
जब कालिंदी को लगी पुरुषोत्तम एक्सप्रेस की पीछे से टक्कर
साल 1995 में आज ही के दिन पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के बीच उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में टक्कर हुई थी। इस हादसे में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और करीब इतने ही लोग घायल हुए थे।भारत का सबसे बड़ा रेल हादसा
20 अगस्त 1995 के दिन फिरोजाबाद में दो ट्रेन आपस में टकरा गईं. इस टक्कर के बाद दोनों में भीषण विस्फोट हुआ. इससे 358 लोगों की मौत हो गई. भारतीय रेल के इतिहास में इसे अब तक की सबसे बड़ी रेल दुर्घटना माना जाता है.असल में 20 अगस्त के दिन कालिंदी एक्सप्रेस नई दिल्ली की तरफ जा रही थी. इसमें करीब 900 लोग सवार थे. फिरोजाबाद के पास यह ट्रेन एक गाय से टकरा गई. इसके कारण इस ट्रेन के ब्रेक फेल हो गए. ड्राइवर ने इसे रोक दिया.
इस ट्रेन के बिल्कुल पीछे पुरषोत्तम एक्सप्रेस आ रही थी. इस ट्रेन में लगभग 1,300 यात्री सवार थे. सिग्नलमैन लाई शरमन इसे रोक नहीं पाए. आगे यह ट्रेन कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई.टकराते ही दोनों ट्रेनों के छह डिब्बों के परखच्चे उड़ गए.इस दुर्घटना के बाद सिग्नलमैन लाई शरमन हमेशा के लिए गायब हो गए. उनका कभी कोई पता नहीं चला. इसके बाद भी भारतीय रेल ने सुरक्षा को लेकर कोई बड़े सुधार नहीं किए.
रूसी क्रांति के लियोन ट्रोट्स्की की हत्या
20 अगस्त 1940 के दिन रूसी क्रांति के अग्रणी नेताओं में शामिल लियोन ट्रोट्स्की की मेक्सिको में हत्या कर दी गई. उनकी हत्या रेमन मरसेडर नाम के एक स्पेनी कम्युनिस्ट ने की थी.असल में रूसी क्रांति के जनक व्लादिमीर लेनिन की मृत्यु के बाद जोसेफ स्टालिन सोवियत संघ के अगले राष्ट्रपति बने थे. ट्रोट्स्की के उनके साथ वैचारिक मतभेद थे. इस कारण उन्हें देश से निकाल दिया था. हत्या के वक्त वे इसी सज़ा को भुगत रहे थे.
ट्रोट्स्की का जन्म 1879 में यूक्रेन में हुआ था. बहुत कम उम्र में ही वे मार्क्सवादी बन गए थे. अपनी पढ़ाई छोड़कर उन्होंने मज़दूरों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था. वे रूस के जार के खिलाफ थे.इसलिए 1900 में उन्हें साइबेरिया में सज़ा के तौर पर कैद कर लिया गया था.1902 में वे इंग्लैण्ड में भाग गए. यहाँ उनकी मुलाकात व्लादिमीर लेनिन से हुई. दोनों ने मिलकर क्रांति के बारे में विचार विमर्श किया. दोनों के विचारों में काफी अंतर था. लेनिन जहां सशस्त्र क्रांति के पक्ष में थे.वहीं ट्रोट्स्की एक सतत विकास प्रक्रिया द्वारा समाजवाद स्थापित करना चाहते थे.
आगे वे लेनिन से सहमत हुए और 1917 की रूसी क्रांति में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई. क्रांति के बाद उन्हें देश का विदेश मंत्री भी बनाया गया. आगे 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद ट्रोट्स्की ने स्टालिन की आलोचना की. ट्रोट्स्की ने स्टालिन के ऊपर तानाशाही रवैये को लागू करने का आरोप लगाया.इसके बाद उनसे उनका पद छीन लिया गया और उन्हें देश निकाला दे दिया गया.1928 में वे तुर्की पहुंचे. यहां उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी.
