जीवन में ज्योतिष, लेखिका—बी. कृष्णा MRP ₹280 बिक्री मूल्य ₹250
छह खंडों में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...खंड—1
1. ज्योतिषः एक संक्षिप्त परिचय 2. ज्योतिष और जीवन से जुड़ाव 3. ज्योतिष और कृषि 4. ब्रह्मांड का रहस्य खंड- 2 ग्रह नक्षत्रः ज्योतिषीय तथ्य 1. शनि की साढ़े साती 2. राहू का कालसर्प दोष 3. सूर्य और चंद्र ग्रहण खण्ड-3 ज्योतिष में कुंडली महिमा 1. ऐसे करें कुंडली मिलान 2. विवाह और कुंडली 3. मांगलिक प्रभाव 4. षोडश संस्कार खण्ड-4 ज्योतिषीय उपाय और आयुर्वेद 1. ज्योतिष का उपचारी पहलू ;योग, आयुर्वेद, मंत्र, यज्ञ, मणि और भेषजद्ध 2. रोग और उपचार खंड-5 पढ़ाई, प्रतियोगिता और करियर-कारोबार 1. स्वयं की राह का निर्माता 2. विषयों का चयन 3. गणित में रूचि 4. पढ़ाई और प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता 5. इंजीनियरिंग और मेडिकल में करियर 6. छल कपट को कैसे पहचानें 7. व्यसनः मादक द्रव्य का सेवन और भटकाव खंड-6 ज्योतिष का दर्शन विज्ञान 1. ज्योतिष और योग दर्शन 2. ग्रह शांति 3. मंत्र की महिमा
खगोलीय घटना का अनूठा आनंद!
बी.कृष्णा
नए वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को होगा. यह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार यह वर्ष 2010 के बाद लगने वाला सबसे लम्बा सूर्य ग्रहण होगा. साथ ही इक्कीसवीं सदी का एकलौता पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, जो पूर्णता में तीन देशों में देखा जायेगा. वे देश मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा हैं. इसे उत्तरी अमेरिका, केंटुकी, ओहियो, न्यूयॉर्क, पश्चिम यूरोप, उत्तर दक्षिण अमेरिका, प्रशांत अटलांटिक, आर्कटिक आदि कई जगह दिखाई देगा. भारत में यह सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 की रात 09:12 मिनट से मध्य रात्रि 01:25 मिनट तक रहेगा. यानी कुल अवधि 4 घंटे 25 मिनट तक रहेगी. ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह मीन राशि, रेवती नक्षत्र में लगेगा.
पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूरज, चंद्रमा और पृथ्वी के बीच ऐसी स्थिति आ जाती है कि चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर जाने से रोक देता है. चंद्रमा की पूर्ण छाया पृथ्वी पर पड़ती है और अंधेरा छा जाता है. इसे खग्रास यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं.
