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मूल संस्थापक प्रेमचंद(1930) और पुनर्संस्थापक राजेंद्र यादव(1986) की जनचेतना का प्रगतिशील मासिक पत्रिका हंस 36 सालों से प्रकाशित हो रही है. साहित्य जगत की सबसे बड़ी पत्रिकाओं में स्थान रखने वाली इस पत्रिके फरवरी अंक में पढ़ सकते हैं— कहानियां, आलेख, कविताएं और वैचारिक निबंध और लघुकथाएं...