
मातम, गुस्सा और सवाल
गुजरात के अहमदाबाद शहर में 12 जून को हुए विमान हादसे के चार दिन बाद भी मातम और बेचैनी का माहौल बना रहा. लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट के दुर्घटनाग्रस्त होने से अब तक कम से कम 270 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें हवाईयात्री के अलावा मेडिकल कालेज के लोग भी शामिल हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि इस विमान हादसे के स्थल से 270 शव बरामद किए गए हैं. लंदन जाने वाला विमान उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से एक 40 वर्षीय ब्रिटिश व्यक्ति को छोड़कर सभी की मौत हो गई.
मृतकों के सम्मान में भारत और ब्रिटेन में शोक सभाएं आयोजित की गईं, जबकि भारत का विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) दुर्घटना के कारणों की जांच का नेतृत्व कर रहा है, जिसमें अमेरिका और ब्रिटेन की टीमें मदद कर रही हैं.जांच अधिकारियों ने यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि जमीन पर कितने लोग मारे गए और पीड़ितों की पहचान की पुष्टि करने के लिए डीएनए नमूनों के मिलान की धीमी प्रक्रिया से मातम के माहौल के साथ पीड़ित के परिजनों में गुस्सा और सवाल बने हुए हैं.
दुर्घटना के अगले रोज ही दुर्घटना स्थल पर एक ब्लैक बॉक्स मिला, जिसके बारे में भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू किंजरापु ने कहा कि इससे आपदा की "जांच में काफी मदद मिलेगी"
उल्लखनीय है कि अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के 60 सेकंड से भी कम समय बाद विमान ने अपनी ऊँचाई खो दी और एक इमारत में जा टकराई, जिसका इस्तेमाल बीजे मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल में डॉक्टरों के आवास के रूप में किया जाता था.
14 जून को कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. धवल गमेती ने पुष्टि की कि अस्पताल को 270 पीड़ितों के शव मिले हैं. इनमें से 241 विमान AI171 के यात्री और चालक दल के सदस्य माने जा रहे हैं. रिश्तेदारों द्वारा उपलब्ध कराए गए डीएनए नमूनों का उपयोग करके तीस से अधिक पीड़ितों की औपचारिक रूप से पहचान भी की गई है.
ट्रैकिंग वेबसाइट, फ्लाइटरडार24 के डेटा के अनुसार, बोइंग ड्रीमलाइनर 787-8 11 साल पुराना था और पिछले दो वर्षों में इसने अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए 25 उड़ानें संचालित की थीं. इसकी दुर्घटना के बाद, भारत के विमानन नियामक, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने एयर इंडिया के बोइंग 787-8 और 787-9 बेड़े पर अतिरिक्त सुरक्षा जाँच का आदेश दिया. इसे "निवारक उपाय" बताया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जून को विमान दुर्घटना स्थल पर करीब 20 मिनट तक घूमकर जायजा लिया. उन्होंने दुर्घटना में घायल हुए कुछ लोगों से मिलने के लिए अस्पताल का भी दौरा किया, जिसमें विमान में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति विश्वाश कुमार रमेश भी शामिल थे. बाद में उन्होंने कहा कि "पूरा देश उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना कर रहा है." एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन भी उसी रोज दुर्घटना स्थल पर गए और उन्होंने इस यात्रा को "बहुत भावुक करने वाला" बताया.
सैकड़ों परिवारों के लिए अहमदाबाद विमान हादसा सिर्फ एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि जीवनभर का दर्द है. हर जलता चेहरा, हर सूनी आंखें, हर अधूरा सपना इस त्रासदी की भयावहता को बयान करता है.
"अब कुछ नहीं बचा…” अपने बेटे और बहू को दो साल बाद पहली बार देखने वाले अनिल पटेल की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे. उन्होंने कहा, "दो साल बाद मेरे बच्चे मुझे सरप्राइज देने आए थे. ये हमारे लिए खुशी का वक्त था. और अब, कुछ नहीं बचा.”
पटेल के जैसे सैकड़ों परिवारों की खुशियां अचानक उजड़ गईं. अस्पतालों के बाहर भीड़ लगी है. हर किसी को अपनों के शव की शिनाख्त और अंतिम संस्कार का इंतजार है.
15 साल के चाय बेचने वाले आकाश पटनी हादसे के वक्त पेड़ की छांव में सो रहे थे. उनकी मां कल्पेश पटनी ने कहा, "वो मेरी आंखों के सामने जल गया. मैं उसके बिना कैसे जिऊंगी?”
काइनल मिस्त्री, एक युवा शेफ थीं जो लंदन में काम करती थीं. वह छुट्टियों में भारत आई थीं. उनके पिता सुरेश मिस्त्री ने कहा, "उसने अपनी फ्लाइट कुछ दिन के लिए टाल दी थी ताकि हमारे साथ और वक्त बिता सके. अगर वह पहले चली जाती, तो शायद जिंदा होती.”
