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विमल मिश्र के संपादन में प्रकाशित मासिक पत्रिका नारी कथाकार विशेषांक है.... महिला कथाकारों के लिए यह चुनौतियों भरा समय है। साहस और विवेक की आजमाइश का समय, जब लैंगिक विषमताओं की जकड़न के साथ स्त्री रचनाशीलता को जड़ता से टकराने के संघर्ष से भी निरंतर जूझना पड़ रहा है। ये चुनौतियां हमेशा से रही हैं। हिंदी कहानी के युवा स्त्री स्वर के प्रति आश्वस्ति की दो बड़ी वजहें हैं। एक, उनमें निरंकुशता से साहस के साथ लड़ने का माद्दा है। दूसरा, तमाम सामाजिक - आर्थिक अन्तर्विरोधों को उनकी जटिलता में परखने का विवेक भी। इस बार ‘मंथन साहित्य समग्र’ आपको इसकी झलक दिखाएगा। हम कृतज्ञ हैं चित्रा मुद्गल, सूर्यबाला, मृदुला गर्ग, अलका सरावगी, मालती जोशी, सुदर्शना द्विवेदी, डॉ. चंद्रकला त्रिपाठी, जयंती रंगनाथन, नीरजा माधव, ममता सिंह, चित्रा देसाई और अनुराधा सिंह का, जिन्होंने विभिन्न आस्वाद की अपनी कहानियों और कविताओं से हमारे वार्षिकांक का मान बढ़ाया है। हमें आशा है आप ‘नारी कथाकार विशेषांक’ को भी उतना ही मान देंगे, जितना ‘मंथन’ की पिछली साहित्य वार्षिकियों को देते रहे हैं।