चुनाव का हर काम डिजिटल
इस बार के आम चुनाव में Google, OpenAI, Microsoft,Adobe, Midjournet और Shutterstock द्वारा AI से तैयार तस्वीरों की पहचान कराने के लिए नई तकनीक तैयार कर रही है. चुनाव आयोग ने भी 'डिजिटल' समाधान के लिए कई इंतजाम किए हैं. चुनावी महासमर को डिजिटल बनाने की ओर अपने कदम बढ़ा दिए हैं. आयोग की ओर से अब तक 20 एप्लिकेशन लॉन्च किए गए हैं. इनके माध्यम से आम मतदाता से लेकर चुनाव कार्य में लगने वाले अधिकारी और कर्मचारी हर एक जानकारी हासिल किए जा सकते हैं.
लोकसभा चुनाव में ऑनलाइन सामग्री के जरिये खलल की आशंका दूर करने के लिए तकनीकी कंपनी मेटा विशेष चुनाव परिचालन केंद्र तैयार करेगी। मेटा अपने ऐप्लिकेशन एवं तकनीकी प्लेटफॉर्म पर लोगों को गुमराह करने वाली खबरों से बेअसर रखने के लिए खास इंतजाम करेगी। कंपनी भारत में तथ्यों की जांच करने वाली (फैक्ट चेकर) अपनी टीम को धार दे रही है और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के बेजा इस्तेमाल पर भी अंकुश लगाने की जुगत कर रही है। देश में 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में लोकसभा चुनाव कराए जाएंगे।
मेटा ने कहा है कि वह गुमराह करने वाली खबरें फैलने से रोकने के सभी उपाय करेगी। कंपनी ने कहा कि वह मतदाताओं को प्रभावित करने वाली सामग्री हटाएगी और फेसबुक और थ्रेड्स पर पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए जवाबदेही तय करेगी। मेटा ने कहा है कि देश में आम चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष एवं पारदर्शी रखने में वह अपनी तरफ से पूरा सहयोग करेगी।
मेटा ने भारत के लिए विशिष्ट चुनाव परिचालन केंद्र तैयार करने के बारे में आज कहा, ‘कंपनी अपनी एआई, डेटा साइंस, अभियांत्रिकी, शोध, संचालन, सामग्री नीति और विधि टीमों से विशेषज्ञ बुलाएगी और विभिन्न प्लेटफॉर्म से ऐसी सामग्री हटाएगी, जो चुनाव प्रक्रिया एवं मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।’
कंपनी ने यह भी कहा कि वह भारत में फैक्ट-चेकिंग टीम का विस्तार कर रही है। कंपनी ने ब्लॉग में कहा, ‘हम भारत में स्वतंत्र फैक्ट-चेकर की टीम लगातार बढ़ा रहे हैं। इस काम के लिए भारत में हमने 16 साझेदारों से हाथ मिलाया है, जो 16 भाषाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। किसी देश के लिए हमारी यह सबसे बड़ी व्यवस्था है।’
मेटा दुनिया भर में बचाव एवं सुरक्षा जैसे विषयों पर 40,000 लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। कंपनी 2016 से इस पर 20 अरब डॉलर लगा चुकी है। इनमें सामग्री की समीक्षा करने वाले 15,000 लोग भी शामिल हैं, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स जैसे प्लेटफॉर्म पर 70 भाषाओं में काम कर रहे हैं। इनमें 20 भारतीय भाषाएं भी शामिल हैं।
