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विश्व हिंदी सम्मेलन स्मारिका
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विदेश मंत्रालय की इस 540 पेज की स्मारिका में पढ़ें.... पत्रकारिता, जनसंचार एवं सिनेमा....1. लोकतांत्रिक व्यवस्था में मीडिया का अवदान ....2. काशी की हिंदी पत्रकारिता: अतीत से अनागत तक..... 3. हिंदी की अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाएँ ....4. हिंदी पत्रकारिता में संवाद की आवश्यकता.....5. हिंदी पत्रकारिता का नैतिक दायित्व .....6. सोशल मीडिया : संप्रेषण के नए आयाम और हिंदी..... 7. टी.वी. की भाषा....समर्थ भाषा हिंदी ....9. हिंदी पत्रकारिता में प्रौद्योगिकी की विकास–यात्रा ....10. पूर्वोत्तर के जनजातीय क्षेत्रों की संचार प्रणाली में हिंदी.... 11. हिंदी के प्रचार-प्रसार में मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन का योगदान..... 12. हिंदी के हाथों सँवरते आधुनिक संचार माध्यम.... 13. विश्व सिनेमा और हिंदी की भूमिका .... 14. डिजिटल क्रांति से हिंदी को मिली नई पहचान 15. नए भारत में बदलती सूचना प्रौद्योगिकी और हिंदी का विकास ....16. भारतीय परंपरा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी 17. भाषा प्रौद्योगिकी में कृत्रिम मेधा की बढ़ती भूमिका 18. भारतीय ज्ञान परंपरा : वैश्विक संदर्भ और हिंदी 19. भारतीय ज्ञान परंपरा में हिंदी — 20. परंपरागत ज्ञान को कृत्रिम मेधा और संचार क्रांति की चनुौतियाँ — 21. हिंदी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक — 22. पांडुलिपि -विज्ञान तथा भारतीय ज्ञान-परंपरा की प्रासंगिकता — 23. ट्विटर की हिंदी: भाषिक-विश्षण ले —डॉ. विजया सिंह 110 24. कृत्रिम मेधा के द्वारा भाषाओं का संवाद — 25. वैश्विक हिंदी के विस्तार में कृत्रिम मेधा की भूमिका — 26. भारतीय ज्ञान परंपरा और कृत्रिम बुद्धि — 27. मरुबिंद से मरु उद् ु यान में पनपती हिंदी — 28. तेलगु और हिंदी अनवाद के माध्यम से सह-संबंध : एक परिचय — 29. तमिलनाडु में हिंदी : भारतीय एकसूत्रात्मकता की ओर अग्रसर तमिल समाज — 30. हिंदी भाषा शिक्षण और अनवाद : केरल के संदर्भ में — 31. हिंदी भाषा में अनूदित ओड़िया साहित्य : उपलब्धियाँ एवं संभावनाएँ — 32. हिंदी और तमिल के बीच साहित्यिक अनवाद परंपरा — 33. कोंकणी-हिंदी भाषाओं का संगम — 34. तमिलनाडु में हिंदी शिक्षण ः समस्याएँ और समाधान — 35. हिंदी में अनूदित विदेशी साहित्य — 36. भारतीय भाषाओं में अंतर्निहित समानताओं के आधार पर भाषा-शिक्षण, परस्पर अनवाद और लिप्यंतरण की संभावनाएँ — 37. व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में हिंदी और भारतीय भाषाएँ — 38. अनवाद के माध्यम से कन्नड़-हिंदी में आदान-प्रदान — ....वैश्विक हिंदी... 39. विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में विदेश मंत्रालय की भूमिका — 40. विश्व हिंदी सम्मेलन ः नागपुर से नादी — 41. न्यूजीलैंड में हिंदी की विकास यात्रा — 42. बलु्गारिया और हिंदी — 43. यूरोप में हिंदी की स्थिति एवं उपस्थिति — 44. चीन में हिंदी शिक्षण — 45. थाईलैंड में हिंदी — 46. दक्षिण अफ्रीका में हिंदी : कल, आज और कल — 47. श्रीलंका में हिंदी की दशा और दिशा — 48. उज्बेकिस्तान में हिंदी : प्रचार-प्रसार और शिक्षण —डॉ. 49. सूरीनाम सहित कैरेबियाई देशों में हिंदी भाषा का प्रभतु्व — 50. इथियोपिया एवं चेक गणराज्य में हिंदी अध्यापन के संस्मरण — 51. अमेरिका में हिंदी ः कल, आज और कल — 52. फिजी में हिंदी संघर्ष, समाज और साहित्य — 53. ऑस्ट्रेलिया में हिंदी : प्रचार-प्रसार —रीता कौशल 259 54. सिंगापुर में हिंदी शिक्षण की स्थिति — 55. पोलैंड में हिंदी — 56. दक्षिण कोरिया में हिंदी — 57. विश्‍व हिंदी सम्‍मेलन की यात्रा : भारत से मॉरीशस तक — 58. रूस में हिंदी — 59. फिजी में ‘हिंदी बात’ — 60. फिजी और मॉरीशस : औपनिवेशिक, ऐतिहासिक एवं हिंदी पत्रकारिता से जडु़े संबंध — 61. हिंदी का अंतरराष्ट्रीय संदर्भ : जर्मन में हिंदी — 62. त्रिनिदाद के हिंदी साधक : प्रो. हरिशंकर आदेश — 63. वैश्विक परिदशृ्य में हिंदी — 64. भारत–चीन साहित्यिक संबंध में हिंदी का योगदान 65. फिजी हिंदी भाषा, साहित्य और सामाजिक सरोकार — 66. विश्व-भाषा की ओर अग्रसर हिंदी — 67. विश्व हिंदी सचिवालय : बीज से वृक्ष तक — 68. प्रवासी चेतना बनाम राष्ट्रीय चेतना — 69. हिंदी का विश्व और विश्व की हिंदी — 70. श्रीराम की करुणा के दो मधुर प्रसंग — 71. राम और राष्ट्र की अवधारणा — 72. रामकथा के प्रसार में गीता प्रेस की भूमिका — 73. मॉरीशस में श्रीराम और रामचरितमानस — 74. रामकथा के साथ हिंदी की पताका — 75. फ‌िजी में रामकथा का स्वरूप और साहित्यिक प्रभाव — 76. विश्व में सबके अपने-अपने राम —डॉ. राकेश पांडेय 383 77. रामकथा का यथार्थ — 78. मैथिलीशरण गुप्त के राम और भारत- 79. विश्व हिंदी साहित्य तथा संस्कृति के आलोक में, विश्वात्मा श्रीराम और विश्वमंगल की अक्षय निधि गोस्वामी तलसीदास विविध...... 80. सिंधी एवं हिंदी अंतर्संबंध — 81. हिंदी की व्याप्ति बढ़ाते मनोरंजन के नए माध्यम — 82. राष्ट्रीयता के शिखर कवि : मैथिलीशरण गप्त औु र सुब्रह्मण्य भारत‌ियार — 83. पंडित विद्यानिवास मिश्र का हिंदी मन — 84. हिंदी में विज्ञान लेखन की परंपरा : स्वतंत्रता पूर्व एवं पश्चात्— 85. एक अमूल्य धरोहर छोड़कर गए हैं नरेंद्र कोहली — 86. माधवराव सप्रे : हिंदी के अनन्य साधक — 87. राष्ट्र संवाद के लिए हो सर्वमान्य भाषा — 88. हिंदी की सामर्थ्य अतलनीय है — 89. देश के सांस्कृतिक विस्तार में हिंदी की भूमिका — 90. एक भारत-श्ष्ठ भा रे रत : हिंदी की बिंदी — 91. सिक्किम में हिंदी की स्थिति : चनुौतियाँ एवं संभावनाएँ — 92. सामासिक-सांस्कृतिक एकता में हिंदी की भूमिका/योगदान — 93. हिंदी प्रकाशन के समक्ष चनुौतियाँ एवं अवसर —प्र 94. भारत की स्वतंत्रता का ‘अमृत महोत्सव’ एवं हिंदी की स्थिति — 95. हिंदी नई चाल में ऐसे ढली —