
भारत-पाक को विभाजित करने वाली
रैडक्लिफ़ लाइन की घोषणा हुई
आज ही के दिन, साल 1947 में भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने वाली लाइन रैडक्लिफ़ की घोषणा की गयी थी. भारत के विभाजन के लिए सर सिरिल रैडक्लिफ़ को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. उन्हें ही सीमा तय करनी थी. लिहाजा, विभाजन की इस लाइन का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया.
उन्हें 4,50,000 km sq की ज़मीन को बराबर रूप से दो देशों के बीच बांटनी थी. जिसमें 88 मिलियन लोग रह रहे थे. इस रेखा को बनाते समय ये ध्यान रखना था कि ज़मीन को इस तरह विभाजित किया जाए कि मुस्लिम बाहुल्य इलाके पाकिस्तान में जाएं.
इसके अलावा, सिख और हिन्दू बाहुल्य इलाके या राज्य भारत में बने रहे. इस तरह धर्म के आधार पर इसे बराबर और तर्कपूर्ण रूप से बांटना था.
आजादी से पहले, भारत का 40 प्रतिशत हिस्सा रियासतों के रूप में था. इस प्रकार वह ब्रिटिश भारत का हिस्सा नहीं थे. ब्रिटिश सरकार उन्हें आजादी या विभाजित नहीं कर सकती थी. लिहाज़ा, उन्होंने ये फैसला रियासतों के ऊपर ही छोड़ दिया.अब वो अपना फैसला खुद ले सकती थीं, जिसमें वो चाहे तो आज़ाद हो सकते या अपना विलय भी कर सकते थे.
टर्की में भूकंप से 17,000 लोगों की मौत
आज ही के दिन, साल 1999 में तुर्की के उत्तर-पश्चिमी इलाके में बहुत तेज़ भूकंप आया. इस प्राकृतिक हादसे में 17,000 लोगों की मौत हो गयी. इसके साथ ढाई लाख लोग बेघर हो गए.इस हादसे की वजह से ही सरकार और बिल्डिंग कांट्रेक्टर के बीच की सांठ-गांठ का पर्दाफाश भी हुआ था.
इससे पहले भी साल 1942 और 1944 में यहां भूकंप के झटके लग चुके थे. समय के साथ इस इलाके में आबादी बढती चली गयी. वहां लगभग 20 मिलियन लोग रहने लगे थे. जो कि शहर की सबसे घनी आबादी वाली जगह बन चुकी थी.17 अगस्त के सुबह के तीन बजे, 7.4 की गति से यह एक तेज़ भूकंप था. इस भूकंप का केंद्र इज्मित था, जो कि इस्तांबूल का एक क्षेत्र है. इस भूकंप ने बहुत भारी मात्रा में क्षति पहुंचाई.
इससे चालीस हज़ार घर और बिल्डिंग्स प्रभावित हुईं. इसके अलावा, बुर्सा की तेल की रिफाइनरी में भीषण आग लग गयी. इस भूकंप की वजह से बहुत खतरनाक मंजर देखने को मिला. इसकी वजह से पूरी सड़कें बिल्डिंग के मलबों से दब चुकी थीं.
इसके बाद वहां की सरकार ने बचाव अभियान शुरू किया. टर्की की मदद के लिए इजराइल ने भी मदद भेजी. यह तुर्की के इतिहास में एक बहुत भयानक आपदा रही है. जिसने हजारो लोगों को काल के गाल में समा लिया.
मुहम्मद जिया उल हक की विमान हादसे में मौत
आज ही के दिन, पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद जिया उल हक की हवाई हादसे में मौत हो गयी थी. उनके साथ इस सी-130 विमान में पाकिस्तान सेना के कुछ अधिकारी भी मौजूद थे. उड़ान के कुछ मिनटों बाद ही कंट्रोल टावर का विमान से संपर्क टूट गया और उनका विमान क्रेश हो गया.
इस हादसे के लिए जांच की टीम बैठाई गयी. अमेरिकी जांचकर्ताओं की रिपोर्ट में ये कहा गया कि विमान में तकनीकी खराबी के कारण यह हादसा हुआ. जबकि कुछ समय बाद, अमेरिकी लैब में पाया गया कि कंट्रोल सिस्टम के एलिवेटर बूस्टर पैकेज में पीतल और अलुमिनियम की मिलावट थी.
