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प्रवासी जगत
MRP ₹4015

केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक प्रवासी जगत का साहित्य, साहित्यकार व संस्कृति केंद्रित कुल 174 की पत्रिका ———इस अंक में पढ़ें ● ● आमुख बीना शर्मा 5-6 ● संपादकीय जोगेन्द्र सिंह मीणा 7 1. प्रेम को ‘जीवन-राग’ बनातीः प्रवासी कवयित्री डॉ. रश्मि खुराना योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’ 9-15 2. दक्षिण अफ्रीका में भारतीय भाषा, साहित्य और संस्कृति सुनंदा वर्मा 16-32 3. कैरेबियन देशों की देन ‘चटनी संगीत’ दीप्ति अग्रवाल 33-50 4. जीवन की क्षणभंगुरता एवं संघर्षों का दस्तावेज है उपन्यास ‘गरीबा’ रमेश तिवारी 51-60 5. समकालीन प्रवासी भारतीय हिंदी काव्यः अनुभूति और अभिव्यक्ति अरुणा घवाना 61-71 6. नारी मनः स्थितियों को खंगालता ‘प्रवास में’ सोनिया माला 72-78 7. प्रवासी हिंदी कविता में प्रœति एवं पर्यावरण संरक्षण चन्द्रशेखर चौबे 79-88 8. ‘चिड़िया और चील’ में व्यक्त प्रवासी समस्याए° चैताली सलूजा 89-94 9. नरेश चंद के गीतों द्वारा गिरमिट इतिहास का नवसृजन सुभाषिनी लता कुमार 95-100 10. प़ळीजी में भारतीयताः साहित्य एवं संस्œति गोपाल मिश्रा 101-111 4 द्य ‘प्रवासी जगत’ खंड-5, अंक-4, आषाढ़-र्भापद, 2079/जुलाई-सितंबर, 2022 11. ‘नक्काशीदार केबिनेट’ का समीक्षात्मक अध्ययन सुरजीत कौर 112-117 12. प्रवासी साहित्यः संवेदना के विविध संदर्भ उर्मिला शर्मा 118-123 13. वैश्विक भाषा के रूप में हिंदी की वर्तमान स्थिति सुनीत चौहान 124-129 14. ...