
ई—रूपे का नया इतिहास और पन्नों में दर्ज कुछ घटनाएं
आने वाले दिनों में Digital Payment App e-RUPI भारतीय ई—कॉमर्स की दुनिया में विशेष महत्व का बनने वाला है. इस प्लेटफॉर्म का नाम e-RUPI है और इसे पूरी तरह से कैशलेस और कॉन्टेक्टलेस यानी संपर्करहित बनाया गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार ये एक ऐसी योजना है, जिसमें सरकार और लाभार्थी के बीच में काफी सीमित टचप्वाइंट्स होंगे. बयान में बताया गया कि इस प्लेटफॉर्म को ये सुनिश्चित करना है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए.
पीटीआई की खबर के मुताबिक, e-RUPI एक प्री-पैड ई वाउचर है. इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है. e-RUPI क्यूआर कोड या एसएमएस स्ट्रिंग के आधार पर ई-वाउचर के रूप में कार्य करता है, जिसे लाभार्थियों के मोबाइल फोन तक पहुंचाया जाता है. e-RUPI एक प्री-पैड वाउचर की तरह काम करेगा, इसलिए यह किसी भी मध्यस्थ की भागीदारी के बिना सेवा प्रदाता (Service provider) को समय पर भुगतान करने का भरोसा देने वाला है.
e-RUPI का वन-टाइम पेमेंट मैकेनिज्म अनुमति देता है कि बिना कार्ड, डिजिटल पेमेंट्स एप और इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस के यूजर्स सर्विस प्रोवाइडर पर वाउचर रिडीम कर सकते है. एनपीसीआई ने इसे अपने यूपीआई (UPI) प्लेटफॉर्म पर भी तैयार किया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने अपने बयान में कहा कि ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि कल्याणकारी सेवाओं की डिलिवरी को लीक-प्रुफ सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल होगी. इसके अलावा माता और बाल कल्याण स्कीम के तहत दवा और न्यूट्रीशिनल सपोर्ट की डिलिवरी सर्विसेज के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
इतिहास के पन्ने की कुछ अहम घटनाएं
देश में खेलों के इतिहास में दो अगस्त का दिन एक खास महत्व रखता है। दरअसल यही वह दिन है जब 1987 में भारत के विश्वनाथन आनंद ने फिलिपींस में आयोजित विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप में खिताबी विजय हासिल की थी।
देश में खेलों के इतिहास में दो अगस्त का दिन एक खास महत्व रखता है। दरअसल यही वह दिन है जब 1987 में भारत के विश्वनाथन आनंद ने फिलिपींस में आयोजित विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप में खिताबी विजय हासिल की थी। वह यह कारनामा अंजाम देने वाले पहले एशियाई शतरंज खिलाड़ी थे। दो अगस्त की अन्य घटनाओं की बात करें तो भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की रचना करने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म भी दो अगस्त को ही हुआ था।
इराक का कुवैत पर हमला
इराक के इतिहास में एक समय ऐसा भी आया, जब इराक भारी कर्ज़ में डूब गया था. इसकी वजह थी तकरीबन 8 वर्षों तक ईरान से चली जंग.
जंग के बाद आर्थिक स्थिति को लेकर वहां का शासक सद्दाम हुसैन काफी चिंतित हो गया था. इन खराब हालातों से बचने के लिए उसने अपने पड़ोसी मुल्क कुवैत से कर्ज माफ़ करने को कहा. वहीं, कुवैत ने इस बात से साफ़ इनकार कर दिया.
इस बात को सद्दाम हुसैन ने अपना अपमान समझा और मौका देखकर इराक ने 2 अगस्त 1990 को कुवैत पर हमला कर दिया.सद्दाम की सेना ने दो दिनों के भीतर पूरे कुवैत पर कब्जा कर उसे अपना नया प्रांत घोषित कर दिया.कुवैत सैन्य तौर पर इतना मज़बूत नहीं था कि वह इराक़ से लड़ सके. इधर, इराक की छवि इससे खराब हो रही थी.
इराक ने कुवैत के साथ-साथ उसके तमाम संसाधनों पर भी कब्ज़ा जमा लिया था. इस स्थिति पर विचार करते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इराक से कुवैत को आज़ाद कराने का फैसला लिया.जल्द ही अमेरिका ने कई और देशों की सेनाओं के साथ 24 अगस्त 1991 में कुवैत को आज़ाद करा लिया.
‘भारत सरकार अधिनियम 1858’ पारित हुआ
आज ही के दिन यानी 2 अगस्त 1858 को ब्रिटिश सरकार ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट पारित किया था.
यह एक्ट 1857 में हुए विद्रोह के मद्देनज़र पारित किया गया था. 1857 में मंगल पांडे ने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ मेरठ में विद्रोह शुरू कर दिया था. जनता भी उनके साथ जुड़ी. मगर उस वक्त के मुगल बादशाह बहदुर शाह जफर का नेतृ्तव कमजोर होने की वजह से विद्रोह बिखर सा गया.आगे ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर विद्रोहियों पर भारी पड़ गए और विद्रोह दबा दिया गया.
