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सियासी सफर डीयू अध्यक्ष और पार्षद से दिल्ली की सत्ता तक भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली स्थित दफ़्तर में 19 फरवरी को पार्टी विधायक दल की बैठक के बाद शाालीमारबाग की विधायक श्रीमती रेखा गुप्ता विधायक दल की नेता चुनी गईं. इस बैठक में पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद भारतीय जनता पार्टी के नेता रविशंकर प्रसाद ने पत्रकारों के सामने रेखा गुप्ता के नाम का एलान किया और कहा, "प्रवेश वर्मा, सतीश उपाध्याय और विजेंद्र गुप्ता ने रेखा के नाम का प्रस्ताव दिया. नौ लोगों ने उनके नाम का अनुमोदन किया. अब हम सब राजभवन जा रहे हैं." 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापस आई भाजपा ने पहली बार विधायक बनी श्रीमती रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर दिल्ली प्रदेश की कमान सौंप दी है. इस तरह श्रीमती रेखा गुप्ता के नाम पर दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनने की पार्टी ने मुहर लगा दी. उसके बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, वीरेंद्र सचदेवा, रविशंकर प्रसाद और सभी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद अदा करती हूं. मैं अपने सभी विधायकों का धन्यवाद अदा करती हूं." श्रीमती रेखा गुप्ता से पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी इस पद पर रह चुकी हैं. राजनीति में परिवार से इकलौती, वकालत की पढ़ाई के बाद छात्र जीवन में ही राजनीति में उतर चुकी थीं. उन्होंने दिल्ली विधानसभा 2025 के चुनाव में उन्होंने शालीमार बाग सीट से आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को क़रीब 30 हज़ार वोट से हराया था. रेखा गुप्ता शालीमार बाग से पहली बार विधायक बनी हैं. विधायक से पहले वो पार्षद का चुनाव भी जीत चुकी हैं. रेखा गुप्ता अपने परिवार से राजनीति में इकलौती हैं. उनका सियासी सफर पार्षद, विधायक से सीएम तक पहुंचा हैं. श्रमती रेखा गुप्ता मूल रूप से हरियाणा के जींद जिले की रहने वाली हैं. उनका जन्म 1974 में जींद ज़िले के जुलाना में हुआ था.लेकिन मात्र 2 साल की उम्र में ही वो दिल्ली चली आई थी. बचपन से ही वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गईं. उनके दादा राजेंद्र जिंदल जींद के जुलाना में आढ़त व्यवसायी थे. रेखा के पिता जयभगवान जिंदल बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर थे. पिता को बैंक में मिली नौकरी के बाद भी उनका परिवार जींद से शिफ्ट होकर दिल्ली आ गया था. रेखा की मां उर्मिला जिंदल हाउस वाइफ थी. रेखा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति की शुरुआत की थी. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और एलएलबी किया.1998 में उनका विवाह दिल्ली के रहने वाले मनीष गुप्ता से हुआ. उनके पति बीमा एजेंट के साथ-साथ कारोबारी हैं. उन्होंने नामांकन के समय जो हलफनामा पेश किया है, उसमें उन्होंने बताया कि उनके पति मनीष गुप्ता कोटक लाइफ इंश्योरेंस के बीमा एजेंट के साथ-साथ स्पेयर पार्ट्स के कारोबीरी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रेखा गुप्ता के दो बच्चे हैं. बेटा निकुंज और बेटी हर्षिता. बेटी हर्षिता पिता की तरह कारोबार में ही अग्रसर है, जबकि बेटा निकुंज गुप्ता अभी पढ़ाई कर रहा है. रेखा गुप्ता की सास ने उनके मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा से ठीक पहले कहा था कि यह 99 फीसदी तय है कि रेखा ही सीएम बनेंगी. सास का कहना था- रेखा ने ससुराल और मायके दोनों को सम्मान दिलाया. रेखा गुप्ता के परिवार के लोग उनके राजनीतिक सफर पर गर्व महसूस कर रहे हैं. उनकी सास मीरा गुप्ता ने कहा, "यह बहुत अच्छी बात है. उन्होंने हमारे पूरे परिवार- ससुराल और मायके दोनों को गौरव और सम्मान दिलाया है. पहली बार हमारे परिवार से कोई नेता बना है. वह पहली बार पार्षद चुनी गई, फिर पहली बार विधायक बनी और अब वह पहली बार मुख्यमंत्री बनने की राह पर है." शालीमारबाग की सीट पर वह 2020 के चुनाव में मामूली अंतर से हार गईं थीं. इससे पहले वह दिल्ली नगर निगम की पार्षद और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. वह 1996 में वो दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डुसू) की अध्यक्ष बनीं थी. 2007 में वो दिल्ली के पीतमपुरा (उत्तर) की काउंसिलर बनीं. साथ ही रेखा गुप्ता दिल्ली बीजेपी महिला मोर्चा की जनरल सेक्रेटरी भी रह चुकी हैं. 2004 से 2006 तक वो भारतीय जनता पार्टी की युवा मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव रहीं.