मेटा ने यह भी कहा कि गुमराह करने वाली सामग्री की पहचान और उससे होने वाले जोखिम को रेटिंग देने में अपने फैक्ट-चेकर की मदद करने के लिए वह ‘कीवर्ड डिटेक्शन’ तकनीक का इस्तेमाल करेगी।
कंपनी स्वैच्छिक नीति संहिता के माध्यम से भारतीय निर्वाचन आयोग को सहयोग दे रही है। इस संहिता में निर्वाचन आयोग सोशल मीडिया कंपनियों को गैर-कानूनी सामग्री पर ध्यान देने के लिए कहता है। मेटा 2019 में इस व्यवस्था से जुड़ी थी।
इस आम चुनाव में जेनेरेटिव एआई की मदद से तैयार सामग्री पर भी आयोग समेत सबकी निगाहें होंगी। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कुछ महीने पहले बड़ी तकनीकी कंपनियों को ऐसी व्यवस्था (वाटर मार्किंग) या प्रणाली तैयार करने के लिए कहा था, जो एआई डीपफेक के इस्तेमाल से तैयार सामग्री का पता लगा सके। मेटा के साथ काम कर रहे फैक्ट-चेकर एआई से तैयार सामग्री की समीक्षा करने के साथ उन्हें रेटिंग भी देंगे।
मेटा ने कहा कि वह गूगल, ओपनआई, माइक्रोसॉफ्ट, अडोबी, मिडजर्नी और शटरस्टॉक द्वारा एआई से तैयार तस्वीरों की पहचान कराने के लिए नई तकनीक तैयार कर रही है। यूजर इन कंपनियों द्वारा तैयार तस्वीरों को फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर डालते रहते हैं।
मेटा की तरह गूगल भी चुनाव के दौरान मतदाताओं को गुमराह करने वाली सामग्री पर नकेल कसने में सहयोग कर रही है। कंपनी ने अपने एआई प्लेटफॉर्म जेमिनी में कुछ बदलाव किए हैं जिसके बाद यह भारतीय चुनावों से सीधे तौर पर जुड़े किसी सवाल का जवाब नहीं दे पाएगा।
Lok Sabha Election 2024 में काम आने वाले एप
चुनाव में लगे अधिकारियों, सुरक्षा कर्मियों, कर्मचारियों से लेकर प्रत्याशियों और आम नागरिकों को की सहूलियत के लिए बनाए गए एप से काफी मददगार साबित होंगे. चुनाव से जुड़े सभी कार्यों को निष्पादित करने के लिए चुनाव आयोग एप, पोर्टल व कंप्यूटर एप्लीकेशन का जिस तरह से सहारा ले रही है वह तारीफ के काबिल है. वर्ष 2014 में पहली बार भारत को विकसित बनाने की योजना पर काम शुरू किया गया था. इसी के तहत जुलाई 2015 को उन्होंने डिजिटल इंडिया मिशन (Digital India Mission) की शुरुआत हुई थी. हर क्षेत्र में लोगों को डिजिटल कार्यप्रणाली से जोड़ा गया.
चार साल बाद वर्ष 2019 में हुए आम चुनाव के दौरान भारत निर्वाचन आयोग ने भी अपने आप को डिजिटल किया.इसका पूर्ण विकसित रूप इस बार के चुनाव में देखने को मिल रहा है। निर्वाचन आयोग ने इस बार कुल 20 एप, पोर्टल और वेब के माध्यम से (EC Launches 20 Digital Apps) इस चुनाव को संपन्न कराएगी.
