केंद्र सरकार हुई सख्त, एफआइआर
दर्ज करने के निर्देश राज्यों को
कोरोना काल के दौरान मुश्तैदी से काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें न केवल मरीजों के इलाज के दौरान तमाम समस्याओं को झेलते हुए उनकी चिकित्सा सुविधाअें में कमी नहीं आने, बल्कि लोगों का आक्रोश भी झेलना पड़ा। इस सिलसिले में कई मामले ऐसे आए जिसमें हिंसक हमले का शिकार भी होना पड़ा। इसे देखते हुए अब केंद्र सरकार ने देशभर में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हुए हमले पर संज्ञान लिया है। केंद्र ने राज्यों को कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। इस बावत केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को पत्र लिखे हैं।
पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि उन लोगों के खिलाफ महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम 2020 के तहत कार्रवाई करें, जो डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों पर हमला करते हैं। केंद्रीय गृह सचिव ने राज्यों से स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले की घटनाओं पर एफआइआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
यह कदम केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से महामारी के बीच देश के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले की कई घटनाओं के बाद उठाया गया है। केंद्र सरकार ने पत्र में कहा है कि चिकित्सकों, स्वास्थ्य सेवा कर्मियों पर कोई हमला उनके बीच असुरक्षा की भावना पैदा कर सकता है। पत्र में यह भी कहा गया है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि डॉक्टरों या स्वास्थ्य पेशेवरों पर धमकी या हमले की कोई भी घटना उनके मनोबल को कम कर सकती हैं और उनमें असुरक्षा की भावना पैदा कर सकती है।
ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य सेवा प्रतिक्रिया प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। इसे देखते हुए मौजूदा परिस्थितियों में यह अनिवार्य हो गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। हमलावरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। यही नहीं ऐसे मामलों को तेजी से ट्रैक किया जाना चाहिए। आप महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम 2020 के प्रावधानों को लागू करना पसंद कर सकते हैं।
मालूम हो कि महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम 2020 के प्रावधानों के अनुसार डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों पर हमले में शामिल किसी भी व्यक्ति को पांच साल तक की कैद हो सकती है तथा दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यही नहीं यदि किसी स्वास्थ्य सेवा कर्मी के खिलाफ हिंसा की कार्रवाई से उसे गंभीर क्षति पहुंचती है तो अपराध करने वाले व्यक्ति को सात साल तक की कैद हो सकती है साथ ही पांच लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।