इसी क्रम में, ब्रिटेन के अखबार द संडे टाइम्स ने 2008 में एक लेख छपा. इस लेख में इस बात को उजागर किया गया कि विमान के पायलट मसूद हसन ने हादसे से पहले अपने एक साथी से कहा था कि वह जिया उल हक को एक धार्मिक नेता की हत्या का जिम्मेदार मानते हैं.
इसके साथ ही हसन ने यह भी कहा था कि जिस दिन हक उसके साथ विमान में चढ़ेंगे वो उनका अंतिम दिन होगा. हालांकि, इस हादसे को लेकर कई कयास लगाए गए, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.
जिया को पाकिस्तान के इस्लामीकरण के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने धार्मिक और दक्षिणपंथी पार्टियों को अपने साथ करने के लिए संविधान में कुछ ऐसे संशोधन किए जो उनके लिए बुरे साबित हुए.उन्होंने निर्वाचित प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार गिरवा दी थी. साथ ही, एक जाली मुकदमे का सहारा लेकर उन्हें फांसी पर भी लटकवा दिया था.
नार्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच खींची लकीर
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कोरिया का विभाजन हो गया. यह नार्थ कोरिया और साउथ कोरिया के रूप में दो नए देश बन गए.साल 1910 से कोरिया पर जापान ने अपना राज किया था. उन्होंने अपना कब्ज़ा 1945 तक रखा. कोरिया पर 1945 में उनका शासन खत्म हुआ, जब जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में सरेंडर कर दिया.
इसके बाद सोवियत रूस ने उत्तर कोरिया के 38th parallel क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया. वहीं दूसरी और साउथ कोरिया पर अमेरिकी सेना ने अपना अधिपत्य जमा लिया.विभाजन ने अमेरिकी क्षेत्र में सोलह मिलियन कोरियाई और सोवियत क्षेत्र में नौ मिलियन लोग आए. इस समझौते को जापान के आत्मसमर्पण के लिए सामान्य जनरल नंबर 1 में 17 अगस्त 1945 में शामिल किया गया.
इस दौरान कोरिया विचारधारा के रूप में बंट चुका था. जहां एक और नार्थ कोरिया साम्यवाद के सिद्धांत पर चलना चाहता था. वहीँ दक्षिण कोरिया लोकतंत्र के लिए अग्रसर था.
साल 1950 से 1953 तक कोरियाई युद्ध चला. जिसके बाद इसी वर्ष ये देश विभाजित हो गए. साउथ कोरिया को कई दिनों तक अमेरिका पर ही निर्भर रहना पड़ा. कोरियाई युद्ध के दशकों बाद आई उद्योग क्रान्ति में साउथ कोरिया तो बहुत फला-फूला. लेकिन, नार्थ कोरिया एक परिवार का शासन बनकर रह गया. यह किम परिवार के हाथ की जागीर बनकर रह गया.
अन्य घटनाएं
1836: आज के दिन यानी 17 अगस्त को ब्रिटेन की संसद ने जन्म, विवाह और मृत्यु से संबधित पंजीकरण को अपना लिया था।
1909: मदनलाल ढींगरा (भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम क्रांतिकारी थे) को हत्या के मामले में पेंटोनविली कैदखाने में फांसी दी गई।
1915: टेक्सस के गेल्वस्टोन में चक्रवाती तूफान आया, जिसके कराण 275 लोगों की मौत हो गई थी।
1917: 17 अगस्त को तुर्की के खिलाफ इटली ने युद्ध की घोषणा की।
1941: बर्लिन की दीवार (पश्चिमी बर्लिन और जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य के बीच एक अवरोध थी, जिसने 28 साल तक बर्लिन शहर को पूर्वी और पश्चिमी टुकड़ों में विभाजित करके रखा) का काम पूर्वी जर्मनी सरकार द्वारा पूरा हुआ।
1947: पहली ब्रिटिश सैना की टुकड़ी भारत की आजादी के बाद अपने देश के लिए निकल गए।
1978 : अटलांटिक महासागर को तीन अमेरिकियों द्वारा हॉट एयर बैलून के माध्यम से पार किया गया।
1982: पहली सीडी यानी कंपैक्ट डिस्क जर्मनी के लोगों के लिए उपलब्ध की गई।
1987: एडोल्फ हिटलर एक कुख्यात जर्मन तानाशाह थे। वे "राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी" (NSDAP) के नेता थे। बता दें कि आज के दिन के करीबी माने जाने वाले रूडोल्फ हेस जेल में मरे हुए पाए गए।