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इस अंक में पढ़ें कालजयी साहित्यकारों की कहानियां.... सांसारिक प्रेम और देशप्रेम, यही मेरा वतन, दुनिया का सबसे अनमोल रतन, शोक का पुरस्कार —मुंशी प्रेम चंद.....बागी की बेटी—गुरमुखसिंह..... राही, हींगवाला, चढ़ा दिमाग, गुलाब सिंह, अमराई, तांगेवाला—सुभद्राकुमारी चौहान....बहादुर सेनापति—विष्णु प्रभाकर....पंजाबी कहानी करामात—करतार सिंह दुग्गल..... —————कहानी प्रतिदिन प्रारंभ होती नजर आती है, मगर उसका अंत कभी नजर नहीं आता!.... अधिकांश लोग कहानी को साहित्य की एक विधा के ही रूप में देखते हैं। यह सच्चाई नहीं है। सच तो यह है कि कहानी किसी भी मनुष्य के जीवन का एक अटूट हिस्सा है। कहानी खतम, समझो जीवन खतम। कहानी मनुष्य के साथ प्रारंभ तो होती है परंतु मरती कभी नहीं। वह जीवित रहती है, कहीं भी किसी भी कोने में पड़ी हुई, अथवा जन-जन की जीभ पर चटकारे लेती हुई या मुंह को किसी कड़वाहट की तरह बनाते और बिगाड़ते हुए। कहानी हर दिल में होती है और हर मन में होती है। कहानी यहां-वहां की बात करती है और कहानी इसकी-उसकी बात करती है। कहानी ही तो है जो इतिहास और भूगोल के उत्थान-पतन का पता देती है। कहानी ही है जिसे आदमी प्रत्येक दिन और प्रत्येक पल जीता है। कहानी हर सांस के साथ विस्तार पाती जाती है। कहानी दिल ...