भेजा गया पहला टेलीग्राम सन्देश
20 अगस्त 1911 के दिन पहली बार वैश्विक टेलीग्राम भेजा गया. इसे न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार के दफ्तर से एक व्यवसायी सेवा का प्रयोग करते हुए भेजा गया.यह टेलीग्राम इसलिए भेजा गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि एक व्यवसायी टेलीग्राम सेवा कितना तेज काम करती है. इस टेलीग्राम में 'यह संदेश विश्व में भेजा जा रहा है' संदेश निहित किया गया था.इसे 20 अगस्त की शाम में शाम सात बजे अखबार के दफ्तर से भेजा गया.यह संदेश लगभग 17 मिनट में 28 हजार मील की दूरी तय करके दफ्तर वापस लौट आया. इस दौरान 16 ऑपरेटरों ने इसका संचालन किया. इन ऑपरेटरों में बम्बई शहर का ऑपरेटर भी शामिल था.आगे इसी सिद्धांत के आधार पर नासा ने संदेशों का प्रयोग अंतरिक्ष में संचार के लिए किया.सन 1997 में नासा ने वोयेगर द्वितीय नाम का राकेट लांच किया. इसको लांच करने के साथ एक संदेश रिकॉर्ड किया गया. आगे इस संदेश को 16 अन्य भाषाओं में अनूदित किया गया.इस संदेश का मुख्य लक्ष्य अंतरिक्ष के रहस्यों पर से पर्दा उठाना था. आगे इस संदेश की वजह से वैज्ञानिक कुछ नई बातों का पता लगा पाए. इनमें सबसे प्रमुख बात यह थी कि शनि ग्रह चारों ओर एक छल्ला है.
सोवियत संघ ने चेकोस्लोवाकिया में दिया दखल
20 अगस्त 1968 के दिन सोवियत संघ ने चेकोस्लोवाकिया में दखल दिया. यह दखल चेकोस्लोवाकिया में उठे सोवियत संघ विरोधी प्रतिरोध को कुचलने के उद्देश्य से दिया गया. सोवियत संघ के इस कदम ने पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया.इससे सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों में खटास और बढ़ गई.चेकोस्लोवाकिया में सोवियत संघ का विरोध तब शुरू हुआ, जब 1968 में अलेक्जेंडर ड्यूबेक देश की कम्युनिस्ट पार्टी का नया अध्यक्ष बना.
वह चाहता था की चेकोस्लोवाकिया की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी पूरी स्वतंत्रता से काम करे. इसके लिए वह लगातार सोवियत संघ से स्वतंत्रता की मांग कर रहा था. लेकिन सोवियत संघ उसे यह स्वतंत्रता देने को तैयार नहीं था.आगे जब बात नहीं बनी तो ड्यूबेक ने अपनी मर्जी से चेकोस्लोवाकिया का राज चलाना शुरू कर दिया. सोवियत संघ ने इसका विरोध किया तो उसने उनके आर्डर मानने से साफ़ इंकार कर दिया.आगे सोवियत संघ ने सख्ती दिखाई, तो चेकोस्लोवाकिया की जनता सड़कों पर उतर आई.इसके बाद सोवियत संघ ने अपनी सेना भेजकर यह विद्रोह कुचल दिया.
20 अगस्त की तारीख में दर्ज कुछ अन्य घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है:
1828: राजा राम मोहन रॉय के ब्रह्म समाज का पहला सत्र कलकत्ता (अब कोलकाता) में आयोजित।
1897: रोनाल्ड रॉस ने कलकत्ता (अब कोलकाता) के प्रेसिडेंसी जनरल हॉस्पिटल में काम करने के दौरान मलेरिया के कारक एनोफिलीज मच्छर की पहचान की।
1913: फ्रांस के एडोल्फ पेगोड पैराशूट के जरिए विमान से उतरने वाले पहले पायलट बने।
1921: केरल के मालाबार में मोपला विद्रोह की शुरुआत।
1944: राजीव गांधी का जन्म। वह देश के नौवें प्रधानमंत्री बने।
1955: मोरक्को और अल्जीरिया में फ्रांस-विरोधी दंगों में सैकड़ों लोग मारे गए।
1979: तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के 23 दिन बाद इस्तीफा दिया।
1988: पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक का हवाई दुर्घटना में निधन और सीनेट के सभापति गुलाम इशहाक खान राष्ट्रपति बने।
1988: भारत और नेपाल में 6.5 की तीव्रता वाले भूकंप से एक हजार लोगों की मौत हुई।
1991: उत्तरी यूरोपीय देश इस्तोनिया ने तत्कालीन सोवियत संघ से अलग होने की घोषणा की।
2002: फलस्तीनी छापामार नेता अबू निदाल मृत पाया गया।
2018: अफगान बलों ने उत्तरी कुंदूज प्रांत में एक अभियान चलाकर तालिबान द्वारा कुछ घंटों पहले अगवा किए गए 149 लोगों के छुड़ाया।
2018: भारत की विनेश फोगाट ने जकार्ता एशियाई खेलों की महिला कुश्ती प्रतियोगिता के 50 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह देश की पहली महिला पहलवान बनीं।