हिंदी कंटेंट लिखने का राज
क्या आपमें अपने आसपास और देश—दुनिया को ‘कब, क्या?, अगर, मगर?... और ‘क्यों, कैसे?’ के नजरिए से देखने—परखने की क्षमता है? उनपर अपनी तुरंत टिप्पणी करने या प्रतिक्रिया जताने को उद्येलित हो जाते हैं? अपने विचारों के प्रवाह को रोक पाना तब मुश्किल हो जाता है, जब कोई घटना—परिघटना आपको झकझोर देती है. ....किंतु आप अपने सीमित शब्दों और धराप्रवाह लेखनी में कमी की वजह से उस पर सटीक एवं प्रभावशाली लेखन नहीं कर पाते हैं. यदि हां, तो आपके लिए 'सीखो लिखो' का शॉर्ट प्रैक्टिकल कोर्स काफी उपयोगी साबित हो सकता है.
कुछ इसी तरह का दूसरा पहलू भी है— अपने विचारों को फेसबुक पर जाया होने बचाना! प्याज के छिलके की तरह बिखरने से वैचारिकता को बचाना!! उसे ब्लाग, वेबसाइटों, अखबार के विविध स्तंभों, पत्रिकाएं और किताबों के पन्ने पर आने देने के लिए पहल करना...!
धारदार, जानदार और शानदार लेखनशैली से अपने विचारों को न केवल बेमिसाल, बल्कि उसे बिकाऊ बनाना भी जरूरी है, ताकि आप एक कमाऊ लेखक बन सकें...!
लेखन का दायरा कुछ भी हो सकता है— लेख, फीचर, कहानियां, उपन्यास, लघुकथाएं आदि. पत्र—पत्रिकाएं और वेबसाइटें अपनी जरूरत के मुताबिक आपके लिए नियमित लेखन और आय का दरवाजा खोले हुए हैं. मुख्यधारा से जुड़कर आपका लेखन राजनीतिक—सामाजिक बदलावा के लिए वाहक बन सकता है, तो अनगिनत विसंगतियों को दूर करने में भी अहम् भूमिका निभा सकता है.
डिजिटल दौर की मीडिया में लेखन को अब कंटेंट राइटिंग से जाना जाता है. यूट्यूब, शॉर्ट फिल्में, ओटीटी प्लेटफार्म, वेबसाइटें, डिजिटल मार्केटिंग के लिए एसईओ(सर्च इंजन आप्टेमाइजेशन) के आने से अच्छे कंटेंट राइटर की मांग बढ़ी है. तरह—तरह के कंटेंट की जरूरत है, जो 500 से 1000—1800 शब्दों के विश्लेषणात्मक लेख, फीचर, ब्लॉग, कहानी, अपराध जगत की सत्य काहानियां, साहित्यिक रचनाएं, रिपोर्ट आदि हो सकते हैं.
लेखन क्षेत्र के लिए विषय का भी विस्तार हुआ है. जैसे— राजनीतिक, समाजिक, आर्थिक, करियर, रोजगार, शिक्षा, महिला, बाल साहित्य, देश, विदेश, हेल्थ, विज्ञान, टेक्नोलाजी, मोबाइल जगत, गजेट्स, इंटरनेट की दुनिया, कंप्यूटर और कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मेटावर्स, फिल्में, ओटीटी, टेलीविजन, आधा दर्जन सोशल साइटें, स्पोर्ट्स, औनलाइन गेम, गेम, किस्म किस्म के क्राइम, नेचर, स्पेस, कृषि, पर्यावरण, पर्यटन, धर्म, ज्यातिष, अध्यात्म आदि...!!
पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखने वाले कंटेंट राइटिंग के बगैर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं. आज बुकर पुरस्कार ने जहां हिंदी को मान—सम्मान दिया है, वहीं इस भारतीय भाषाओं में बनने वाले फिल्में जबतक हिंदी में सफल नहीं होती, तबतक उसे सुपरहिट नहीं समझा जाता है.