25 वर्षीय जूनियर डॉक्टर मोहित चावड़ा उस कैंटीन में खाना खा रहे थे, जिस पर विमान का अगला हिस्सा गिरा. वह बताते हैं, "धुएं से कुछ दिख नहीं रहा था. हमें समझ ही नहीं आया कि कौन कहां बैठा है. जैसे-तैसे भाग कर जान बचाई.”
शवों की पहचान में देरी से परिजन नाराज
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, अब तक 270 शव अस्पताल लाए गए हैं. ज्यादातर शव "बुरी तरह जले हुए" हैं, जिससे उनकी पहचान मुश्किल हो रही है.
हादसे में जीवित बचे व्यक्ति से अहमदाबाद अस्पताल में मिले नरेंद्र मोदीहादसे में जीवित बचे व्यक्ति से अहमदाबाद अस्पताल में मिले नरेंद्र मोदी
डॉ. धवल गमेती ने बताया कि "डेंटल रिकॉर्ड और डीएनए प्रोफाइलिंग से पहचान की जा रही है. प्रक्रिया तेज की गई है, लेकिन 72 घंटे लग सकते हैं."
लेकिन यह देरी परिजनों को बेचैन कर रही है. चार परिजनों को खोने वाले रफीक अब्दुल हफीज मेमन ने रोते हुए कहा, "हम अपने बच्चों की लाशें ढूंढ़ रहे हैं, पर कोई जवाब नहीं दे रहा. कुछ तो बताएं, कब मिलेंगे हमारे बच्चे?”
हादसे की जांच शुरू हो गई है. विमान का ब्लैक बॉक्स एक नजदीकी इमारत की छत से बरामद हुआ है. भारत का विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) डेटा निकालने की कोशिश कर रहा है. ब्रिटेन के इंजीनियर पॉल फ्रॉम ने बताया, "फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से पता चलेगा कि इंजन, फ्लैप्स, लैंडिंग गियर और तापमान जैसे कारकों में कोई गड़बड़ी तो नहीं थी.”
एयर इंडिया पर संकट की छाया
2022 में टाटा ग्रुप द्वारा एयर इंडिया के अधिग्रहण के बाद यह सबसे बड़ा संकट है. टाटा के चेयरमैन ने शुक्रवार को कहा, "हम समझना चाहते हैं कि आखिर क्या हुआ, पर इस वक्त हमारे पास जवाब नहीं हैं.”
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फ्लाइट टेकऑफ के समय वजन, तापमान या फ्लैप्स सेटिंग में कोई गलती हुई हो, तो हादसे की वजह वही हो सकती है.
दुर्घटनाग्रस्त विमान 12 साल पुराना बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था. यह इस मॉडल की 16 वर्षों में पहली बड़ी दुर्घटना है, जबकि बोइंग हाल के वर्षों में सुरक्षा समस्याओं को लेकर लगातार आलोचना झेलती रही है.
बचने वाले इकलौते ब्रिटिश नागरिक को अब भी निगरानी में रखा गया है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि "वह अब स्वस्थ हैं और जल्द उन्हें छुट्टी मिल सकती है."
हालांकि, दोनों पायलटों के पास था 9,200 घंटे विमान उड़ाने का अनुभव था. इतना अनुभव भारत और अन्य देशों के बीच कम दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए जरूरी अनुभव से कहीं अधिक है.
घटना से एयर इंडिया पायलटों को भी सदमा लगा. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि बोइंग ड्रीमलाइनर किसी हादसे का शिकार हो सकता है, क्योंकि इसे सबसे सुरक्षित और बेहतरीन हवाई जहाज माना जाता है.
एयर इंडिया के कई पायलटों के अनुसार हादसे की खबर के बाद माहौल गमगीन हो गया था और ग्रुप पर दोनों पायलटों की मौत की आशंका के बाद शोक संदेश आने लगे थे. पायलटों ने बताया कि इस जहाज को उड़ाने वाले कैप्टन सुमित सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के पास हवाई जहाज उड़ाने का पर्याप्त अनुभव था.
कैप्टन सभरवाल के पाल 8,000 से अधिक घंटों तक यानी करीब एक दशक से जहाज उड़ाने का अनुभव था. वहीं, फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव के पास करीब दो वर्षों का अनुभव था और वह भी लगभग 1,200 घंटे जहाज उड़ा चुके हैं. नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर एयर इंडिया के एक पायलट ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इतना अनुभव भारत और अन्य देशों के बीच कम दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए जरूरी अनुभव से कहीं अधिक है।’
पायलट ने बताया, ‘अहमदाबाद से गैटविक के लिए 10 घंटे की सीधी उड़ान है और इसलिए जहाज में दो पायलट पर्याप्त थे। 10 घंटे से अधिक वाले अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में तीन पायलट की जरूरत होती है और जब विमान 14 घंटे से ज्यादा उड़ान भरने वाला हो तो 4 पायलट उसमें रहने चाहिए।’