इस दौर में ईस्ट इंडिया के हाथों में ही देश को संभालने का जिम्मा था. हालांकि इस एक्ट के द्वारा गुलाम भारत पर शासन करने का अधिकार ब्रिटिश क्राउन के पास आ गया.इस एक्ट के तहत भारत में एक गवर्नर जनरल की नियुक्ति कर दी गई. जिसे भारत के सैन्य, कानूनी और सामाजिक मसलों पर अपने फैसले लेने का पूरा अधिकार दिया गया.ये सब कुछ ब्रिटिश सरकार की तरफ से इसलिए किया गया, ताकि विद्रोह छेड़ने वाले लोग शांत हो सकें.
अंग्रेजों के हाथों हार गया ‘मीर कासिम’
2 अगस्त 1763 के दिन पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद के गिरिया नामक स्थान पर हुए युद्ध में मीर कासिम को अंग्रेजों के हाथ पराजित होना पड़ा.मीर कासिम अंग्रेजों के शासन काल में बंगाल का नवाब था. उसे अंग्रेजों की वजह से ही बंगाल की गद्दी मिली थी. लेकिन उसे नहीं पता था कि एक दिन यही अंग्रेज उसे युद्ध में हरा देंगे.
इससे पहले भी वो अंग्रेजों से एक लड़ाई हार चुका था, लेकिन हर बार वह नई ताकत के साथ लड़ने के लिए तैयार हो जाता था.इस लड़ाई के पीछे की वजह बहुत दिलचस्प है. मीर कासिम जब बंगाल का नवाब बना, तो उसने बंगाल में अपने हिसाब से कुछ नियम लागू किए. वह अपने प्रशासकों को नियमित रूप से वेतन देने लगा था. इस वजह से खर्चों में बढ़ोत्तरी होने लगी थी. यह सब कुछ अंग्रेज देख रहे थे. देखते ही देखते वो अंग्रेजों के निशाने पर आ गया.
अंग्रेज चाहते थे कि मीर कासिम उनके हिसाब से काम करे, लेकिन ऐसा संभव नहीं था.धीरे-धीरे संबंध खराब होते चले गए. इसके बाद हालात युद्ध तक आ पहुंचे.
19 जून 1763 को कटवा के युद्ध में कासिम को हार मिली. सिलसिला यहीं नहीं रुका, आगे चलकर एक और युद्ध में उसे हार मिलने वाली थी.2 अगस्त का दिन आया. अंग्रेज और कासिम की सेना आमने-सामने थीं, जिसमें एक बार फिर मीर कासिम हार गया.
हिटलर का हुआ जर्मनी
हिटलर, दुनिया का सबसे क्रूर शासक, जो विश्व युद्ध शुरू कराने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.आज ही के दिन यानी 2 अगस्त 1934 को हिटलर को जर्मनी का ‘तानाशाह’ घोषित किया गया था और उसने सेना के मुख्य कमांडर की शपथ ग्रहण की.
उसे जर्मनी को मिली पहले विश्व युद्ध की हार का बदला लेना था और शायद इसीलिए उसने क्रूर कार्यों को अंजाम दिया.
हिटलर का जन्म ऑस्ट्रिया में हुआ था. पहले विश्व युद्ध के दौरान एक साधारण सैनिक रहा हिटलर अपने देश को सम्मान दिलाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था. और उसकी इस जिद ने उसे हिंसक बना दिया.
इसके बाद उसने अपनी नीतियों से यहूदियों को निशाना बनाया और करीब 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया.
1763: मुर्शिदाबाद पर कब्जे के बाद ब्रिटिश सेना ने गिरिया की लड़ाई में मीर कासिम को हराया।
1790: अमेरिका में पहली बार जनगणना हुई।
1831: नीदरलैंड की सेना ने दस दिन के अभियान के बाद बेल्जियम पर कब्जा किया।
1858: ब्रिटिश सरकार ने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट पारित किया, जिसके बाद भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राजशाही के हाथ में चला गया। भारत में ब्रिटिश सरकार के शीर्ष प्रतिनिधि के रूप में वायसराय का ओहदा बनाया गया।
1870: लंदन में विश्व का प्रथम भूमिगत ट्यूब रेलवे टावर सबबे शुरू हुआ।
1878: भारत के राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगे' की रचना करने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म।
1922: चीन में समुद्री तूफान से लगभग साठ हजार लोगों की मौत।
1944: तुर्की ने जर्मनी के साथ राजनयिक संबंध तोड़े।
1955: सोवियत संघ ने परमाणु परीक्षण किया।।
1984: यूरोप की मानवाधिकार अदालत ने ब्रिटेन के एक नागरिक की फोन टैपिंग को यूरोपीय संधि का उल्लंघन बताया।
1987: विश्वनाथ आनंद ने विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप जीती।
1990: इराक ने कुवैत पर हमला किया।
1990: इराक के एक लाख से ज्यादा सैनिकों ने 700 टैंकों के साथ सुबह सवेरे कुवैत पर हमला करके उसपर कब्जा कर लिया। यह पहले खाड़ी युद्ध की वजह बना।
1999: ब्रह्मपुत्र मेल घैसल में अवध-असम एक्सप्रेस से आमने सामने टकराई। दोनो रेलगाड़ियां विपरीत दिशा से एक ही पटरी पर चल रही थीं।
1999: चीन ने लंबी दूरी (8000 किमी.) की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया।
2001: पाकिस्तान ने भारत से चीनी आयात को मंजूरी दी।
2010: पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में बाढ़ में 1000 से अधिक लोगों की मौत।