राहुल रायबरेली के
भारतीय जन प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक दो लोकसभा सीटों से चुनाव जीतने वाले राहुल गांधी को चुनाव नतीजे घोषित होने के 14 दिनों के भीतर एक सीट को छोड़ने का एलान करना था. इसे लेकर 17 जून को कांग्रेस द्वारा घोषणा कर दी गई. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिका अर्जुनकार्जुन खड़गे ने बताया कि राहुल गांधी वायनाड सीट खाली करेंगे. इस सीट पर उनकी बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी.
प्रियंका गांधी के वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का एलान करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "कांग्रेस पार्टी में हम सबने मिलकर तय किया है कि राहुल गांधी रायबरेली सीट से सांसद रहेंगे. वे वायनाड से भी चुनाव लड़े, वहां के लोगों का प्यार भी उन्हें मिला. इसलिए हम ने तय किया है कि वायनाड से श्रीमती प्रियंका गांधी चुनाव लड़ेंगी."
राहुल गांधी लोकसभा चुनाव में केरल की वायनाड और उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से जीते थे.उन्होंने रायबरेली सीट को अपने पास रखने का फैसला किया है.
इस फैसले के बाद राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा कि वे वायनाड सीट जरूर छोड़ रहे हैं, लेकिन वो वहां जाते रहेंगे और प्रियंका गांधी रायबरेली का साथ नहीं छोड़ेंगी. उन्होंने कहा कि अब वायनाड और रायबरेली को दो-दो सांसद मिलेंगे.
17 जून को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक के बाद फैसला किया गया कि प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव में उतरेंगी.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा है कि वो वायनाड के लोगों को राहुल गांधी की कमी महसूस नहीं होने देंगी.
प्रियंका गांधी ने कहा, "वायनाड का प्रतिनिधित्व करके मुझे बेहद खुशी होगी. मैं वायनाड के लोगों को राहुल गांधी की कमी महसूस नहीं होने दूंगी."
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने कहा है कि वो वायनाड आते रहेंगे. मैं भी सभी को खुश रखने के लिए कड़ी मेहनत करूंगी."
प्रियंका गांधी ने कहा, "रायबरेली से तो मेरा पुराना रिश्ता है. 20 साल से मैंने रायबरेली और अमेठी के लिए काम किया है."
उपचुनाव के जरिए चुनव लड़ने को लेकर प्रियंका के बारे में पहले से ही संभावना जताई जा रही थी. साथ ही यह भी चर्चा थी कि प्रियंका चाहती तो अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत अमेठी से कर सकती थीं, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि कांग्रेस पार्टी स्मृति इरानी को करारा जवाब देना चाहती थी. इसलिए अमेठी सीट पर केएल शर्मा को चुना गया.
रायबरेली सीट से नेहरू-गांधी परिवार का पुराना संबंध रहा है.सबसे पहले राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी ने यहां से 1952 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था.
1967 में इंदिरा गांधी पहली बार इस सीट से चुनकर संसद पहुंचीं थीं. उन्होंने 1971 में भी इसी सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 1975 में अदालत के आदेश से यहां से उनका चुनाव रद्द हो गया. 1977 में इमरजेंसी के 21 महीने बाद जब चुनाव हुआ तो इंदिरा गांधी को रायबरेली सीट पर हार का सामना करना पड़ा.
1980 में इंदिरा गांधी रायबरेली और आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) की मेडक सीट से चुनाव लड़ी थीं और दोनों सीटों पर उन्होंने जीत हासिल की थी.
रायबरेली सीट उन्होंने तब छोड़ दी थी. उस साल यहां उपचुनाव में कांग्रेस के अरुण नेहरू चुनाव जीते थे. इसके बाद 1984 में भी उन्होंने ही दोबारा इस सीट पर जीत दर्ज की.
इसके बाद 1989 और 1991 के चुनाव में कांग्रेस नेता शीला कौल ने यहां से जीत दर्ज की.