ऐसे में लेखक बनने के क्रम में आने वाली बाधाओं को दूर करना जरूरी हो गया है. सीखो लिखो के बेहतरीन प्रशिक्षित प्राप्त कर सकते हैं. यहां आपकी लेखकीय प्रतिभा को तराशी जाएगी. हमारी टीम आपकी रचनाओं को पठनीय और प्रकाशित होने लायक बनाएगी.
अक्सर देखा गया है कि लेखकों की रचनाएं संपादकों द्वारा अस्वीकृत कर दी जाती हैं. उनमें कई तरह की खामियां होती हैं. व्याकरण-संबंधी भाषाई अशुद्धियों के साथ-साथ विषयों के अनुरूप वाक्य विन्यास और शब्द संयोजन के सही नहीं होने से उनमें सहजता से पठनीयता का प्रवाह नहीं बन पाता है.
खुद की लिखी रचनाओं का स्व-संपादन या संशोधन मुश्किल और मोहभरा होता है. इस स्थिति में लेखक अपनी रचना के शब्दों के बदलाव या काट-छांट के प्रति आश्वस्त नहीं होते हैं. कई लेखन भावना में बहकर बेडौल रचना कर बैठते हैं, जो विषय को ही बहाकर किसी कोने में ढकेल देता है.
किसी भी उत्कृष्ट रचना के लिए जरूरी है कि विषयों का चुनाव, शब्द-सीमा और पत्र-पत्रिकाओं या वेब साइटों की नीति के अनुरूप कार्य किया जाए. इसका निर्णय काफी महत्वपूर्ण होता है. इसमें शोध-कार्य, पढ़ने की आदत और अनुवाद की दक्षता भी मददगार बनती है.
एक कुशल लेखक वही होता है, जो अपनी रचनाओं को मांग के अनुसार एक सटीक फार्मेट में उतार ले. इस प्रशिक्षण के कोर्स में इन्हीं बातों पर ध्यान देकर अभ्यास करवाया जाएगा, ताकि आप अपनी रचनाओं को सुधारने-संवारने के सिलसिले में आने वाली तमाम त्रुटियों को दूर कर सकें. इस कोर्स के लिए नियम और शर्तें इस प्रकार हैंः-
योग्यताः कम से कम तीन माह के प्रशिक्षण कोर्स के लिए किसी भी उम्र के व्यक्ति योग्य हो सकते हैं. शैक्षणिक योग्यता कुछ भी हो सकती है. पत्रकारिता का कोर्स करने वाले फ्रेशर के लिए इंटर्नशिप का मौका मिल सकता है. यहां से लेखन का प्रैक्टिल अनुभव हासिल कर बेहतर जॉब प्राप्त कर सकते हैं. नोटः जरूरत के मुताबिक आगे भी प्रशिक्षण जारी रखा जा सकता है।
प्रकाशनः संशोधित रचनाओं को वेब पोर्टल मैगबुक पर प्रकाशित किया जएगा. हजारों विजिटर्स से रचना की श्रेष्ठता का आकलन किया जा सकता है. विजिटर्स की 25 होने के बाद परिश्रिम भी के हकदार बन सकते हैं.
आवेदनः लेखन की विधा (लेख या कहानी), विषयों की अभिरूचि, अनुभव और संक्षिप्त बायोडाटा के साथ अवेदन करें. साथ में अपनी कोई सामयिक विषयों पर लिखी गई एक रचना, जो कम से कम 800 शब्दों की हो, भी संलग्न भेज सकते हैं. लेखन के लिए अपनी रूचि का विषय और टॉपिक भी बताएं.
तकनीकः यह कोर्स पूरी तरह से पेपरलेस सिद्धांत पर आधारित होगी। संपर्क का जरिया ईमेल और वाट्सएप होगा।
फीसः दोनों कोर्स के लिए फीस मात्र रुपये 3000 रखी गई है.
संपर्क: E-mail: [email protected]
WhatsApp: 9871038277