
चिराग अहम हैं एनडीए में
लोकसभा 2024 के आम चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है. विपक्षी दलों की बैठकों का दौर शुरू हो चुका है, तो सत्तारूढ़ दल बीजेपी भी कमर कस चुकी है. पुराने साथियों को फिर से अपने साथ लाने की पहल करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को मजबूत बनाने के लिए 18 जुलाई को 19 दल दिल्ली के अशोका होटल में आमंत्रित किए गए हैं. सभी दलों को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आमंत्रित किया है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे. बीजेपी द्वारा आमंत्रित किए गए सहयोगियों चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा(रामविलास) समेत शिंदे सेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट भी शामिल है.
यानि कि एकतरफ विपक्षी दल 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में अपनी दूसरी बैठक करने जा रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी 18 जुलाई को दिल्ली में होने एकजुट होने वाली है. जिन 19 दलों ने एनडीए बैठक में भागीदारी लेने वली है, वे हैं— अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट, जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, उपेन्द्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, संजय निषाद की निषाद पार्टी, अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (सोनेलाल), हरियाणा से जेजेपी, पवन कल्याण के नेतृत्व वाली जनसेना, आंध्र प्रदेश, एआईएडीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस और भारत मक्कल कालवी मुनेत्र कड़गम, झारखंड से ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसयू), मेघालय से कॉनराड संगमा की एनसीपी, नागालैंड से एनडीपीपी, सिक्किम से एसकेएफ, ज़ोरमथांगा की मिज़ो नेशनल फ्रंट, और असम से ए.जी.पी.
एनडीए की बैठक संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक दो दिन पहले हो रही है.इसे संसद में विपक्ष की भूमिका को कमजोर करने के नजरिए से भी देखा जा रहा है.
दूसरी तरफ एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद होने से सत्तारूढ़ गठबंधन के शक्ति प्रदर्शन को प्रदर्शित की बात सामने आ रही है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान यह पहली बार है कि इस पैमाने की एनडीए बैठक हो रही है.
मकसद 2024 के चुनावों में भाजपा से लड़ने के लिए विपक्षी दलों के एकजुट करना है, ताकि एनडीए में मजबूती आए.
इस बैठक के संदर्भ में चिराग पासवान के अहमियत की चर्चा् है. चिराग पासवान से केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने नड्डा का निमंत्रण पत्र लेकर मुलाकात कर चुके हैं. राय ने 14 जुलाई की रात एक सप्ताह में दूसरी बार चिराग से मुलाकात की. नड्डा ने एलजेपी को एनडीए का एक प्रमुख घटक और गरीबों के विकास और कल्याण के लिए मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के प्रयासों में भागीदार बताया.
नड्डा के पत्र में कहा गया है, "एनडीए सरकार के तहत गरीबों के कल्याण, सांस्कृतिक गौरव की बहाली, आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक देशों के बीच भारत को एक ठोस विश्वसनीय ताकत के रूप में पेश करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।" सरकार भारत विजन-2047 के साथ आगे बढ़ रही है.
केंद्र सरकार द्वारा बिहार के दलित दिग्गज नेता और प्रमुख एनडीए सहयोगी, उनके दिवंगत पिता राम विलास पासवान के आधिकारिक बंगले, 12 जनपथ से उनके परिवार को बेदखल किए जाने के एक साल से अधिक समय बाद भाजपा ने चिराग से संपर्क किया है. तब इसे लोजपा समर्थकों निष्कासन को “अपमान” करार दिया था.
पिछले साल अगस्त में दूसरी बार, पूर्व सहयोगी, बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार एनडी से बाहर हो गए हैं. उसके बाद से ही भाजपा ने कुछ प्रमुख राज्यों में अपनी कमियों को दूर करने और 2024 के चुनावों के लिए अपने एनडीए गठबंधन को फिर से जीवंत करने के प्रयासों के तहत चिराग को अपने साथ लाने के प्रयास शुरू किए.
दिलचस्प बात यह है कि एनडीए से बाहर होने के बावजूद चिराग बीजेपी के फैसलों में उसका समर्थन करते रहे थे. भाजपा ने बजट सत्र से पहले जनवरी 2021 में एनडीए के फ्लोर लीडर्स की बैठक में उन्हें निमंत्रण दिया था, लेकिन अपने तत्कालीन सहयोगी जद (यू) के विरोध के कारण इसे छोड़ना पड़ा.
2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश के खिलाफ प्रचार करने के लिए चिराग बिहार में एनडीए गठबंधन से बाहर हो गए थे, जबकि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस, जो अब केंद्रीय मंत्री हैं, द्वारा किए गए एलजेपी में विभाजन ने उन्हें कमजोर कर दिया, कहा जाता है कि चिराग पार्टी के मूल समर्थन आधार को बनाए रखने में सफल रहे हैं. यहां तक बिहार विधानसभा चुनाव में चिरग ने अपने दम पर 6.5 प्रतिशत वोट हासिल किया था.