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल रह चुकी हैं वहीं पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी राज्य की बागडोर संभाल रही हैं, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष भी एक महिला मायावती हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को तो विश्व की ताकतवर महिलाओं में शुमार किया ही जा चुका है।
भारत में महिला साक्षरता दर:साक्षरता दर में महिलाएं आज भी पुरुषों से पीछे हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर में 12 प्रतिशत की वृद्धि जरूर हुई है, लेकिन केरल में जहाँ महिला साक्षरता दर 92 प्रतिशत है, वहीं बिहार में महिला साक्षरता दर अभी भी 53.3 प्रतिशत है।
भारत में महिला सशक्तिकरण:महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बच्चों के लिए राष्ट्रीय चार्टर पर जानकारी प्राप्त होती है। प्रयोक्ता जीवन, अस्तित्व और स्वतंत्रता के अधिकार की तरह एक बच्चे के विभिन्न अधिकारों के बारे में पता लगा सकते हैं, खेलने और अवकाश, मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने के अधिकार, माता पिता की जिम्मेदारी के बारे में सूचना आदि, विकलांग बच्चों की सुरक्षा आदि के लिए भी सूचना प्रदान की गई है।