इस बार के चुनाव (Lok Sabha Election 2024) कार्य में लगे अधिकारियों, कर्मचारियों, सुरक्षा बलों, प्रत्याशियों से लेकर आम नागरिकों तक को सुविधा पहुंचाने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म को चुनाव आयोग ने विकासित किया है।
डाटा संग्रह से लेकर चुनावी कार्यों के संपादन या फिर वोटरों व नागरिकों को किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध करानी हो, सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्त, ईवीएम समेत किसी भी कोषांग की कार्यप्रणाली हो या फिर चुनाव कार्यों का प्रबंधन चुनाव आयोग पूरी तरह सूचना तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।
सी-विजिल एप : आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामलों की शिकायत आम नागरिक इस के माध्यम से कर सकते हैं। शिकायत मिलने के बाद उड़न दस्ता त्वरित कार्रवाई करेगा।
सुविधा पोर्टल : ये एप प्रत्याशियों के नामांकन व विभिन्न प्रकार की चुनावी अनुमतियों के लिए है।
कैंडिडेट एफीडेफिट पोर्टल : ये प्रत्याशियों के शपथ पत्र के लिए है।
केवाईसी : केवाईसी यानी जानिए अपने प्रत्याशी को। इसके माध्यम से प्रत्याशियों के अपराधिक इतिहास की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ईटीपीबीएमएस : इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रेषित डाक मतपत्र प्रबंधन प्रणाली सर्विस वोटरों के लिए है।
वोटर टर्न आउट एप : इसके माध्यम से विधान सभावार मतदान विवरण को प्राप्त किया जा सकता है।
एनकोर पोर्टल : एनकोर पोर्टल एक एंड-टू-एंड एप्लिकेशन है। सभी चुनाव अधिकारी सीईओ, डीईओ, आरओ, एआरओ के लिए विभिन्न कार्यों को एकाधिक रूप से निष्पादित करने के लिए। चुनाव के दौरान विभिन्न कार्यों के लिए उम्मीदवारों की ओर से अनुमति प्राप्त करने के लिए। ईवीएम में डाले गए मतों को डिजिटाइज्ड करने के लिए।
रिजल्ट वेबसाइट और रिजल्ट ट्रेंड टीवी : चक्रवार मतगणना की स्थिति जानने के लिए।
ईएमएस 2.0 : ईवीएम प्रबंधन प्रणाली 2.0 ईवीएम इकाइयों की सूची का प्रबंधन करने के लिए डिजाइन किया गया है। इससे निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करना है। (Digital Bharat Mission)
मतदाता सेवा पोर्टल : मतदाता से संबंधित पहचान पत्र, मतदाता कार्ड में सुधार के लिए ऑनलाइन आवेदन, मतदान केंद्र, विधानसभा व संसदीय निर्वाचन क्षेत्र और बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी का संपर्क विवरण आदि के लिए।
वीएचए : मतदाता हेल्पलाइन मोबाइल एप मतदाताओं से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए। बूथ लेवल अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी सहित अन्य के लिए।
सक्षम एप : दिव्यांगजनों की मदद के लिए।
बीएलओ एप : इसे पहले गरुड़ एप के नाम से जाना जाता था। अब यह एप बीएलओ को उनके कार्यों को डिजिटल रूप से निष्पादित करने में मदद करेगी।
एरोनेट : 14 भाषाओं व 11 स्क्रिप्ट में उपलब्ध है। यह निर्वाचन अधिकारियों के लिए एक वेब-आधारित प्रणाली है।
एनजीएसपी : राष्ट्रीय शिकायत सेवा पोर्टल के माध्यम से नागरिकों, मतदाताओं, राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों, मीडिया की शिकायतें और राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तर के लिए है।
ईएसएमएस : चुनाव जब्ती प्रबंधन प्रणाली प्रलोभन मुक्त चुनाव की व्यवस्था के लिए है। खासकर खुफिया जानकारी साझा करने एवं जब्त की गई वस्तुओं के लिए यह प्रणाली है।
आइईएमएस : एकीकृत चुनाव व्यय निगरानी प्रणाली प्रत्याशी अथवा राजनीतिक दलों के खर्च पर नजर रखती है।
चुनाव प्लानिंग पोर्टल : चुनाव आयोग की ओर से चुनाव प्रबंधन के लिए डिजिटल सुविधा उपलब्ध कराता है। जैसे रिक्ति प्रबंधन, उप-चुनाव, चुनाव से संबंधित महत्वपूर्ण पहलू, अवकाश प्रबंधन, सुरक्षा प्रबंधन आदि।
मीडिया वाउचर ऑनलाइन : गो ग्रीन की परिकल्पना को साकार करने के लिए कुशल चुनाव प्रणाली प्रबंधन में डीजिटल वाउचर के उपयोग के लिए।
ऑब्जर्वर पोर्टल : सामान्य पर्यवेक्षक, पुलिस पर्यवेक्षक का प्रबंधन और व्यय देखता है। पर्यवेक्षक की तैनाती अनुसूची, रिपोर्ट सबमिशन और कई अन्य गतिविधियां इसकी मदद से पूरी की जाती हैं।