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हिंदी विदेशों में भी खूब पढ़ी और बोली जाती है. साहित्य के प्रति लोगों में गजब का रूझान होता है. वैसे पाठकों के लिए प्रस्तुत है नई पत्रिका अनन्य-कैनेडा का प्रवेशांक अनन्य-कैनेडा के सम्पादक धर्मपाल महेंद्र जैन के शब्दों में यह प्रवेशांक कैनेडा के हिंदी रचनाकारों की पहली झलक है। दुनिया भर में फैले हिंदी प्रेमियों को यह अंक समर्पित है। इस अंक में शामिल हैं- धर्मपाल महेंद्र जैन (सम्पादक) की पहली चिठ्ठी काव्य के विस्तृत फलक पर – डॉ. सुनील शर्मा की कविता, भारतेन्दु श्रीवास्तव के छंद, कृष्णा वर्मा के हाइकु, सविता अग्रवाल सवि का नवगीत और रश्मि सिन्हा शैलसुता का गीत पुरोधा संपादक श्याम त्रिपाठी के कैनेडा में प्रवेश के साथ शुरूआती नौकरी के बारे में अनुभव विशिष्ट बच्चे को प्रशिक्षित करती कथाकार अचला दीप्ति कुमार के संस्मरण डॉ. स्नेह ठाकुर के चर्चित उपन्यास दशानन रावण से दशानन जन्म कथा बाल चित्रकार वान्या की पेंसिल से उकेरे झील में डूबते सूरज का दृश्य प्रख्यात चित्रकार मीना चोपड़ा की अप्रतिम कलाकृति