भारत पर यूरोपीय देशों की नजर
15वीं शताब्दी में यूरोप में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जिनकी वजह से भारत और पूर्व के देशों के प्रति यूरोपीय देशों में आकर्षण बढ़ा। यूरोप की व्यापारिक एवं औद्योगिक क्रांति ने वहां के व्यापारियों को नया बाजार तलाशने के लिए विवश कर दिया तो सबसे पहले उनकी नजर भारत पर पड़ी।
इतिहास में आज का दिन भारत के लिए किसी भी हाल में भुलाने वाला नहीं है। आज ही के दिन यानि 24 अगस्त को कुछ ऐसा घटा जिसने इस देश के इतिहास और भूगोल को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। दरअसल 15वीं शताब्दी में यूरोप की कुछ घटनाओं के चलते भारत और पूर्व के देशों के प्रति यूरोपीय लोगों में आकर्षण पैदा हुआ और यूरोप में हुई व्यापारिक एवं औद्योगिक क्रांति ने वहां के व्यापारियों को नया बाजार तलाशने के लिए विवश कर दिया।
ईस्ट इंडिया कम्पनी का पहला जहाज ‘हेक्टर’ सूरत के तट पर पहुंचा। इस क्रम में पहले पुर्तगालियों और फिर डच व्यापारियों का भारत में आगमन हुआ और उन्होंने परस्पर व्यापार को बढ़ावा दिया। 1608 में 24 अगस्त के दिन कैप्टन हॉकिन्स के नेतृत्व में अंग्रेजों का पहला जहाजी बेड़ा भारत पहुंचा। उस समय मुगल सम्राट जहांगीर का शासन था। इतिहास की इस एक घटना ने भारत के इतिहास और भूगोल को बदलकर रख दिया।
अमेरिका के संसद में लगी आग
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के प्रमुख पहचान प्रतीकों में शामिल वहां की संसद यानि कैपिटोल बिल्डिंग को ठीक 200 साल पहले आज ही के दिन आग लगा दी गई. अमेरिका और ब्रिटेन के बीच युद्ध में कई ऐतिहासिक इमारतें तबाह हुईं.साम्राज्यवाद के घोड़े पर सवार ब्रिटेन को 19वीं सदी के शुरू में यूरोप में हो रही जंगों में कामयाबी मिल रही थी, जबकि अमेरिका कोई 40 साल पहले ही आजाद हो चुका था. उसी समय अमेरिकी और ब्रिटिश फौजों के बीच 1812 का युद्ध लड़ा गया. इसमें अमेरिकी सेना को हार का सामना करना पड़ा और 1814 में ब्रिटिश सेना राजधानी वॉशिंगटन डीसी पहुंच गई. उसने एक एक कर ऐतिहासिक महत्व वाली इमारतों में आग लगाना शुरू कर दिया, जिसमें राष्ट्रपति निवास व्हाइट हाउस और संसद कैपिटोल भी शामिल था.
व्हाइट हाउस को भी पहुंचा नुकसान
उस जमाने में अमेरिका का भ्रमण करने वालों का कहना था कि राजधानी वॉशिंगटन डीसी में यूएस कैपिटोल ही इकलौती इमारत थी, जिस पर लोगों की दूर से नजर जाती थी. हमले से कोई 20 साल पहले तैयार हुई यह बिल्डिंग किसी भी दूसरे देश के संसद की तरह गोल है और अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास स्थान व्हाइट हाउस से टहल कर पहुंचा जा सकता है.
इसके ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश सेना ने इसे ध्वस्त करने का इरादा किया. उससे पहले इमारत को लूट लिया गया. पत्थरों से बनी इमारत में आग ठीक ढंग से नहीं लग पाई. उसके बाद हमलावरों ने संसद के फर्नीचरों को जमा किया और उनमें बारूद छिड़क कर आग लगा दी. यह तरकीब काम कर गई. इसका सबसे ज्यादा नुकसान संसद की लाइब्रेरी को पहुंचा, जहां 3000 किताबें राख हो गईं. आस पास की दूसरी इमारतें भी जल गईं. वैसे कैपिटोल की नींव को नुकसान नहीं पहुंचा और उसे बाद में मरम्मत कर दिया गया.
