
इलेक्ट्रीक व्हीकल की बदौलत मिलेगी साफ हवा
4.8 टन कार्बन डाइ-आॅक्साइड की दिल्ली में कमी लाने के लिए यूमास ( यूनिवर्सिटी आफ मैसाचुसेट्स ) ने एक रिपोर्ट तैयार की है, ताकि दिल्ली वासियों को वायु प्रदूषण जैसी जानलेवा समस्या से राहत मिल सके। रिपोर्ट में दिल्ली में साफ हवा को प्रदूषित करने के लिए पांच सेक्टर को जिम्मेदार ठहराया गया है। वे हैं- इंडस्ट्री, ट्रांस्पोर्ट, पावर प्लांट, सड़क की धूल और निर्माण कार्य। इनसे पैदा होने वाले प्रदूषण के मुख्य स्रोत पार्टिकुलेट मैटर, ओजोन, नाइट्रोजन डाइ औक्साइड, कार्बन डाइ आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाइ-आॅक्साइड आदि हैं।
इनमें कमी लाने में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी काफी कारगर हो सकती है। यूमास की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार ने 7 अगस्त, 2020 को दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू की थी। अगर सरकारी नीतियां इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद में 2024 तक अपना 25 फीसद लक्ष्य पूरा कर लेती है तो विभिन्न तरह के करीब 5,00,000 इलेक्ट्रिक व्हीकल सड़कों पर होंगे। इससे दिल्ली में करीब 159 टन पीएम 2.5 और 4.8 मिलियन टन कॉर्बन डाइ-ऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे करीब एक लाख पेट्रोल कारों द्वारा पूरे जीवनभर के कॉर्बन डाइ-ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी। बायोडिग्रेडेबल वेस्ट के लिए नीति बनानी होगी। रीसाइकलिंग की प्रक्रिया को बेहतर करना होगा। कचरे का निस्तारण कैसे हो, इसका प्रबंधन करना होगा। लैंडफिल बर्निंग को रोकना होगा। दिल्ली-एनसीआर में प्लांटेशन बढ़ाना होगा, जैसे कि डीजल वाहनों को दस साल के बाद सड़कों से बाहर किया जा रहा है, ऐसी सख्त नीति बनानी होगी।
परमाणु हथियारों की संख्या में बढ़ोत्तरी
1990 के बाद से परमाणु हथियारों में लगातार हो रही कमी में अब ब्रेक लग रहा है। कारण परमाणु अस्त्रों वाले देश अपने हथियारों के भंडार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं, जिससे हथियारों की संख्या में बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं।
— 1986 में दुनिया में 70,000 से भी ज्यादा परमाणु हथियारों के होने का अनुमान था।
— इस समय परमाणु हथियारों वाले नौ देश अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया हैं। सिपरी के मुताबिक 2021 में इनके पास कुल मिलाकर 13,080 हथियार हैं। संस्थान के मुताबिक पिछले साल इन देशों के पास कुल 13,400 हथियार थे।
— रूस और अमेरिका के पास दुनिया के कुल परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से भी ज्यादा भंडार हैं। एएफपी के अनुसार ये दोनों देश पुराने वॉरहेड को लगातार हटा रहे हैं, लेकिन उनके पास पिछले साल के मुकाबले करीब 50 और हथियार हैं, जो 2021 की शुरुआत में "क्रियाशील तैनाती" की अवस्था में थे।
— सिपरी का कहना है कि यह असल में संख्या में गिरावट नहीं है, क्योंकि इन हथियारों में पुराने वॉरहेड भी हैं जिन्हें नष्ट कर दिया जाना है। अगर इन्हें गिनती से बाहर कर दिया जाए, तो परमाणु हथियारों की कुल संख्या एक साल में 9,380 से बढ़ कर 9,620 हो गई है।
— अलग अलग सेनाओं के पास तैनात परमाणु हथियारों की संख्या भी एक साल में 3,720 से बढ़ कर 3,825 हो गई. इनमें से करीब 2,000 हथियार "इस्तेमाल किए जाने की उच्च अवस्था" में रखे गए हैं, यानी ऐसी अवस्था में कि जरूरत पड़ने पर उन्हें कुछ ही मिनटों में चलाया जा सके।