चंद्रमा पर ट्रेन और रेलवे स्टेशन
चाँद पर एक ट्रेन! हां, जैसे-जैसे इंसान चंद्रमा की सतह पर रहने की योजनाएं बना रहा है, वैसे—वैसे वहां अपनी जरूरतों की पूर्ति की योजनाएं भी बना रहा है. इसी सिलसिले में नासा की योजना चांद पर रेल चलाने की है. यह एक साहसी और बड़े मिशनों में एक होगा. यानी वहां ट्रेन कोई दूर की कौड़ी नहीं है. नासा चंद्रमा की सतह पर भरोसेमंद, अपना और कुशल पेलोड परिवहन प्रदान करने के लिए पूरी तरह से परिचालन रेलवे स्टेशन का निर्माण करने का इरादा रखता है.
यह ट्रेन हमारे पास पृथ्वी पर मौजूद ट्रेनों से अलग होगी. ट्रैक (फ्लोट) पर फ्लेक्सिबल लेविटेशन नामक तकनीक, तीन-परत लचीले फिल्म ट्रैक पर चुंबकीय लेविटेशन का उपयोग करेगी.
ये शक्तिहीन चुंबकीय रोबोट होंगे, जो ग्रेफाइट परत के ऊपर उड़ते हैं और प्रतिचुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करके रेलों पर निष्क्रिय रूप से तैरते हैं.
चांद पर आज के समय दुनिया की प्रमुख स्पेस एजेंसियां जा रही हैं. चीन ने पिछले दिनों चंद्रमा से जुड़ा एक मिशन लॉन्च किया है, वहीं नासा एक बार फिर चंद्रमा पर इंसानों को भेजकर वहां बस्तियां बसाना चाहता है. एक्सपर्ट्स दूसरे ग्रहों पर इंसानों के परिवहन का सबसे अच्छा तरीका खोज रहे हैं, क्योंकि उड़ने वाला परिवहन सिस्टम फेल हो सकता है. चंद्रमा पर ज्यादा दूर तक इंसान जा सकें इसके लिए नासा एक रेलवे सिस्टम बनाना चाहता है. नासा अगर कामयाब हो गया तो चांद पर वह ट्रेन चलाई जा सकेगी. हालांकि रेलवे धरती की तरह दो पटरियों वाला नहीं होगा.
गोल्फ बग्गी वर्तमान में कम लोगों के लिए ट्रांसपोर्ट का एक अच्छा साधन हो सकता है. लेकिन बड़ी आबादी और चंद्रमा पर होने वाले खनन के ट्रांसपोर्ट में यह कारगर नहीं होगा. इसके लिए बड़े परिवहन की जरूरत है. FLOAT नाम की एक नई टेक्नोलॉजी विकसित की जा रही है. वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि यह चंद्रमा पर मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पेलोड डिलीवरी का विकल्प प्रदान करेगा. नासा ने चुंबक से चलने वाले इस रेलवे की फंडिंग में बढ़ोतरी की है।
नासा के हैं कई प्लान
यह प्लान किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह है. FLOAT का मतलब फ्लेक्सिबल लेविटेशन ऑन ए ट्रैक है. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की ओर से संचालित की जाने वाली यह परियोजना है और इसे नासा के इनोवेटिव एडवांस्ड कॉन्सेप्ट प्रोग्राम अध्ययन के दूसरे चरण में बनाया जा रहा है. दूसरे कॉन्सेप्ट जिनके ऊपर काम किया जा रहा है उनमें एक पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट और एक बड़ी ऑप्टिकल ऑब्जर्वेटरी है, जिस रॉकेट को बनाया जा रहा है उससे पृथ्वी से सौरमंडल में किसी भी जगह तेजी से पहुंचा जा सकेगा।
ऐसे काम करेगा चांद पर रेलवे
चंद्र रेलवे सिस्टम अगले दशक तक चालू हो सकता है. चंद्रमा पर यह विश्वसनीय, ऑटोमैटिक और कुशल पेलोड परिवहन प्रदान करेगा. यह सतह के चारों और कई टन रेगोलिथ (चंद्रमा की मिट्टी) के ट्रांसपोर्ट में भूमिका निभा सकता है. चांद पर बेस बनाने में चंद्रमा की मिट्टी कई तरह से अंतरिक्ष यात्रियों की ओर से इस्तेमाल की जा सकेगी. नासा के रोबोटिक्स इंजीनियर एथन स्केलर इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं. उनका अनुमान है कि एक दिन में यह 100 टन कार्गो ट्रांसपोर्ट कर सकता है. स्केलर ने कहा, 'फ्लोट एक लपेटी जा सकने वाली कालीन की तरह होगी. आवश्यक्ताओं के हिसाब से इसे दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा.' उन्होंने आगे बताया कि पहियों, पैरों या पटरियों वाले चंद्रमा रोबोट के विपरीत फ्लोट रोबोटों में कोई हिलने वाला भाग नहीं होगा, और ट्रैक पर उड़ेंगे.
चांद पर रेलवे ट्रैक कैसे काम करेंगे?
नासा के अनुसार पहियों, पैरों या पटरियों वाले चंद्र रोबोटों के विपरीत फ्लोट रोबोटों में कोई चलने वाला भाग नहीं होगा. चंद्र धूल के घर्षण या घिसाव को कम करने के लिए ट्रैक के ऊपर उड़ेंगे. पारंपरिक सड़कों, रेलवे और केबल के विपरीत, ये ट्रैक प्रमुख ऑन-साइट इमारतों से बचते हुए, सीधे चंद्र रेजोलिथ पर अनियंत्रित हो जाते हैं.
फ्लोट डिज़ाइन रोबोट विभिन्न रूपों के पेलोड को 0.5 मीटर प्रति सेकंड पर ले जा सकते हैं, जबकि एक बड़े पैमाने पर फ्लोट सिस्टम प्रति दिन 1,00,000 किलोग्राम रेजोलिथ कई किलोमीटर तक ले जा सकता है.
नासा ने कहा, "फ्लोट न्यूनतम साइट तैयारी के साथ धूल भरे, दुर्गम चंद्र वातावरण में स्वायत्त रूप से काम करेगा, और इसके ट्रैक के नेटवर्क को चंद्र आधार मिशन की बढ़ती आवश्यकताओं से मेल खाने के लिए समय के साथ रोल अप और पुन: कॉन्फ़िगर किया जा सकता है।"
जैसा कि परियोजना जारी है, चरण 2 में उप-स्तरीय रोबोट और ट्रैक प्रोटोटाइप की एक श्रृंखला का डिजाइन, निर्माण और परीक्षण शामिल होगा, जिसका समापन चंद्र-एनालॉग परीक्षण में एक प्रदर्शन और सिस्टम प्रदर्शन और जीवनकाल पर पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव पर शोध करना होगा।