आजाद अमेरिकी इतिहास में यह पहला मौका था, जब किसी विदेशी सेना ने उस पर धावा बोला और जीत हासिल की. अमेरिका में कैपिटोल और व्हाइट हाउस को जलाने की भी यह इकलौती घटना है.
दुनिया का पहला छापाखाना, छपी बाइबिल की पहली प्रति
1456 में आज के दिन जर्मनी में छापामशीन से बाइबिल की पहली प्रति छापी गई. इसे गुटेनबर्ग बाइबिल के नाम से भी जाना जाता है.
पंद्रहवीं सदी में जर्मनी के योहानेस गुटेनबर्ग ने दुनिया का पहला छापाखाना लगाने के साथ ही हाथ से पुस्तकों की लिखाई और लकड़ी के गुटकों से प्रिंटिंग के अंत की नींव रखी. आज ही के दिन 1456 में जर्मनी के माइंस शहर में गुटेनबर्ग की प्रिंटिंग प्रेस से गुटेनबर्ग बाइबिल की पहली प्रति छप कर निकली. इसे बी42 या 42 लाइनों वाली बाइबिल भी कहते हैं. यहीं से गुटेनबर्ग क्रांति की शुरुआत होती है.गुटेनबर्ग ने बाइबिल की 300 प्रतियां प्रकाशित कर पेरिस और फ्रांस भेजीं.
लैटिन भाषा में छपी गुटेनबर्ग बाइबिल का खास महत्व है. इसमें सफेद कागज पर काले अक्षरों की छपाई है. गुटेनबर्ग बाइबिल की पहली प्रति 1847 में अमेरिकी पुस्तक प्रेमी जेम्स लेनॉ के साथ अमेरिका पहुंची जो कि अब न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी में है.
प्रिंटिंग मशीन योहानेस गुटेनबर्ग ने सबसे पहले सन 1439 में बनाई थी. हालांकि इसके कुछ सौ साल पहले से ही लकड़ी के गुटकों से प्रिंटिंग और घूमने वाली छपाई मशीन का चीन में प्रयोग हो रहा था, लेकिन गुटेनबर्ग की छपाई मशीन उनसे अलग थी. माइंस में उन्होंने पहला छापाखाना 1454-55 में लगाया. गुटेनबर्ग की तकनीक से बनी छपाई मशीन जल्द ही पूरे यूरोप और बाद में पूरे संसार में प्रयोग की जाने लगीं. लोगों को किताब और ज्ञान उपलब्ध कराने में इसका अहम योगदान रहा.
देश दुनिया के इतिहास में 24 अगस्त की तारीख पर दर्ज अन्य प्रमुख घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है...
1600: ईस्ट इंडिया कम्पनी का पहला जहाज ‘हेक्टर’ सूरत के तट पर पहुंचा।
1690: कलकत्ता शहर की स्थापना हुई।
1814: ब्रिटिश सेना ने आज ही के दिन व्हाइट हाउस को आग के हवाले कर दिया था।
1891: थॉमस एडिसन ने काइनेटोग्राफिक कैमरा और काइनेटोस्कोप के लिए पेटेंट प्राप्त किया। यही तकनीक आगे चलकर चलचित्र में तब्दील हुई।
1914: प्रथम विश्व युद्ध में जर्मन सेना ने नैमूर पर कब्जा किया।
1954: गहराते राजनीतिक समीकरणों के बीच ब्राज़ील के राष्ट्रपति गेटुलियो वर्गास ने इस्तीफा देने के बाद आत्महत्या कर ली।
1969: वी.वी. गिरि भारत के चौथे राष्ट्रपति बने।
1974: फखरूद्दीन अली अहमद भारत के पांचवें राष्ट्रपति बने।
1991: सोवियत संघ से अलग होकर यूक्रेन एक स्वतंत्र देश बना।
1993: पॉप स्टार माइकल जैक्सन के ख़िलाफ़ लॉस एंजेल्स पुलिस ने यौन शोषण के आरोपों की जांच शुरू की।
1995: उत्तरी अमेरिका में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 95 की आम जनता के लिए शुरुआत।
1999: पाकिस्तान ने करगिल ऑपरेशन के दौरान भारत द्वारा पकड़े गए 8 युद्धबंदियों को युद्धबंदी मानने से इंकार किया।
2000: बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद इरशाद को 5 वर्ष की सज़ा।
2006: अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने प्लूटो (यम) का ग्रह का दर्जा समाप्त किया।