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हम दो,हमारे दो की नीति को दोबारा लागू करने की कोशिश
भारत सरकार देश में जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए पांच दशक बाद एक बार फिर से हम दो, हमारे दो की नीति को अपनाने पर जोर दे रही है। इस बार तरीका कुछ बदला हुआ है। सरकार ने पहले प्रशासनिक स्तर पर लागू करना चाह रही है। कोशिश है कि पहले बीजेपी—शासत राज्यों में लागू करे। इस संदर्भ में असम सरकार ने राज्य की योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दो बच्चों वाली नीति लागू करने की घोषणा की है। हालांकि इसकी आलोचना भी हो रही है। इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ उठाया जानेवाला कदम बता रहे हैं। इसी के साथ कुछ दूसरे राज्य भी इसी तरह की नीति पर विचार कर रहे हैं। उनमें देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश भी है। आलोचक इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इशारे पर अल्पसंख्यकों को दबाने के लिए उठाया गया कदम बताते हैं तो राजनीतिक हलकों में इसे लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। अब तक पूर्वोत्तर राज्य असम के अलावा उत्तर प्रदेश सरकारी नौकरी और दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दो बच्चों की नीति लागू करने की बात कह चुके हैं। वैसे, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और मध्यप्रदेश समेत कुछ राज्यों में पहले से ही ऐसा नियम लागू है, लेकिन उसे सत्तर के दशक की तरह अनिवार्य नहीं किया गया है। इससे पहले इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते 'हम दो, हमारे दो' का नारा काफी प्रचलित हुआ था। तत्कालीन केंद्र सरकार ने पहली बार परिवार नियोजन की दिशा में बेहद सख्त कदम उठाए थे। उनमें जबरदस्ती नसबंदी कराना भी शामिल था। उसकी पूरे देश में खासी आलोचना हुई थी। मोटे आंकड़ों के मुताबिक, आपातकाल के 16-17 महीनों के दौरान कम से कम 60 लाख लोगों की नसबंदी की गई थी, और इस वजह से कम कम दो हजार लोगों की मौत भी हो गई थी। अब भारत के पड़ोसी चीन में जहां आबादी बढ़ाने के लिए ज्यादा बच्चे पैदा करने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, वहीं भारत के इन राज्यों में दो बच्चों की नीति लागू करने की आलोचना की जा रही है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने साफ तौर पर कहा है कि राज्य में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दो बच्चों वाला नियम अनिवार्य किया जाएगा। उस अुनसार जिनको दो से ज्यादा बच्चे होंगे उनको सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा। हालांकि अनुसूचित जाति, जनजाति और चाय बागान के आदिवासी मजदूरों को इससे छूट दी गई है। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने दो साल पहले फैसला किया था कि जिसके दो से ज्यादा बच्चे हैं उनको एक जनवरी, 2021 के बाद सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने हाल में गरीबी कम करने के मकसद से जनसंख्या नियंत्रण के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से उचित परिवार नियोजन नीति अपनाने का अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के 30 दिन पूरे होने के मौके पर कहा था कि समुदाय में गरीबी कम करने में मदद के लिए सभी पक्षकारों को आगे आना चाहिए और सरकार का समर्थन करना चाहिए। गरीबी की वजह जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि है। उन्होंने साफ किया है कि सरकार दो बच्चों की नीति को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगी और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में इसे लागू किया जाएगा।
यूपी में बनने वाली नीति असम के बाद उत्तर प्रदेश में भी दो बच्चों वाली नीति के लिए राज्य विधि आयोग प्रस्तावित कानून का मसौदा बनाने में जुटा हुआ है। इसके तहत दो से अधिक बच्चे होने पर नागरिकों को सरकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ सकता है। इस बारे में आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल का कहना है कि दो महीने के अंदर मसौदा तैयार कर लिया जाएगा। दो से ज्यादा बच्चों वाले दंपति को सरकारी योजनाओं की सुविधा से वंचित होना पड़ेगा। प्रस्तावित नीति 1976 की जनसंख्या नीति से अलग होगी यानी यह अनिवार्य नहीं होगी।