सविनय अवज्ञा आंदोलन से शुरू हुई युवा बापू क्रांति
भारतीय इतिहास में 7 जून उस दिन के रूप में दर्ज है जब युवा महात्मा गांधी ने एक क्रांतिकारी के रूप में उभरे और दक्षिण अफ्रीका में पहली बार सविनय अवज्ञा आंदोलन का इस्तेमाल किया।
इस दिन युवा महात्मा गांधी द्वारा सिविल डिसओबीडिअन्स मूवमेंट यानी सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की। यह पहली बार इस्तेमाल के लिए जाना जाता है। 1893 में महात्मा गांधी एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर वकालत करने दक्षिण अफ्रीका गए थे। वह उन दिनों दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रांत में रहते थे। किसी काम से दक्षिण अफ्रीका में वह एक ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में सफर कर रहे थे। उनके पास वैध टिकट भी था, लेकिन उनको सफेद रंग का नहीं होने के कारण कंपार्टमेंट से निकल जाने को कहा गया। गांधीजी रेलवे अधिकारियों से भिड़ गए और कहा कि वे लोग चाहें तो उनको उठाकर बाहर फेंक सकते हैं लेकिन वह खुद से कंपार्टमेंट छोड़कर नहीं जाएंगे। वास्तव में अन्याय के खिलाफ खड़े होने की यही हिम्मत तो सविनय अवज्ञा थी।
यह घटना गांधीजी की जिंदगी में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस घटना से टूटने के बजाय गांधीजी और मजबूत होकर उभरे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंग के नाम पर होने वाले भेदभाव और भारतीय समुदाय के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने का दृढ़ निश्चय किया। यहीं से उनके एक नए अवतार ने जन्म लिया। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद भी गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में ही रुकने का फैसला किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के एक कानून के खिलाफ मुहिम चलाई जिसके तहत भारतीय समुदाय के लोगों को वोट देने का अधिकार प्राप्त नहीं था। 1906 में ट्रांसवाल सरकार ने भारतीयों के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। उस समय गांधीजी ने पहली बार सत्याग्रह या सामूहिक सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ा। सात सालों के आंदोलन के बाद गांधीजी की कोशिश रंग लाई और दक्षिण अफ्रीकी सरकार समझौते के मेज पर आई।
शाहजहां की पत्नी महल का निधन
आज के इस दिन का दुनिया के सात अजूबों में शुमार संगमरमरी इमारत ताजमहल से गहरा रिश्ता है। दरअसल शाहजहां की पत्नी मुमताज महल का निधन सात जून को हुआ था। बुरहानपुर में अपनी 14वीं संतान को जन्म देते समय मुमताज महल ने अंतिम सांस ली। शाहजहां ने उनकी याद में आगरा में यमुना के किनारे सफेद संगमरमर का मोहब्बत का अजीम मुजसम्मा तामीर करवाया, जिसे मुमताज के नाम पर ताजमहल का नाम दिया गया।
पहले विश्व कप का पहला मैच
वन डे हो या टेस्ट, आइपीएल या विश्व कप, भारत में क्रिकेट के दीवानगी जितनी बड़ी दीवानगी और कोई नहीं. आज का दिन एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है.
7 जून 1975 को लंदन के लॉर्ड्स स्टेडियम में पहला विश्व कप मुकाबला शुरू हुआ था. पहले विश्व कप का पहला मैच भारत और इंग्लैंड के बीच हुआ जिसमें भारत की हार हुई. इस मैच में भारत की ओर से मदन लाल और सुनील गावस्कर जैसे खिलाड़ी शामिल थे. इंग्लैंड ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी कर 334 रन बनाए जिसके जवाब में भारत 132 पर ही ऑल आउट हो गया. इस मैच में गावस्कर के खेल की कड़ी निंदा हुई जिन्होंने 174 गेंदों पर मात्र 36 रन बनाए और क्रीज पर अंत तक जमे रहे.
7 से 21 जून तक चले इस विश्व कप में जो 8 टीमें शामिल हुईं वे थीं – ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, वेस्ट इंडीज, श्रीलंका और पूर्वी अफ्रीका. पहले विश्व कप की यह पहली ट्रॉफी वेस्ट इंडीज के नाम हुई.
अन्य घटनाएं
7 जून को देश और दुनिया के इतिहास में कई और महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जिनका ब्यौरा यहां पेश किया जा रहा है:
1539 - बक्सर के निकट चौसा की लड़ाई में अफगान शेरशाह सूरी ने मुगल बादशाह हुमायूं को हराया।
1631 - मुगल बादशाह शाहजहां की बीबी मुमताज बेगम की बुरहानपुर में 39 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई।
1989 - भारत के दूसरे उपग्रह भास्कर प्रथम का सोवियत रॉकेट से प्रक्षेपण किया गया।
1995 - नार्मन थैगार्ड अंतरिक्ष की कक्षा में सबसे लम्बे समय तक रहने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बने।
1998 - स्पेन के कार्लोस मोया ने फ्रेंच ओपन प्रतियोगिता का पुरुष एकल खिताब जीता।
1999 - श्री लंका में प्रचलित आव्रजन नियम निरस्त।
2000 - एक अमेरिकी अदालत द्वारा माइक्रोसॉफ्ट कंपनी को दो भागों में बांटने का निर्देश।
2004 - इस्रायली मंत्रिमंडल ने गाजा क्षेत्र से बस्तियां हटाने सम्बन्धी प्रस्ताव को मंजूरी दी।
2006 - भारत द्वारा नेपाल को आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए एक अरब रुपये देने का निर्णय।
2007 - अमेरिका ने सऊदी अरब के राजदूत रहे प्रिंस बांदरे बिन सुल्तान के हथियारों की दलाली में करोड़ों पाउंड के घोटाले का खुलासा।
2008- उत्तर प्रदेश सरकार ने रसोई गैस पर लगने वाले 4% वैट को पूरी तरह से समाप्त घोषित किया।
1974 - भारत के टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति का जन्म हुआ।
1914 - प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और उर्दू लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास का जन्म हुआ।