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भोजपुरी का पहला बोल्ड और पुरस्कृत उपन्यास नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’ की कलम से निकला, जिसमें आग भी है पानी भी सामाजिक और कारुणिक भी । तीन सखियों की कहानी पढ़ें उनकी जुबानी । आँखों से गिरे नीर क्यों स्त्रियों के लिए सारी दुनिया हो जाती है फकीर ! समर्पण दिल्ली के दामिनी के जवरे विश्व के ओह तमाम लइकिन के जे सँवरी, पमली आ बारली के रूप में गुजर गइल बाड़ी जा आ अब आपन अधिकार ले आपन भविष्य सुधारत बाड़ी जा सादर समर्पित भूमिका तेरे माथे पे ये आँचल तो बहुत ही खूब है लेकिन तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था । ...