इस ग्रहण के ठीक एक दिन पहले अर्थात 7 अप्रैल को चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नज़दीक होगा|
पूर्ण सूर्यग्रहण क्या है
सूर्यग्रहण पूर्णतः खगोलीय घटना है जो हर वर्ष घटित होता है|
पृथ्वी और सूर्य के बीच जब चन्द्रमा आ जाता है(तीनों एक सीध में आ जाते हैं) और इसकी वजह से पृथ्वी के एक हिस्से पर चन्द्रमा की छाया पड़ती है और पृथ्वी के उस भाग में अंधकार छा जाता है|| पूर्ण सूर्यग्रहण में सूर्य,चन्द्रमा के पीछे पूरी तरह से छुप जाता है|
ऋग्वेद के अनुसार
1- ऋग्वेद में ऋषि अत्रि ने स्वरभानु ( चन्द्रमा ) नामक असुर द्वारा सूर्य को अपनी गिरफ्त में लेने की बात कही है| इसकी वजह से पृथ्वी पर गहन अंधकार छा जाता है| इस अंधकार में और रात्रि के समय व्याप्त होने वाले अंधकार में बहुत अंतर होता है| इस समय के अंधकार की वजह से पशु पक्षी भयभीत होकर अस्वाभाविक व्यवहार करने लगते हैं|
2 - इसके बाद वे कहते हैं कि स्वरभानु का सूर्य को अपनी गिरफ्त में लेने की वजह से वायु ने अपनी दिशा बदल ली| वायु के दिशा परिवर्तन की बात करते हैं| गति परिवर्तन की बात नहीं करते हैं|
3- समुद्र जल के pH मान में परिवर्तन होने लगता है| pH मान में परिवर्तन अर्थात जल के अम्लीयता और क्षारीयता में परिवर्तन की बात करते हैं| समुद्र जल में आये इस परिवर्तन की वजह से समुद्र में रहने वाले जीवों और जंतुओं पर इसका प्रभाव पड़ता है|
4 - ग्रहों के आपसी तालमेल में गड़बड़ी की वजह से पेड़ पौधों में आनेवाले फूलों और फलों की संरचना पर असर होता है|
रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में अरण्य कांड में ग्रहण की चर्चा की गयी है |
भगवद्गीता में भी इसकी चर्चा की गयी है|
ऋग्वेद , रामचरितमानस, भगवद्गीता कहीं भी पूर्ण सूर्य ग्रहण के वैयक्तिक प्रभाव की चर्चा नहीं की गयी है की फलाने राशि वाले व्यक्तियों के लिए ऐसा होगा या वैसा होगा|
भगवतगीता में एक ही पक्ष में दो ग्रहण और उनके असर की बात कही गई है| राष्ट्र और राजा पर इसके प्रभाव की चर्चा की गयी है| युद्ध की बात की गयी है|
ज्योतिषशास्त्र में भी मेदिनी ज्योतिष के तहत इसकी चर्चा की गयी है| यहाँ भी पूर्ण सूर्य ग्रहण के वैयक्तिक प्रभाव की चर्चा नहीं की गयी है|
राष्ट्र और राजा पर इसके प्रभाव को जानने की मैंने कोशिश शुरू की और यह पाया -
इतिहास में चलें तो सूर्यग्रहण के साथ साथ ही युद्ध चलता है| तमाम ऐसे बड़े युद्ध मिलते हैं जिनकी शुरुआत ग्रहण के आस पास हुई है| यहाँ इतिहास में वर्णित एक ग्रहण की चर्चा बनती है| 5 मई 840 का पूर्ण सूर्य ग्रहण| इस ग्रहण से यूरोप का राजा इतना परेशान हो जाता है कि कुछ ही समय पश्चात् उसकी मृत्यु हो जाती है| उसकी मृत्यु के बाद उसके पुत्र गद्दी के लिए आपस में युद्ध करते हैं जिसकी परिणति वर्ष 843 में होती है| यूरोप तीन भागों में बंट जाता है जिसे आजकल हम सब फ्रांस, ज़र्मनी और इटली के नाम से जानते हैं|
किस भाव में किस राशि में ग्रहण लग रहा है इसको देखने के साथ साथ राश्याधिपति की क्या स्थिति है, नक्षत्राधिपति की क्या स्थिति है, यह भी देखना है| 8 अप्रैल को लगने वाला पूर्ण सूर्य ग्रहण मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगेगा|
पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय 8 ग्रहों का 65 डिग्री के अंशात्मक दूरी में होना, 6 ग्रहों का वरुण नाड़ी में होना, शुक्र और राहु का साथ होना, चन्द्रमा का ठीक एक दिन पहले पृथ्वी के सर्वाधिक नज़दीक होना - प्राकृतिक उत्पात, मौसम में अप्रत्याशित परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन का संकेत दे रहे हैं|
— समुद्र जल के pH में परिवर्तन होगा| जिसकी वजह से कुछ समुद्री जीव के अस्तित्व पर संकट आएगा|
— पेड़ पौधों की क्षति होगी| पशुधन का नाश होगा|
— पित्त का प्रकोप बढ़ेगा और आँखों से सम्बंधित बीमारी बढ़ेगी|
— पूर्ण सूर्य ग्रहण के कारण दिन के तापमान में अचनाक से तेजी से आये गिरावट की वजह से अमेरिका और कनाडा के कुछ हिस्सों में, जिसमें टेक्सास, ऑहियो, लुसिआना प्रमुख हैं, तेज आंधी तूफ़ान की स्थिति निर्मित हो सकती है|
यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जायेगा, परंतु इसी दिन से नव संवत्सर की शुरुआत होना और नव संवत्सर के शुरुआत के समय भारतीय समयानुसार बननेवाली कुंडली में ग्रहों के आपसी संबंधों की वजह से यहाँ भी प्राकृतिक उत्पात और मौसम में अप्रत्याशित बदलाव की स्थिति तो बना ही रहे हैं| भारत के उत्तरी, उत्तरीपूर्वी और पश्चिमोत्तर भाग इससे प्रभावित होते हुए नज़र आ रहे हैं|
ग्रहण और गर्भवती महिलाएं
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर में ही रहे जाने की सलाह दी जाती है| उन्हें कहा जाता है कि अगर इस दौरान वे घर से बाहर निकलेंगी तो उनका बच्चा खंड तालु अर्थात कटी हुई तालु लेकर पैदा होगा| यह एक विचारणीय प्रश्न है कि सूर्य ग्रहण के दौरान जितने भी बच्चे होंगे क्या वे खंड तालु लेकर ही पैदा होंगे? इस कतहँ की सत्यता की जानकारी के लिए शोध किया जाना चाहिए|
ज्योतिष के अनुसार गर्भवती महिला के तीसरे महीने में पुंसवन संस्कार किया जाता है| गर्भस्थ शिशु के लिए यह माह बहुत संवेदनशील होता है| इस समय वैदिक मंत्रोच्चार के साथ साथ आहार परिवर्तन और औषधीय प्रयोग द्वारा गर्भस्थ शिशु का लिंग परवर्तित किया जा सकता है| विज्ञान भी इस बात को मानता है कि तीसरे महीने में गर्भस्थ शिशु का लिंग परिवर्तन किया जा सकता है| चूँकि यह महीना इतना संवेदनशील होता है इसलिए वैसी महिलाएं जिनका तीसरा महीना चल रहा है गर्भ का, वे इस दौरान अपने खाने पीने की शुचिता का ध्यान रखें|
वैयक्तिक रूप से क्या करें
ग्रहण की बात होते ही राहु केतु का स्मरण होने लगता है, और इन्हें सर्प सदृश मानकर अपने भीतर खतरे की घंटी बजती सुनाई देने लगती है| सामने सर्प की प्रतीति जानकर बस बचो ! भागो ! कोई उपाय करो कि सर्पदंश से बचा जा सके|
ग्रहण से नहीं बल्कि सांप सी विचारों की वजह से बीमार हो जाते हैं या मृत्युपाश में चले जाते हैं|
ग्रहण खगोलीय घटना है
हर वर्ष कम से कम चार बार और अधिक से अधिक सात बार घटती ही हैं | इस वर्ष छह ग्रहण लगेंगे| 2011 में भी छह ग्रहण लगे थे |2013, 2018, 2019 में पांच ग्रहण लगा था| 1935 और 1982 में 7 ग्रहण लगा था| हर ग्रहण अपने साथ पंद्रह दिन आगे-पीछे दूसरे ग्रहण को लेकर आता ही है तो एक बात बताइये कि कितनी बार मरेंगे आप ??
ग्रहण और व्यापार को समझिये|
दान दीजिये|सूर्य उपासना कीजिये|
आदित्य ह्रदय स्त्रोत्र का पाठ कीजिये|
यह एक खगोलीय घटना है, आनंद लीजिये|
@ बी कृष्णा (ज्योतिषी, योग और अध्यात्मिक चिंतक )