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सावधान! कोरोना का खतर अभी टला नहीं है!! इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर की मानें तो कोरोना के तीसरी लहर आने की आशंका बनी हुई है। उसे देखते हुए बच्चों को वैक्सीन को लेकर अध्ययन किए गए हैं। यह कहें कि देश कोरोना की दूसरी लहर से अभी उबर भी नहीं पाया है कि तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है। सवाल बना हुआ है कि तीसरी लहर कब आएगी? हालांकि इसके अलग—अलग दावे भी किए जा रहे हैं। आइसीएमआर के अध्ययन के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर के देर से आ सकती है। ऐसे में सरकार को तैयारियों के लिए वक्त मिल जाएगा। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड-19 (Covid-19) कार्य समूह के प्रमुख डॉ. एन.के. अरोड़ा ने बताया कि अध्ययन में पाया गया है कि तीसरी लहर देर से आने की वजह से हमारे पास हर किसी का टीकाकरण करने के लिए छह से आठ महीने का समय है। इसे देखते हुए सरकार टीकाकरण अभियान को और तेज करेगी। डॉ. अरोड़ा के अनुसार आने वाले दिनों में हमारा लक्ष्य हर दिन एक करोड़ खुराक देने का है। डॉ. एनके अरोड़ा ने बताया कि जायडस कैडिला वैक्सीन का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है। जुलाई के अंत तक या अगस्त में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों को यह टीका देना शुरू किया जा सकता है। इससे पहले आइसीएमआर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा ने कहा था कि देश में चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान तीसरी लहर के असर को कम करने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आइसीएमआर का यह भी कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं होगी। वहीं डाक्टरों का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर के दौरान महामारी की तीसरी लहर के आने की आशंका है। इसमें डेल्टा के नए वेरिएंट 'डेल्टा प्लस' (Delta Plus Variant) का असर दिखने की आशंका ने नई चिंता पैदा कर दी है। महामारी वैज्ञानिकों ने अपनी भविष्यवाणी में कोविड-19 की तीसरी लहर को करीब-करीब अनिवार्य बताया है, लेकिन डेल्टा प्लस को अभी तक महामारी की तीसरी लहर से नहीं जोड़ा जा सका है। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि कोरोना वेरिएंट्स का जुड़ाव महामारी की नई लहरों से है, इसलिए तीसरी लहर के लिए डेल्टा प्लस वेरिएंट्स को जिम्मेदार मानने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। डॉ. अरोड़ा ने पीटीआई से कहा, 'महामारी के लहरों का संबंध वायरस के नए वेरिएंट्स या फिर नए उत्परिवर्तनों (Mutations) से हैं, इसलिए डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से तीसरी लहर आने की एक संभावना है। फिर भी क्या वाकई यह तीसरी लहर की ओर ले जाएगा, इसका उत्तर देना मुश्किल है, कारण यह दो या तीन चीजों पर निर्भर करेगा। डॉ. अरोड़ा का कहना है कि वायरस का अकेला वेरिएंट देश पर बुरी तरह से चोट नहीं कर सकता, क्योंकि इसके अलावा तीन अन्य ऐसे कारक भी हैं जो महामारी की संभावित नई लहर को नियंत्रित करेंगे। पहला, महामारी की तीसरी लहर इस बात पर निर्भर करेगी कि कोविड-19 के दूसरे दौर में जनसंख्या किस अनुपात में संक्रमित हुई थी। डॉ. अरोड़ा ने कहा, 'अगर दूसरी लहर के दौरान आबादी का एक बड़ा हिस्सा संक्रमित हुआ है, तो अगली लहर में लोगों को एक सामान्य सर्दी जैसी बीमारी हो सकती है, लेकिन गंभीर या घातक बीमारी होने खतरा नहीं के बराबर है।'
दूसरा, यदि इस गति से टीकाकरण अभियान चलता रहा तो तीसरी लहर आने तक बड़ी संख्या में लोगों के शरीर में इम्यून सिस्टम विकसित हो जाएगा। इस पर डॉ. अरोड़ा का कहना है ' जिस तेजी से हम टीकाकरण कर रहे हैं, यहां तक कि वैक्सीन की एक डोज भी असरदार है और जिस तरह से हम योजना बना रहे हैं, अगर हम तेजी से टीकाकरण करते हैं तो तीसरी लहर की संभावना बहुत कम हो जाती है।' तीसरा, मास्क पहनना, शारीरिक दूरी बनाए रखना सहित कोविड-19 संबंधी उचित व्यवहारों का सख्ती से पालन करने से भी तीसरी लहर से बचा जा सकता है। कोविड-19 प्रोटोकॉल एक ऐसा अहम हिस्सा है जिस पर विशेषज्ञ हमेशा से जोर देते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना की पहली लहर पिछले साल जनवरी में शुरू हुई थी और सितंबर के मध्य में चरम पर पहुंची थी। इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर इस साल फरवरी के मध्य से शुरू हुई और अप्रैल-मई में चरम पर पहुंची। देखा गया कि पहली की तुलना में दूसरी लहर ज्यादा घातक रही। विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई। अब इसमें एक और म्यूटेशन हुआ है जो डेल्टा प्लस के रूप में सामने आया है।