
ऐसे थे पिकासो कहलाने वाले मकबूल फिदा हुसैन
कभी जूते न पहनने वाले हुसैन ने आखिरी वक्त तक खुद को सीखते रहने वाला कलाकार रहने दिया. कभी फिल्मों के पोस्टर बनाने वाले एमएफ हुसैन ने कब ब्रश थाम लिया, खुद उन्हें भी याद नहीं. जिस साल भारत आजाद हुआ, उस साल हुसैन के करियर को भी नई दिशा मिल गई जब वह मुंबई के प्रतिष्ठित प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप में शामिल हो गए. तब 32 साल की उम्र में हुसैन भारत के सबसे बड़े चित्रकारों में गिने जाने लगे.
नौ जून का दिन देश की चित्रकला के इतिहास में कला के एक चितेरे के निधन के दिन के तौर पर दर्ज है। दरअसल भारत में आधुनिक चित्रकला के पर्याय एम.एफ. हुसैन ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहा था। एम एफ़ हुसैन को पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पहचान 1940 के दशक के आख़िर में मिली।
भारत के पिकासो के नाम से मशहूर कलाकार मकबूल फिदा हुसैन का आज ही के दिन लंदन में निधन हुआ था. भारत में कानूनी मुकदमों और जान से मार देने की धमकियों के चलते वह अपने आखिरी दिनों में स्व निर्वासन में विदेश में रह रहे थे.
एमएफ हुसैन के नाम से मशहूर हुए मकबूल फिदा हुसैन भारत के सबसे जानेमाने चित्रकारों में से एक थे. उनका जन्म 17 सितंबर 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर में हुआ. हुसैन जब डेढ़ साल के थे तभी उनकी मां का देहांत हो गया. उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनका परिवार इंदौर चला गया. हुसैन की स्कूली शिक्षा वहीं हुई. 1935 में हुसैन मुंबई चले गए और वहां जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से अपने पेंटिंग के हुनर को निखारा. 1941 में उनकी शादी हुई. मुंबई में शुरू में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें काफी बुरे दिन देखने पड़े. काफी समय तक उन्हें फिल्मों के पोस्टर पेंट करके गुजारा करना पड़ा.
कभी जूते न पहनने वाले हुसैन ने आखिरी वक्त तक खुद को सीखते रहने वाला कलाकार रहने दिया. कभी फिल्मों के पोस्टर बनाने वाले एमएफ हुसैन ने कब ब्रश थाम लिया, खुद उन्हें भी याद नहीं. जिस साल भारत आजाद हुआ, उस साल हुसैन के करियर को भी नई दिशा मिल गई जब वह मुंबई के प्रतिष्ठित प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप में शामिल हो गए. तब 32 साल की उम्र में हुसैन भारत के सबसे बड़े चित्रकारों में गिने जाने लगे.
कैनवस ने हुसैन को नई पहचान भले ही दी हो लेकिन उनकी जिंदगी फिल्मों के साथ शुरू हुई थी. इसलिए उनके मन में फिल्मों को लेकर अलग जगह बनी रही और 1960 के दशक में वह फिल्मों की ओर बढ़े. 1967 में बनाई पहली फिल्म ‘थ्रू द आइज ऑफ ए पेंटर' को अंतरराष्ट्रीय पर्दे पर ख्याति मिली. इस फिल्म को बर्लिन फिल्म महोत्सव में गोल्डन बीयर पुरस्कार मिला. 1971 में पाब्लो पिकासो के साथ साओ पाओलो बीएनाले में हुसैन खास अतिथि बने.
इस नाम और लोकप्रियता से परे एमएफ हुसैन के चित्र विवादों में ही ज्यादा रहे. खासकर हिन्दू देवियों के चित्रों पर हिन्दू कट्टरपंथियों की कुपित नजर बनी रही. उन पर आठ आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया.
90 की उम्र में हुसैन के लिए यह इतना बड़ा सिरदर्द हो गया कि उन्हें भारत छोड़ना पड़ा. भारतीय अदालतों में चलते मुकदमे और कुछ लोगों का विरोध हुसैन को तोड़ गया. उनकी कला भी प्रभावित हो गई और उन्हें कतर में शरण लेनी पड़ी. बाद में कतर ने उन्हें नागरिकता भी दे दी. हालांकि आखिर के कुछ साल हुसैन ज्यादातर ब्रिटेन में ही रहे. उन्होंने पूरी जिंदगी 60,000 से ज्यादा पेंटिंग्स बनाईं.
हुसैन को 1955 में पद्मश्री, 1973 में पद्मभूषण और 1991 में पद्मविभूषण सम्मान से नवाजा गया. 9 जून 2011 को लंबी बीमारी के बाद हुसैन का लंदन में 95 साल की उम्र में निधन हो गया.
1995 : ब्रिटेन में पुरुष के बालात्कार के प्रयास में पहली बार एक पुरुष को सज़ा
अपने क़िस्म के पहले मुक़दमे में ब्रिटेन में एक पुरुष को दूसरे पुरुष के साथ बलात्कार के प्रयास में सज़ा सुनाई गई.अदालत ने 26 साल के एंड्रियू रिचर्ड्स को एक साल पहले बने एक नए कानून के तहत सज़ा सुनाई.
रिचर्ड्स के ऊपर ये आरोप साबित हुआ कि उन्होंने 18 साल के अपने एक साथी के साथ बलात्कार का प्रयास किया. इस अपराधी को पहले भी एक बार 15 साल की एक लड़की के साथ बलात्कार के लिए 1988 में सज़ा सुनाई गई थी.जज ने पीड़ित व्यक्ति की तारीफ़ करते हुए कहा कि उसने शिकायत करने के लिए सामने आ कर बड़ी हिम्मत का काम किया. रिचर्ड्स को 10 साल की सज़ा सुनाई गई थी.
अन्य घटनाएं
1659: दादर के बलूची प्रमुख जीवन खान ने दारा शिकोह को धोखे से औरंगजेब के हवाले कर दिया।
1720: स्वीडन और डेनमार्क ने तीसरी स्टॉकहोम संधि पर हस्ताक्षर किए।
1752: फ्रांसीसी सेना ने त्रिचिनोपोली में ब्रिटिश के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
1789: स्पेन ने वैंकूवर द्वीप के निकट ब्रिटिश जहाजों पर कब्जा किया।
1900: स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा का रांची जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में निधन।
1940: नार्वे ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के सामने आत्मसमर्पण किया।
1956: अफगानिस्तान में जबर्दस्त भूकंप से 400 लोगों की मौत।
1960: चीन में तूफान से कम से कम 1,600 लोगों की मौत।
1964: जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला।
1970: जॉर्डन के शाह हुसैन के वाहन पर गोलियां चलाई गईं। शाह हुसैन तो बच गए, लेकिन उनके वाहन चालक को चोट आई।
1980: अंतरिक्ष यान सोयुज टी-2 पृथ्वी पर लौटा।
1983: मार्गरेट थैचर के नेतृत्व में ब्रिटेन के आम चुनावों में कंजर्वेटिव पार्टी ने लगातार दूसरी बार बहुमत हासिल किया।
2011: भारत के मशहूर चित्रकार एम.एफ हुसैन का लंदन में निधन।