डब्ल्यूएचओ की सलाह, स्वास्थ्य ढांचा
बढ़ाएं और टीकाकरण में तेजी लाएं
माना कि कोरोना की भारत दूसरी लहर की चपेट से तेजी से बाहर निकल रहा है और 20 जून को जारी किए गए स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के अनुसार एक हफ्ते में 33 फीसद मौतें घटीं हैं। साथ ही पिछले सात दिनों में संक्रमण के मामलों में 30 फीसद की कमी आई है। 81 दिनों बाद 60 हजार से कम नए मामले मिले और प्रतिदिन होने वाली मौतों की संख्या भी 63 दिन में सबसे कम रही है। वल्र्डोमीटर के आंकड़ों के मुताबिक बीते सात दिनों में भारत में कुल 4,42,314 संक्रमित पाए गए हैं, जबकि उससे पहले के हफ्ते में इनकी संख्या 6,30,660 थी। बावजूद इसके तीसरे लहर की चिंता के साथ असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
इसे देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने तीसरी लहर रोकने के लिए सलाह देते हुए स्वास्थ्य ढांचे को बढ़ाने और टीकाकरण में तेजी लाने के लिए कहा है। कोरोना प्रोटोकाल को सख्ती से लागू किए जाने की भी है आवश्यकता पर जोर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार इस हफ्ते मालदीव और म्यांमार ने कोरोना वायरस के चिंताजनक वैरिएंट के प्रसार की पुष्टि की गई। इससे पहले बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, नेपाल, श्रीलंका, थाइलैंड और तिमोर-लेस्टे (पूर्वी तिमोर) में इस वैरिएंट के फैलने की पुष्टि हो चुकी है।
यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का आह्वान करते हुए कहा है कि कोरोना महामारी की एक और लहर रोकने के आवश्यक सलाह दिए। ऐसा देखने में आया है कि अर्थव्यवस्था और सामाजिक गतिविधियों को खोलने के बाद चिंताजनक वैरिएंट की वजह से मामले बढ़े हैं। डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा वैरिएंट को चिंताजनक वैरिएंट की श्रेणी में रखा है।
उसका कहना है कि जांच में वृद्धि, संक्रमितों के निकट संपर्क में आए लोगों की पहचान और संक्रमण की चपेट में आए लोगों को आइसोलेट करने के प्रयास और तेज करने की जरूरत है। मास्क पहनने, शारीरिक दूरी को बनाए रखने और कुछ अंतराल पर हाथ धोते रहने के नियमों को सख्ती से लागू किए जाने की भी आवश्यकता है।
डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट के ज्यादा मामले मिल रहे हों, वहां उक्त उपायों को लंबे समय तक और सख्ती के साथ लागू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि महामारी अभी हमारे आसपास ही है और जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। जब तक ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों, अत्यधिक जोखिम वाले और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता है, हमें स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी उपायों को लागू करने के साथ ही महामारी से बचाव के नियमों का भी पालन करते रहना है।
असमंजस की स्थिति
कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर को लगाए जा रहे बनी आशंका को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर अक्तूबर तक आ सकती है। वहीं, कुछ दिन पहले महाराष्ट्र ने कहा था कि राज्य को अगले दो से चार सप्ताह में कोविड की तीसरी लहर का सामना करना पड़ेगा।
देश इस समय कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। इसी बीच तीसरी लहर की आशंकाओं ने विशेषज्ञों और आम जनता के साथ लगभग हर वर्ग को चिंता में डाल दिया है। एम्स दिल्ली के निदेशक के अनुसार तीसरी लहर का आना तय है और यह अगले छह से आठ सप्ताह में आ सकती है। वहीं, एक कुछ दिन पहले महाराष्ट्र की कोविड टास्क फोर्स ने कहा था कि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर अगले दो से चार सप्ताह में आ सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वयस्क रोगियों के इलाज में काम आने वाली आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और फैविपिराविर जैसी दवाएं बच्चों के उपचार के लिए अनुशंसित नहीं हैं, क्योंकि बच्चों पर इन दवाओं का परीक्षण नहीं हुआ। इसका मतलब यह है कि अगर तीसरी लहर आती है और बच्चे उसकी चपेट से संक्रमित होते हैं तो उपयोगी दवाएं भी नहीं हैं।
वायरस का म्यूटेशन भी बढ़ा रहा खतरा
गौरतलब है कि कोरोना वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। कुछ दिन पहले इसका डेल्टा वैरिएंट चर्चा में था, जबकि अब डेल्टा प्लस वैरिएंट भी सामने आ गया है। गौर करने वाली बात यह है कि कोरोना का डेल्टा वैरिएंट भारत समेत पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है, जो कोरोना के पिछले सभी स्वरूपों से ज्यादा संक्रामक है और अल्फा वैरिएंट के मुकाबले इसका ट्रांसमिशन 50 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नया डेल्टा प्लस वैरिएंट कोरोना वायरस के K417N म्यूटेशन से बना है। जांच में सामने आया है कि नया म्यूटेशन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का भी प्रतिरोध कर सकता है, जो बेहद खतरनाक है।
यह है कोरोना से बचने का सबसे बेहतर तरीका
यह बात सभी जानते हैं कि कोरोना से निपटने की कोई भी दवा इस वक्त पूरी दुनिया में नहीं है। हालांकि, इस वायरस से बचाव के लिए देश-दुनिया में कई वैक्सीन बनी हैं। ऐसे में टीका लगवाकर आप खुद को काफी हद तक सुरक्षित कर सकते हैं। इसके अलावा मास्क का नियमित इस्तेमाल करें और सामाजिक दूरी का ख्याल रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि कोरोना से जंग में ये दोनों ही अब तक सबसे वाजिब हथियार साबित हुए हैं।