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नए दौर के प्रेमियों के प्रेम त्रिकोण का कोण———— ————इश्क समंदरः न आग, न दरिया ———— इश्क़ के लिए मन का मचलना, इश्क़ में मन-मस्तिष्क का बहकना और इश्क़ के बाद मन का बेचैन हो जाना स्वाभाविक है, किंतु प्रेम में आश्क्त, आतुर और अनिश्चितता से भरे जीवन के तीन कोणों के त्रिकोण में चौथे कोण की तलाश और मिलन की प्यास बनी रही... पूर्व प्रेमी और पूर्व प्रेमिका के इश्क़ में गालिब के इश्क़ दरिया जैसी बात भले ही न हो, लेकिन उनकी बेमिसाल दास्ताँ हर प्रेमी युगलों की मिसाल बन गई और प्यार के सागर में गोते लगाने, डूबने-उतराने का रोमांचक मंजर बना रहा... इस उपन्यास के जरिए मैं वापी, दमण और सिलवासा शहर की अद्भुत प्रदूषण रहित आवोहवा और उस परिवेश में रहने वाले उन लोगों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहती हूं, जिनकी यादों को मिटाना असंभव सा है। उनके प्रति आभार व्यक्त किए बगैर इस उपन्यास के साथ जुड़ने में सहजता नहीं महसूस होगी। यह कहें कि पढ़ने का आनंद अधूरा ही रह जाएगा। इस सिलसिले में पहले मेरे बारे में भी एक स्पष्टीकरण जरूरी है, जिसमें आभार के कई कारण और कुछ व्यक्ति विशेष की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। बिहार का एक कस्वाई ...