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मंजुल भगत की इस कृति में तीन लघु उपन्यास संग्रहीत हैं―बेगाने घर में, लेडीज़ क्लब और टूटा हुआ इंद्रधनुष। नई ज़मीन पर लिखे गए सशक्त उपन्यास बेगाने घर में को पढ़ते हुए अनुभव होगा कि एकाकीपन से उपजी पीड़ा धनहीनता की पीड़ा से कहीं अधिक कष्टकर है। लेडीज़ क्लब सामयिक परिस्थितियों में उभरा एक सामाजिक व्यंग्य है। इसमें दोहरेपन को जीते लोग हैं और उनके खोखले आदर्श हैं। परिस्थितियों की विषमताओं से उत्पन्न कुंठा व संत्रास है। टूटा हुआ इंद्रधनुष जीवन और उसके सत्यासत्यमूलक पहलुओं पर विचार करता है। इस उपन्यास में शरीर की वास्तविकता, जन्म और यौवन, क्षणिक अनुभूति की महत्ता प्रतिपादित की गई है।