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मिलिए बंडल बिन्दु से, जिन्हें यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि उन्हें अपनी सच्चाई को थोड़ा-सा बढ़ा-चढ़ाकर सुनाना पसंद था, दुकानदार जयन्त जिन्होंने अपने जीवन में कभी लाभ नहीं कमाया और लंच बॉक्स नलिनी–स्वयं सुधा मूर्ति से, जो जहाँ भी जाती हैं अपना खाली लंच बॉक्स लेकर जाती हैं और उसे व्यंजनों से भरकर लाती हैं! सुधा मूर्ति द्वारा अनूठी शैली में लिखी गई, साधारण से असाधारण हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी और आम लोगों की कमज़ोरियों और विचित्रताओं की एक दिल छू लेने वाली तस्वीर है। साधारण फिर भी असाधारण कहानी संग्रह में शामिल चौदह कहानियों में सुधा मूर्ति अपने बचपन की यादों, अपने गृह नगर की जीवन-शैली और उन लोगों के बारे में बताती हैं जिनके साथ उन्होंने समय गुज़ारा है। इस पुस्तक के पात्रों के पास न तो धन-संपत्ति है और न ही प्रसिद्धि। वे सीधे-सादे और स्पष्टवादी हैं . . . पारदर्शी और उदार . . . ये कहानियाँ सरल और बड़े दिल वाले, इंसानी कमियों वाले लोगों की हैं।