1996 और 1998 में बीजेपी नेता अशोक सिंह ने रायबरेली सीट पर कमल खिलाने का काम किया.
1999 में रायबरेली सीट एक बार फिर कांग्रेस के पास आ गई. तब यहां से कांग्रेस नेता सतीश शर्मा ने जीत दर्ज की थी.
2004 से 2024 तक यानी बीस साल इस सीट से सोनिया गांधी सांसद रहीं. वहीं इस आम चुनाव में राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी ने रायबरेली सीट पर उतारा और उन्होंने करीब चार लाख वोट से जीत हासिल की.
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने और वहां से प्रियंका गांधी वाड्रा के अपना चुनावी सफर शुरू करने के फैसले पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह 'साम्राज्यवाद का प्रतीक' है।
केरल भाजपा के प्रमुख के.सुरेंद्रन ने भी तंज करते हुए कहा कि इस पुरातन पार्टी ने केरल को एक राजनीतिक एटीएम समझ लिया है। जबकि वायनाड लोकसभा सीट में अहम राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) ने कांग्रेस के प्रियंका गांधी वाड्रा को इस सीट से उप चुनाव लड़ाने के फैसले का स्वागत किया।
भाकपा नेता एनी राजा ने भी राहुल गांधी के रायबरेली सीट पर बने रहने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि मौजूदा समय में देश की राजनीति में बने रहने के लिए यह जरूरी है।
कांग्रेस कोई राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक परिवार की कंपनी
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोमवार को कहा कि राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने और उनकी बहन के उस सीट से उपचुनाव लड़ने के फैसले से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस कोई राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक परिवार की कंपनी है।
उन्होंने कहा, 'मां (सोनिया गांधी) राज्यसभा में रहेंगी। बेटा (राहुल गांधी) लोकसभा की एक सीट (रायबरेली) और बेटी (प्रियंका गांधी वाड्रा) की दूसरी सीट (वायनाड) होगी। यह सीधे तौर पर साम्राज्यवाद है।'
वायनाड सीट छोड़ना केरल के लोगों के साथ विश्वासघात
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का वायनाड सीट छोड़ना केरल के लोगों के साथ विश्वासघात है। इस फैसले से यह भी साबित होता है कि गांधी परिवार की 'राजनीतिक विरासत' उनके बेटे के पास ही रहेगी।
केरल भाजपा के प्रमुख ने कही ये बात
उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पता चलता है कि बेटा और बेटी में पहले कौन है? वहीं, केरल भाजपा के प्रमुख और वायनाड सीट से विगत 26 अप्रैल को राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले के.सुरेंद्रन ने कहा कि भाजपा ने पहले ही बता दिया था कि 'लापता समझे जाने वाले सांसद' वायनाड के लोगों के साथ विश्वासघात करेंगे।
राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी केरल का रुख तभी करते हैं जब उन्हें राजनीतिक फायदे के लिए उसकी जरूरत होती है। अन्यथा वह केरल को राजनीतिक एटीएम ही समझते हैं।
केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ के साझीदार राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) के सुप्रीम नेता पन्नक्कड़ सईद सादिक अली शिहाब थांगल ने कहा कि प्रियंका केरल आएंगी तो यूडीएफ अत्यधिक सशक्त होगी।
प्रियंका की मौजूदगी संसद में प्रधानमंत्री को कड़ी चुनौती देगी
आइयूएमएल के वरिष्ठ नेता पीके कुंहालीकुट्टी ने कहा कि प्रियंका की मौजूदगी संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कड़ी चुनौती देगी। इसीतरह भाकपा की नेता एनी राजा ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परि²श्य में राहुल गांधी जैसे प्रमुख नेता को हिंदी बेल्ट से ही काम करना चाहिए। इस फैसले में कुछ गलत नहीं है। प्रदेश की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए केरल में गठबंधन दल सीट का चुनाव करेंगे।