
हर ओर महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
बिहार का आकलन भले ही एक पिछड़े राज्य के तौर पर किया जाता हो और कई मामले में दूसरे राज्यों की तुलना में कमजोर कहा जाता हो, लेकिन वहां की सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कार्य किए हैं। बिहार में शिक्षण संस्थाओं में पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद, आरक्षण और दूसरी सुविधाओं से लेकर नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 फीसद कोटा पहले से ही निर्धारित किया जा चुका है। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार प्रदेश के सरकारी दफ्तरों तथा पुलिस स्टेशनों में 35 प्रतिशत महिलाओं की तैनाती करेने की तैयारी में है। आइए एक नजर डालते हैं बिहार के नारी सशक्तिकरण नंबरों में किस तरह से संभव हो रहा है—
— 2005 में सत्ता संभलने के तुरंत बाद नीतीश कुमार की सरकरा ने लड़कियों को मुख्य धारा में लाने के क्रम में कई निर्णय लिए। नारी सशक्तिकरण का ढांचा बनाया गया। जिसने प्रदेश के शैक्षिक,आर्थिक-सामाजिक व सांस्कृतिक ढांचे को भी काफी प्रभावित किया। इसका फायदा नीतीश कुमार को एक खास वोट बैंक का भी मिला।
— 17 वीं बिहार विधानसभा करीब 11 प्रतिशत यानी 28 महिलाएं चुनाव जीतने में सफल हुईं। उनमें सात दलित व एक अनुसूचित जाति की हैं।
— 2006 में बिहार पहला ऐसा राज्य बन गया, जहां पंचायत व शहरी निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की।
— 2007 में माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक कक्षा की बालिकाओं के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना तथा मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना से स्कूलों में लड़कियों के नामांकन में भारी इजाफा हुआ। उस साल पहली बार कक्षा नौ में एक साल पहले की तुलना में पांच गुणा अधिक लड़कियों ने दाखिला लिया। लड़कियों को स्कॉलरशिप और पोशाक भी दी गई।
— 2021 में किए गए बिहार आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार बिहार की जन्मदर में खासी कमी आई। 2001 में यह 4.4 थी, जो 2021 में 2.5 होगी और यही गति जारी रही तो यह गिरकर 2031 में 2 पर पहुंच जाएगी।
— 33 प्रतिशत सीटें प्रदेश के सभी सरकारी इंजीनियरिंग व मेडिकल कालेजों तथा प्रस्तावित स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के लिए नामांकन में लड़कियों के लिए आरक्षित कर दी गई। बिहार ऐसी व्यवस्था करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। राज्य के 38 सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में 9275 तथा दस सरकारी मेडिकल कालेजों में 1125 सीटें हैं। हालांकि पोस्ट ग्रेजुएशन तक राज्य में सभी लड़कियों के लिए सरकार ने निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था पहले से कर रखी है।
— 2008 में मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना लागू की गई, जिसका मकसद आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक सशक्तिकरण के रूप में महिलाओं को पहचान दिलाना था. इस योजना के जरिए महिलाओं के व्यक्त्वि विकास के साथ ही उनकी प्रतिभा के बहुआयामी विकास पर जोर दिया गया, ताकि वे स्वावलंबी बन सकें. इसके अलावा मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, कन्या उत्थान योजना तथा कन्या सुरक्षा योजना के जरिए क्रमश: बाल विवाह को रोकने तथा कन्या के जन्म को प्रोत्साहित करने की कोशिश की गई.
— 2016 में राज्य की सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत तथा शिक्षा विभाग की नौकरियों में 50 फीसद आरक्षण का प्रावधान किया गया। बिहार सरकार ने बीते फरवरी में पेश किए गए अपने बजट में उच्च शिक्षा के लिए अविवाहित महिलाओं को 25 हजार रुपये तथा ग्रेजुएशन करने पर 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता का भी प्रावधान किया।
— 2020 के जनवरी में प्रकाशित ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार 92,000 पुलिस बल की कुल संख्या में 23,245 महिलाएं थीं। किसी भी राज्य में यह सर्वाधिक संख्या है और यह राष्ट्रीय औसत 10.3 फीसद से लगभग दोगुनी है। इनमें 1220 पुलिस इंस्पेक्टरों में 32 और 10039 सब-इंस्पेक्टरों में 920 महिलाएं हैं। आने वाले दिनों में 27 फीसद महिला कास्टेबलों की नियुक्ति अभी बाकी है। टाटा ट्रस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में पुरुष पुलिसकर्मियों की तुलना में महिला पुलिसकर्मियों की सबसे ज्यादा संख्या बिहार में है।
— 35 प्रतिशत सीटों पर सरकारी दफ्तरों में "सशक्त महिला, सक्षम महिला योजना" के तहत महिलाओं को भर्ती किया जाना है। इसके तहत अब थाना, प्रखंड, अंचल, अनुमंडल व जिला स्तरीय कार्यालयों में बतौर कार्यालय प्रधान अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीएम), अंचलाधिकारी (सीओ), प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) व एसएचओ के पदों पर महिलाएं दिखेंगी।
— 34260 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी)का गठन 27 जिलों में किया गया है, जिनसे गरीब परिवार की 4.30 लाख महिलाएं लाभान्वित हो रहीं हैं। वहीं अपनी छोटी बचत के जरिए एसएचजी की महिलाओं ने करीब 4 करोड़ रुपये जमा किए हैं। यह जानकारी बिहार सरकार की इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस (आईसीडीएस) की वेबसाइट पर दी गई है।
— भारत सरकार के उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल के अनुसार बिहार में सूक्ष्म, लघु व मध्यम स्तर के कुल 37973 यूनिट हैं, जिनमें 7860 का संचालन महिलाएं करतीं हैं.