
हिमयुग का हुआ था असर
चीन में किए गए एक ताजा शोध के आधार पर कहा गया है कि एक वक्त ऐसा आया था जब धरती पर सिर्फ 1,280 लोग रह गये थे, और मानव जाति लगभग खत्म होने के कगार पर पहुंच गयी थी.
पृथ्वी पर रहने वाले आठ अरब लोग क्या आज सिर्फ इसलिए जिंदा हैं, क्योंकि नौ लाख साल पहले 1,280 लोग इतने मजबूत थे कि वे तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी जिंदा रहे? हाल ही में जारी एक नये अध्ययन में बताया गया है कि एक लाख 20 हजार साल तक इंसानियत के समूल नाश का खतरा बना रहा था.
जेनेटिक विश्लेषण के आधार पर किये गये अध्ययन में इंसान के पूर्वजों के उस दौर के जीवन की जांच की गयी है जब मानव जाति समूल नाश के कगार पर पहुंच गयी थी.
क्या वाकई ऐसा हुआ था?
कुछ वैज्ञानिक इस अध्ययन के नतीजों से सहमत नहीं हैं. इस अध्ययन में शामिल नहीं रहे एक वैज्ञानिक के मुताबिक जेनेटिक्स विशेषज्ञों में इस बात पर लगभग आम सहमति है कि ये दावे यकीन लायक नहीं हैं.
हालांकि वैज्ञानिकों को इस बात से इनकार नहीं है कि एक वक्त पर मानव जाति पूरी तरह समूल नाश के कगार पर पहुंच गयी थी, लेकिन ताजा अध्ययन में जिस तरह की सटीकता जाहिर की गयी है, उस पर वैज्ञानिकों को संदेह है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि इतने पुराने समय में पृथ्वी की आबादी में आये बदलावों का अध्ययन करना एक बेहद जटिल काम है. पहले भी ऐसे ही तरीकों से जो अध्ययन किये गये हैं, उनमें ऐसे नतीजे नहीं मिले थे. ताजा अध्ययन कहता है कि लगभग पूरी आबादी खत्म हो गयी थी.
कैसे हुआ अध्ययन?
वैज्ञानिकों के पास जांच के लिए दो लाख साल पहले के आदिमानवों के कुछ अवशेष ही हैं, जिनसे डीएनए लेकर उनका अध्ययन किया गया है.हालांकि जीनोम सीक्वेंसिंग तकनीक अब बहुत तरक्की कर चुकी है और वैज्ञानिक अब इंसान में आए जेनेटिक बदलावों का पता लगाकर कंप्यूटर मॉडलिंग के जरिये अति प्राचीन समय के आदिमानवों का भी विश्लेषण कर सकते हैं.
इस महीने साइंस पत्रिका में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है. इसके लिए 3,150 लोगों के डीएनए का अध्ययन किया गया.चीनी शोधकर्ताओं के इस दल ने इन आंकड़ों के अध्ययन के लिए एक कंप्यूटर मॉडलिंग तैयार की. उन्हें चला कि करीब नौ लाख 30 हजार साल पहले एक वक्त ऐसा आया था जब धरती पर सिर्फ 1,280 लोग रह गये थे.
चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेज के शंघाई इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन एंड हेल्थ के हाईपेंग ली मुख्य शोधकर्ता हैं. वह कहते हैं, "98.7 फीसदी आबादी खत्म हो गयी थी. हमारे पूर्वज लगभग विलुप्त हो गये थे और बचकर दोबारा पनपने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी.”
अध्ययन के मुताबिक ऐसा संभवतया हिमयुग के वक्त धरती का तापमान गिरने की वजह से हुआ था जो करीब एक लाख 20 हजार साल तक जारी रहा. उसके बाद जब तापमान बढ़ने लगा तो आबादी बहुत तेजी से बढ़ी. इसी दौर में इंसान ने आग पर काबू पाया था.
धरती पर कब और कैसे आया हिमयुग?
हिमयुग यानि आइस एज (Ice Age) में बर्फ करोड़ों साल तक जमी रहती है. पृथ्वी (Earth) के इतिहास में एक ऐसा युग भी आया था, जब जमीन पर हर जगह केवल बर्फ ही बर्फ थी. इसे हिमयुग (Ice Age) के नाम से जाना जाता है.
कल्पना कीजिए कि उस समय कितना भयावह मंजर रहा होगा. जब सभी ओर बर्फ ही बर्फ होगा. इतिहास में इसे हिमयुग (Ice Age) के नाम से जाना जाता है.
हिमयुग (Ice Age) क्या है
आसान भाषा में समझें तो हिमयुग (Ice Age) एक प्राकृतिक घटना है. इसकी कोई सटीक परिभाषा देना संभव नहीं है. इस अवस्था में पृथ्वी (Earth) इतनी ठंडी हो जाती है कि बर्फ स्थायी रूप से इसकी सतह पर जम जाती है और ये काफी समय तक बनी रहती है.
हिमयुग तब आता है, जब लंबे समय तक तापमान शून्य से भी नीचे चला जाए और लाखों-करोड़ों साल तक पृथ्वी (Earth) पर बर्फ जमी रहे. शोधकर्ताओं का कहना है कि हिम युग का अवधि सैकड़ों और हजारों साल में नहीं होती है, यह और भी लंबे समय तक जाता है.
हिमयुग (Ice Age) की समयावधि
यह जानकार हैरानी होगी कि हिमयुग (Ice Age) हमेशा एक जैसा ठंडा नहीं रहता है. इसमें भी गर्मी और ठंड जैसा मौसम परिवर्तन होता रहता है. हिम युग (Ice Age) के ठंड वाले मौसम में महासागरीय बर्फ की चादर, घाटियों में ग्लेशियर और समुद्री बर्फ ज्यादा दूर तक फैल जाती है.
पृथ्वी पर हिमयुग की इस समयावधि को स्टेडियल्स (stadials) कहा जाता है। वहीं इसके विपरीत गर्मी (Inter-stadials) का मौसम भी आता है। हिमयुग का अंत तब माना जाता है, जब पृथ्वी (Earth) इतनी गर्म हो जाए कि ढकी हुई बर्फ कम होकर पूरी तरह से गायब होने लगे.